इलाहाबाद हाईकोर्ट- जजों की कमी, कैसे मिले न्याय
ढीली नियुक्ति प्राक्रिया के चलते वादकारियों को त्वरित न्याय देने के लिए पर्याप्त संख्या में न्यायाधीश ही नही मिल पाते। जितने नियुक्त होते है, लम्बी कार्यवाही के चलते तब तक उतने सेवानिवृत्त हो गए होते है। फलस्वरूप हाई कोर्ट कभी भी पूरी संख्या के साथ काम नही कर सका।
प्रयागराज : एशिया के सबसे बड़े इलाहाबाद हाईकोर्ट में वैसे तो न्यायाधीशो के 160 पद स्वीकृत है,(जिसमें से 77 पद स्थायी है, शेष अस्थायी) किंतु कभी भी 110 न्यायाधीश नियुक्त नही हो सके। वर्तमान समय में 106 न्यायाधीश ही कार्यरत है। वर्ष 2020 तक 24 न्यायाधीश सेवा निवृत्त हो जाएंगे।
हाई कोर्ट कभी भी पूरी संख्या के साथ काम नही कर सका
ढीली नियुक्ति प्राक्रिया के चलते वादकारियों को त्वरित न्याय देने के लिए पर्याप्त संख्या में न्यायाधीश ही नही मिल पाते। जितने नियुक्त होते है, लम्बी कार्यवाही के चलते तब तक उतने सेवानिवृत्त हो गए होते है। फलस्वरूप हाई कोर्ट कभी भी पूरी संख्या के साथ काम नही कर सका।
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सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की स्वीकृति के 5 माह के बाद भी नियुक्ति नही हो सकी है
मार्च 2015 में हाई कोर्ट की कोलेजियम ने 11 नाम भेजे थे। जिसमे से 6 ही आ सके । वह भी दो किश्तों में, 3 नवम्बर 2016 में व 3 फरवरी 2017 में।
इसके बाद अप्रैल 2016 में 29 वकीलो के नाम भेजे गए जिसमे से सितम्बर 2017 में केवल 19 जज ही नियुक्त हुए। फरवरी 2018 में 33 अधिवक्ताओं के नाम भेजे गए है जिसमे से आधे नियुक्त हो चुके है और 11 नामो पर केंद्र सरकार विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की स्वीकृति के 5 माह के बाद भी नियुक्ति नही हो सकी है।
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जजो की इन नियुक्तियों के अलावा जिला जज कोटे के जजो की नियुक्तियां की गयी । 11 बचे हुए जजो की नियुक्ति के बाद भी भारी संख्या में पद खाली रहेंगे।योग्य वकीलो की नियुक्ति पर कोलेजियम पिछले 6 माह से विचार कर रही है किंतु अभी तक नाम भेजे नही जा सके है।जज लगातार सेवा निवृत्त हो रहे है।