यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी बताए, रामदेव या उनकी कंपनी को कोई जमीन दी है ?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण से एक नवंबर 2017 तक जवाब मांगा है और पूछा है कि क्या अथॉरिटी ने योग गुरू बाबा रामदेव या उनकी कंपनी या सहयोगी को गौतमबुद्ध नगर नोएडा में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई जमीन फूड पार्क के लिए आंवटित की है या नहीं?

Update: 2017-10-31 20:31 GMT

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण से एक नवंबर 2017 तक जवाब मांगा है और पूछा है कि क्या अथॉरिटी ने योग गुरू बाबा रामदेव या उनकी कंपनी या सहयोगी को गौतमबुद्ध नगर नोएडा में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई जमीन फूड पार्क के लिए आंवटित की है या नहीं?

यह आदेश जस्टिस तरूण अग्रवाल और जस्टिस अजय भनोट की खंडपीठ ने औसाफ की याचिका पर दिया है। याचिका में याचियों के पट्टे पर दी गई जमीन पतंजलि आयुर्वेद लि. कंपनी के नाम आवंटित करने तथा याची द्वारा लगाए गए हजारों पेड़ों को काटने का आरोप लगाया गया है।

कंपनी के नाम 4500 एकड़ जमीन आंवटित किया गया है। अथॉरिटी का कहना है कि उसने या उनके अधिकारियों ने पेड़ नहीं काटे, और न ही स्थल पर पेड़ थे। जबकि राज्य सरकार का कहना है कि अथॉरिटी के अधिकारियों ने स्थल पर जाकर पेड़ कटवाए।

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जमीन पर 300 पेड़ लगाए गए थे। कोर्ट ने कहा कि सरकार या अथॉरिटी कोई भी बताने को तैयार नहीं कि जेसीबी मशीन से पेड़ों को उखाड़ लिया गया। कोर्ट ने इससे पहले ही विवादित भूमि पर विकास कार्य करने पर रोक लगा रखी है।

कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि तक जमीन की नवैयत बदलने या विकास कार्य न करने का निर्देश दिया है। याची का कहना है कि फूड प्लाजा व उद्योग लगाने के लिए छह हजार पेड़ काटे डाले गये, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है।

याचीगण को 200 बीघा जमीन वृक्षारोपण के लिए 30 साल के पट्टे पर दी गई है। इस जमीन के अलावा अन्य जमीन पतंजलि आयुर्वेद को आवंटित की गयी है। ऐसा करना पट्टा शर्तों का उल्लंघन है। याचिका की सुनवाई एक नवंबर को होगी।

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