प्रयागराज: इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट 13 नवम्बर 18 को सुनवाई करेगी। आज इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति ए.पी.शाही व न्यायमूर्ति अजीत कुमार की बेंच ने कहा कि शहर का नाम बदलने की सरकार की अधिकारिता का मामला तय हो चुका है। कोर्ट ने कहा बाम्बे, कोलकत्ता, बंगलौर आदि शहरों के नाम भी नाम बदले गये है और उनको लेकर कोर्ट से निर्णय भी आ चुका है। ऐसे में कोर्ट ने इस मामले में याची का पक्ष रख रहे वकीलों व सरकार का पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता दोनों को कहा कि वे इस केस की सुनवाई की तिथि पर सारे फैसलों को साथ में लेकर आवें ताकि इस पर कोर्ट आदेश पारित कर सके। यह आदेश कोर्ट ने सुनीता शर्मा की जनहित याचिका पर पारि किया। याचिका की सुनवाई के साथ इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय के खिलाफ दायर अन्य याचिकाओं का भी जिक्र किया गया तथा कोर्ट से अनुरोध किया गया कि वह सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ करे ताकि सभी पक्षों को सुनने के बाद सही निर्णय आ सके। इस पर कोर्ट ने कहा कि ठीक बात है सभी याचिकाओं पर कोर्ट 13 नवम्बर को सुनवाई करेगी। परन्तु कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को कहा कि वे इस मामले में पूरी तैयारी के साथ आवें ताकि कोर्ट उस दिन इस पर कुछ निर्णय ले सके। कोर्ट ने कहा कि शहर का नाम बदलने का मुद्दा केवल तथ्यात्मक नहीं है बल्कि कानूनी है। इस कारण इस पर कानूनी बहस की आवश्यकता होगी।
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कोर्ट की अन्य खबरें:
न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर होंगे हाईकोर्ट के अगले चीफ जस्टिस
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर इलाहाबाद हाईकोर्ट के अगले चीफ जस्टिस होंगे। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जस्टिस माथुर को हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने में अपनी संस्तुति सरकार को भेज दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस माथुर के अलावा तीन अन्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की भी संस्तुति केन्द्र सरकार को भेज दी है। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश ए.पी.शाही का भी नाम है। जस्टिस शाही पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होंगे। इन दोनों हाईकोर्ट के अलावा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस.के.सेठ तथा त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल को बनाने की संस्तुति सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के होने वाले अगले मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर राजस्थान हाईकोर्ट के जज रहे हैं। उनका इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर जज तबादला पिछले वर्ष नवम्बर में हुआ था। वह जज बनने से पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट में राजस्थान विश्वविद्यालय समेत कई संस्थानों के वकील रहे।
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सरकारी राशन दुकानों के लाइसेंसी की मौत पर आश्रितों की नियुक्ति का प्रावधान रद्द
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान लाइसेंसधारक के आश्रितों को अनुकम्पा के आधार पर दुकान का लाइसेंस धारक के आश्रितों के पिता (मूल आवंटी) की ख्याति को बनाना अनुचित है। कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में 17 अगस्त 2002 के शासनादेश का प्रावधान-10 झ अनुच्छेद 14, 15 व 21 का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने इस मामले को सरकार के पास पुनर्विचार हेतु भेजते हुए इस संबंध में नीति बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट के प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को निर्देश दिया है कि वह सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान अनुकम्पा आधार पर किये जाने के संबंध मंे इस आदेश में की गयी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए नीति बनायें। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने संपूर्णानंद, मनोज यादव, आफान अहमद व कई अन्य की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब तक नयी नीति नहीं बन जाती है अनुकम्पा आधार पर आवंटन की अर्जी लंबित है। गौरतलब है कि शासनादेश की धारा 10 झ में यह प्राविधान है कि जिस आवंटी की ख्याति अच्छी है उसी के आश्रित को अनुकम्पा आधार पर सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस दिया जाए। शासनादेश के इसी प्रावधान को याचिकाओं में चुनौती दी गयी थी।
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