Allahabad University: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से निकलकर बने बड़े अफसर,नेता...., लेकिन सबकी हैं एक ही टीस
Allahabad University: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से निकलकर लोग बड़े अफसर, बड़े नेता, सफल, सम्पन्न और काबिल आदमी बन जाते हैं। हजारों नाम हैं, लाखों कहानियाँ हैं। दौलत, रुतबा, रसूख़ सब मिलता है। लेकिन....
Allahabad University: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से निकलकर लोग बड़े अफसर, बड़े नेता, सफल, सम्पन्न और काबिल आदमी बन जाते हैं। हजारों नाम हैं, लाखों कहानियाँ हैं। दौलत, रुतबा, रसूख़ सब मिलता है। लेकिन सबकी टीस, सबकी कसक एक ही है-
किसी पाँच-सात सितारा होटल की सबसे शानदार डिश का स्वाद हॉस्टल के दाल चावल चोखा की लज्जत के आगे फीका लगता है।
डनलप के गद्दों से कहीं ज्यादा सुकून कैम्पस की घास देती थी।
बड़ी-बड़ी हाई-फाई मीटिंग्स और सेमिनार से ज्यादा रस चौराहे की चकल्लस में समाया था।
चाय दवा से ज्यादा असरदार थी।
डीकुमार्स सोना-चाँदी से ज्यादा बेशक़ीमती थी।
जूनियर्स का प्रणाम किसी भी बोनस और इंक्रिमेंट से ज्यादा आनन्द बटोरे था।
सीनियर्स की प्रशंसा पद्म पुरस्कार से विभूषित होने से ज्यादा सुखकर थी।
सीनेट हॉल की घड़ी ताजमहल से ज्यादा खूबसूरत लगती थी।
सिविल लाइन्स पेरिस से ज्यादा स्वप्निल और चकाचौंध से भरपूर दिखता था।
छात्रसंघ चुनाव ओलम्पिक से ज्यादा रोमांच और रौनक समाहित किये था।
आईपीएल का सीजन भण्डारे के सीजन पर क़ुर्बान था।
लल्ला चुंगी साहित्य में ऋंगार रस का उत्पत्ति स्थल प्रतीत होता था।
कम्पनी गार्डेन की अमर आज़ाद प्रतिमा में पानीपत के मैदान से ज्यादा क्रान्ति जज़्ब थी।*ट
संगम किनारे हिमालय की गोद से ज्यादा शान्ति और सौन्दर्य था।
पीवीआर के आगे बुर्ज खलीफ़ा बौना था।
यूनिवर्सिटी की दोस्ती में शोले के जय-वीरू से ज्यादा डेयर, थ्रिल, इमोशन और कनेक्शन था।
यूनिवर्सिटी की मारपीट के आगे पूरी दुनिया के युद्धक इतिहास का रण और आयुध कौशल नतमस्तक था।
किसी अजाने अशक्त को एक यूनिट खून देकर चारधाम यात्रा का पुण्यलाभ अर्जन हो जाता था।
घर जाना चाँद पर जाने से ज्यादा दुर्लभ था।
प्रेमिका से ज्यादा प्यार सेलेक्शन से था।
फ़िल्म से ज़्यादा सपने देखते थे और फेसबुक से ज़्यादा साइकिल चलाते थे।
जिन्होंने विश्वविद्यालय को जिया है उनके लिए ये शृंखला अनन्त है, अविराम हैl