राहुल के खास बोले- नहीं लड़ाया कांग्रेस ने प्रत्याशी, संगठन ने जो समझा वो निर्णय लिया
जो कांग्रेस अमेठी की सरज़मी को अपनी कर्म भूमि बताकर रिश्तों की दुहाई देती है, उसी कांग्रेस ने अमेठी विधानसभा की नगर पंचायत से प्रत्याशी ही नहीं उतारा। इ
असगर नकवी
अमेठी: जो कांग्रेस अमेठी की सरज़मी को अपनी कर्म भूमि बताकर रिश्तों की दुहाई देती है, उसी कांग्रेस ने अमेठी विधानसभा की नगर पंचायत से प्रत्याशी ही नहीं उतारा। इसका कारण जानने के लिये ने जब अमेठी सांसद राहुल के प्रतिनिधि चंद्रकांत दुबे से बात किया गया तो उन्होंने कहा संगठन ने जो बेहतर समझा वो निर्णय लिया, इससे हाईकमान से कोई सरोकार नहीं। जबकि जानकारों के व्यू इससे अलग रहे।
इस बड़े मुद्दे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के प्रतिनिधि चंद्रकांत दुबे ने ख़ास बातचीत करते हुए कहा कि हाईकमान ने प्रत्याशियों का चयन संगठन पर छोड़ रखा था, संगठन द्वारा बनाई गई कमेटी में योग्य लोग शामिल थे उनकी प्रक्रिया के अन्तर्गत सब कुछ हुआ। इसका हाईकमान से कोई सरोकार नहीं, और अब तो रिज़ल्ट आ रहे हैं इसको देखें। प्रस्तुत है hindi.newstrack.com से राहुल गांधी के प्रतिनिधि चंद्रकांत दुबे की खास बातचीत।
अमेठी जिले में दो नगरपालिका और दो नगर पंचायतें हैं। जिला मुख्यालय की गौरीगंज सीट और तिलोई विधानसभा की जायस सीट नगरपालिका तो अमेठी विधानसभा की अमेठी एवं जगदीशपुर विधानसभा की मुसाफिरखाना सीट को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त है। गौरीगंज और जायस सीट पर कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारे तो कई मानों में ख़ास अमेठी सीट के साथ मुसाफिरखाना नगर पंचायत पर प्रत्याशी ही नहीं उतारा। इस मसले पर अमेठी को लेकर काफी चर्चा और गहमागहमी रही। वो इसलिए भी कि अमेठी नगर पंचायत क्षेत्र में ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डा. संजय सिंह की हवेली है, जहां नेहरु से लेकर इंदिरा और राजीव तक रिश्तों की डोर को मज़बूत करने पहुंचते रहे।
वहीं इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार एवं रिटायर्ड प्रोफेसर डा. अंगद सिंह ने बातचीत में कहा कि पोलिटिकल व्यू तो ये हो सकता है कि कांग्रेस नगरपालिका सीट पर प्रत्याशी लड़ायेगी और नगर पंचायत में नहीं। वैसे अगर कहा जाये तो कांग्रेस ने टाउन एरिया को अपने लायक नहीं समझा, या फिर बेइज्जती की डर से ये क़दम उठाया। जबकि जमीनी हकीक़त को जानने के लिये लड़ना चाहिये था।
वहीं जायस इलाके के तेज़ तर्रार युवा मुस्लिम नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष एवं राहुल के प्रतिनिधि की जो मंशा होती है हाईकमान उसी पर मुहर लगाता है। राहुल गांधी की नज़रें तो केवल लोकसभा पर होती हैं। बस नाम करने के लिये दो प्रत्याशी लड़ा दिया गया है।