इन बच्चों ने इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता में जीता कांस्य पदक, शाहजहांपुर का बढ़ाया मान

मंजिले उन्हीं को मिलती है जिनके सपनो में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता है हौसलो से उड़ान होती है। जी, हां हम बात कर रहे है। शाहजहांपुर के अंश और आशी की जिन्होने न केवल कांस्य पदक जीतकर शाहजहांपुर का नाम रोशन किया है, बल्कि देश का भी मान बढ़ाया है।

Update: 2017-12-06 07:42 GMT

शाहजहांपुर: मंजिले उन्हीं को मिलती है जिनके सपनो में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता है हौसलो से उड़ान होती है। जी, हां हम बात कर रहे है शाहजहांपुर के अंश और आशी की, जिन्होंने न केवल कांस्य पदक जीतकर शाहजहांपुर का नाम रोशन किया है, बल्कि देश को भी गौरवान्वित किया।

दोनो ने पंजाब मे हुए इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता मे कांस्य पदक जीता है। चौकाने वाली बात है आशी की उम्र अभी 18 साल है, जबकि अंश की उम्र अभी 12 वर्ष ही है। पंजाब में हुई इस जीत का माहौल पूरे परिवार में दिखाई पड़ रहा है। वहीं घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। आशी के घर बधाई देने वालो का तांता तो लगा पर उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी कि माता पिता ने उधार पैसा लेकर बेटी को पंजाब भेजा तब जाकर उसने प्रतियोगिता में भाग लिया।

कांस्य पदक जीता

हर इंसान मे कुछ न कुछ हुनर छिपा रहता है बस उसे छिपी प्रतिभा को उभारने की जरूरत होती है। अंश और आशी ने इंटरनेशनल जोड़ो कराटे प्रतियोगिता में जो हुनर दिखाया, उसमें दुश्मन खिलाड़ियों के छ्क्के छूट गए। यह प्रतियोगिता 24, 25 और 26 नवंबर को पंजाब के अमृतसर में हुई थी। इस प्रतियोगिता मे अंश और आशी ने कांस्य पदक जीतकर अपने हुनर का लोहा मनवा दिया।

महज 18 और 12 साल की उम्र मे बंग्लादेश, इण्डोनेशिया, श्री लंका और नेपाल जैसे देशों को खिलाड़ियों को धूल चटाने वाले आशी और अंश देश के लिए गोल्ड लाना चाह रहे है, लेकिन उनके सपनों मे पंख ही लगाने के यह लोग सरकार से सुविधाएं मांग रहे है।

क्या कहा आशी ने?

कांस्य पदक विजेता 18 साल की विजेता आशी ने बताया कि वह छोटे से कस्बे तिलहर मे किराए के मकान मे रहती है।उसके पिता सुदेश कुमार गुप्ता की मिठाई की दुकान है। दुकान भी किराए की है। पिता जी ने जैसे-तैसे मेहनत करके मेरी शुरूआती पढ़ाई करवाई। अब वह आगरा से ग्रेजुएशन कर रही है। आशी के मुताबिक उसने और उसके परिवार ने बहुत स्ट्रगल किया है। आर्थिक स्थिति ऐसी है कि जब उसे पता चला कि पंजाब के अमृतसर प्रतियोगिता के लिए जाना है, तो उसने पिता को बताया पहले तो कुछ दिन सोचना पड़ा कि आखिर पंजाब जाएंगे कैसे। क्योंकि आर्थिक स्थिति ऐसी है कि अगर कहीं जाना पड़ता है तो किराए के लिए पैसे भी उधार लेना पड़ जाता है। पिता जी ने पैसे उधार लेकर हमें दिए तब जाकर पंजाब में प्रतियोगिता में भाग ले सके है। आशी ने बताया कि कांस्य पदक जीतने के बाद उसे बेहद खुशी हो रही है। घर पर रिश्तेदार आते जा रहे हैं और बधाई देते रहे हैं। आशी का सपना है कि वह ओलंपिक मे गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करे। उसके लिए सरकार थोड़ी सी मदद कर दे तो हम देश का नाम रोशन जरूर करेंगे।

क्या कहना है अंश के पिता का?

वहीं 13 साल के अंश ने भी ऐसा ही देश का नाम रोशन किया है। अंश के पिता अखिलेश गौतम यहां ग्राम विकास अधिकारी है। अंश की मां सरकारी स्कूल मे सहायक अध्यापिका है। अंश रायन इंटरनेशनल स्कूल मे 8वीं क्लास का छात्र है। पिता ने बताया कि अंश ने पंजाब के अमृतसर मे हुए इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता मे कांस्य पदक जीता है। पदक जीतने के बाद अंश और आशी के कोच मोहित सिंघल भी बेहद खुश है। मोहल्लेवालों से लेकर रिश्तेदार बधाई देते नहीं थक रहे हैं। अंश के माता-पिता की इच्छा है कि अंश ओलंपिक मे गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम पूरी दुनिया मे रोशन करे।

नहीं है खेल की सुविधाएं

दरअसल आशी और अंश शाहजहांपुर के छोटे से कस्बे तिलहर के रहने वाले है। जहां न तो खेल सुविधाएं है और न तो पढ़ाई के अच्छे साधन। इन दोनों के कराटे गुरू मोहित सिन्हा ने जब इनके हुनर को निखारा तो दोनों के हुनर मे पंख लग गए। उनके गुरु को भी यह एहसास नही था कि उनके शिष्य यह मुकाम हासिल कर लेंगे। उनकी इस उपलब्धि से घर वाले फूले नहीं समा रहे है।

कराटे अब हर घर मे एक लोगों के लिए जरूरत बनती जा रही है, जिसके चलते हर युवा पीढ़ी इसको पसंद कर रही है। ताकि अपनी बाडी फिट रखने के साथ बदमाशो को सबक सिखाया जा सके। ऐसे मे अगर यह प्रतिभा उभरकर बाहर आ जाए तो यह हुनर आपका कैरियर भी बना सकता है बस जरूरत है ऐसे होनहार बच्चों और अच्छे गुरुओं की।

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