अपेक्स की छात्राएं न्याय के लिए पहुंची सीएम दरबार, रात भर सड़क पर बैठ कर किया मिलने का इंतजार
वाराणसी: एपेक्स नर्सिंग कॉलेज के फर्जीवाड़ा में पीड़ित सैकड़ों छात्र एवं छात्राओं का आखिरकार सभी अधिकारियों के यहां दौड़ने के बाद भी मुकदमा नहीं दर्ज हुआ। आईजी से मिलने के बाद कोई मदद नहीं मिलने पर छात्राएं वहीं से लखनऊ के लिए रवाना हो गईं। इस भीषण गर्मी में अपने भविष्य को लेकर चिंतित छात्राओं ने कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। छात्र-छात्राएं लखनऊ इंटरसिटी से लखनऊ के लिए रवाना हुई।
आधी रात के बाद से ही छात्राएं सीएम आवास के बाहर बैठी रहीं। सुबह सीएम से मिल कर गुहार लगाई। करीब 60 की संख्या में छात्र-छात्राएं लखनऊ गए हैं। इससे पहले संतुष्टि नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं को भी वाराणसी के अधिकारियों से न्याय नहीं मिला था, तो वे उन छात्राओं को भी सीएम से मिलने के बाद न्याय मिला था।
ट्रेन में सवार पीड़ित नर्सिंग छात्र तरूण ने बताया कि वे लोग लखनऊ स्टेशन से सीधा सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास पर पहुंचे और रात खुले आसमान के नीचे बिताई। सुबह होते ही सबने सीएम से मिल कर अपना दर्द बयां किया। छात्रों का कहना है कि बनारस के अधिकारियों से उन्हें सिर्फ झूठा आश्वासन ही मिला, जिसके चलते उन्हें न्याय के लिए सीएम के दरबार में जाना पड़ा। उनका कहना है कि दो साल में तीन लाख रुपया खर्च करने के बाद भी उनका भविष्य अंधकार में है और दो साल का समय कॉलेज प्रबंधन ने धोखे में रख कर बर्बाद कर दिया है।
छात्रा शीबा का कहना है कि वे सीएम से मिल कर बनारस में अधिकारियों की भी शिकायत करेंगी कि उन्होंने उनकी बात सुनने के बजाय अप्रत्यक्ष रुप से कॉलेज प्रबंधन का ही साथ दिया है। अगर ऐसा नहीं होता, तो उनका जो अधिकार है मुकदमा करने का, कम से कम वो तो दर्ज हो ही जाता, लेकिन संवेदनहीन अधिकारियों को इस कड़ी धूप में आंदोलन करते देख कर भी दया नहीं आई।
आगे की स्लाइड में जानिए क्या है पीड़ित छात्र-छात्राओं का कहना
छात्राओं ने कहा कि जब तक ये फर्जी कॉलेज बंद नहीं होगा और उनके खिलाफ मुकदमा होने के साथ ही उनका दो साल का पैसा ब्याज के साथ वापस नहीं होगा, तब तक वे शांत बैठने वाली नहीं है। उनका कहना है कि जो साल का बर्बाद हुआ है, उसका हिसाब कौन देंगा। छात्रों ने बताया कि कालेज प्रबंधन अभी भी नए सत्र के लिए नए बैच के लिए बच्चों का एडमिशन करने में जुटा हुआ है।
क्या है मामला और कितने छात्र हैं पीड़ित
इस फर्जीवाड़े में सौ से ज्यादा बच्चों का भविष्य अंधकार में है। 2014 के पहले बैच में बीपीटी के 19 और नर्सिंग के 23 छात्र है जबकि आगे के बैच में बीपीटी में 40 और नर्सिंग के 50 छात्र हैं। सभी छात्र अभी तक संस्थान को करीब दो लाख रुपया तक फीस दे चुके हैं और ये कोर्स साढ़े चार साल का है। कुल फीस साढ़े चार लाख रुपए जमा करना है। साढ़े चार साल के कोर्स में दो साल बीत चुके हैं, लेकिन एक भी सेमेस्टर की परीक्षा कॉलेज ने नहीं कराई है। छात्रों का आरोप मान्यता नहीं होने के कारण परीक्षा नहीं हो पाई है।