Asad Encounter: जानिए झांसी में कहां छिपा था असद और गुलाम, कैसे मिली STF को इनफार्मेशन, उनके एनकाउंटर तक की पूरी कहानी.!

Asad Encounter: जानकारी मिली है कि कुछ दिनों पहले एसटीएफ को सतीश पांडेय के घर में गुड्डू मुस्लिम के छिपे होने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर एसटीएफ ने वहां छापा मारा था। लेकिन तब गुड्डू मुस्लिम पहले ही वहां से फरार हो चुका था। इसके बाद से इस इलाके पर पुलिस की पैनी नजर थी।

Update:2023-04-14 21:56 IST
Asad Ahmad Encounter (Photo-Social Media)

Jhansi News: बड़ागांव थाना क्षेत्र में स्थित पारीछा पॉवर प्लांट के पास रहने वाले सतीश पांडेय का घर अतीक गैंग के लोगों के छिपने का अड्डा था। एनकाउंटर के बाद पुलिस तफ्तीश में यह बात सामने आई है। जानकारी मिली है कि कुछ दिनों पहले एसटीएफ को सतीश पांडेय के घर में गुड्डू मुस्लिम के छिपे होने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर एसटीएफ ने वहां छापा मारा था। लेकिन तब गुड्डू मुस्लिम पहले ही वहां से फरार हो चुका था। इसके बाद से इस इलाके पर पुलिस की पैनी नजर थी।

एसटीएफ के रडार पर था पारीछा पॉवर प्लांट का इलाका

उमेश पाल मर्डर केस के बाद अतीक अहमद के बेटे असद के अलावा शूटर गुलाम और गुड्डू मुस्लिम को यूपी एसटीएफ सरगर्मी से तलाश रही थी। इसके लिए एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक नवेन्दु कुमार व उपाधीक्षक विमल कुमार सिंह के नेतृत्व में टीमों का गठन किया गया था। जिसने झांसी के पारीछा पॉवर प्लांट इलाके में अपने मुखबिरों के नेटवर्क को सक्रिय कर दिया था।

चिरगांव के करीब देखे जाने की मिली सूचना

यूपी एसटीएफ इस इलाके पर पैनी नजर रख रही थी, इसी दौरान उसे अतीक के बेटे असद और मोहम्मद गुलाम के झांसी जनपद के चिरगांव कस्बे में रात के वक्त देखे जाने की सूचना मिली। इस सूचना पर एसटीएफ के उपाधीक्षक विमल कुमार सिंह की टीम ने बड़ागांव व पारीछा के पास अपने मुखबिरों के नेटवर्क को लगाया। तभी मुखबिर ने बताया था कि असद और मोहम्मद गुलाम बिना नंबर की काली व लाल रंग की डिस्कवर मोटर साइकिल से चिरगांव से निकलकर पारीछा की तरफ गए हैं।

बताया गया हुलिया और कपड़ों का रंग तक

मुखबिर ने एसटीएफ को बताया कि असद सफेद रंग का पठानी सूट पहने हुए है तथा काली टोपी लगाये हुए है। जबकि उसका साथी गुलाम लोवर तथा डार्क ग्रीन हॉफ टी शर्ट व सिर पर रुमाल बांधे हुए है। इसके बाद एसटीएफ ने पीछा करते हुए पारीछा बांध की मोड़ के पास दोनों युवकों की घेराबंदी की। बाइक आती देख उसे रूकने का इशारा किया लेकिन बाइक नहीं रूकी और तेज रफ़्तार में जाकर कच्चे रास्ते पर बबूल की झाड़ में गिर गई।

ऐसे हुआ पूरा एनकाउंटर

बाइक गिरने के बाद बबूल की झाड़ियों की आड़ लेकर असद ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। बताया जाता है कि उसने कुल नौ फायर किए। उसका साथी गुलाम भी पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग करता रहा। एसटीएफ की तरफ से जवाबी फायरिंग की जाती रही। थोड़ी देर बाद बदमाशों की तरफ से फायरिंग आनी बंद हो गई। बाद में वहां जाकर देखा तो दोनों घायल अवस्था में पड़े थे। दोनों को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज लाया गया। यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इस शख्स को मिली थी एनकाउंटर की खबर

सिंचाई विभाग के कर्मचारी अशोक ने बताया कि वहीं पास ही उसका सरकारी आवास है। अशोक ने बताया कि दोपहर को अचानक गोली चलने की आवाजें आई थी, जिससे वह घबरा गया। कुछ देर बाद जब पुलिस की गाड़ियां आईं तो पता चला कि पुलिस की बदमाशों से मुठभेड़ हो गई है। उसका कहना है कि सिंचाई विभाग में नौकरी लग गई थी तो वह अपने बच्चों के साथ वहीं रहता हैं।

देर रात हुआ शवों का पोस्टमार्टम, कराई गई वीडियोग्राफी

यूपी एसटीएफ के हाथों ढेर हुए माफिया अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम के शवों का देर रात पोस्टमार्टम किया गया। बताते हैं कि पहले प्रशासन को जानकारी मिली कि असद के परिजन उसके शव को लेने आ रहे हैं, लेकिन देर रात तक तक वह झांसी नहीं पहुंच सके थे। बाद में मेडिकल कॉलेज के तीन डॉक्टरों का पैनल बनाया गया। रात दो बजे दोनों के शवों का पोस्टमार्टम शुरु किया गया। इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई। सूत्र बताते हैं कि असद के पेट में दो गोली और गुलाम के पेट में एक गोली के निशान मिले हैं। पोस्टमार्टम के दौरान सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। सीओ सिटी राजेश राय, नवाबाद थाना प्रभारी निरीक्षक सुधाकर मिश्रा समेत भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था।

अपराध की दुनिया का बादशाह बनना चाहता था शूटर गुलाम

असद के साथ मारा गया पांच लाख का इनामी शूटर गुलाम अपराध की दुनिया का बादशाह बनना चाहता था। यही वजह है कि कई साल पहले अपनी दबंगई के लिए चर्चित इस अपराधी ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए अब माफिया अतीक व उसके भाई अशरफ से हाथ मिला लिया था। दोनों के कहने पर उसने दिनदहाड़े दुर्दांत तरीके से उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम दिया। गुलाम वह शूटर था, जो उमेश पाल हत्याकांड में टोपी पहनकर गोलियां चलाता नजर आया था। रसूलाबाद का रहने वाला गुलाम कभी मोहल्ले में दबंगई करता फिरता था। उसने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की। इस दौरान उसका मेलजोल कुछ मनबढ़ युवकों से हुआ। इसके बाद उसकी जान पहचान हॉस्टलों में रहने वाले कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के युवकों से भी हुई। इन्हीं के बल पर उसने दबंगई शुरु की।

छात्रसंघ चुनाव में भी था सक्रिय

गुलाम इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ा था और उसे राजनीति का भी चस्का था। छात्रसंघ चुनाव में भी वह काफी सक्रिय था। पुलिस का दावा है कि 2017 में इविवि छात्रसंघ चुनाव में उदय यादव को लड़ाने में उसका विशेष योगदान रहा था। पिछले विस निर्वाचन से पहले शाइस्ता परवीन के चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर उठी थीं, तो अतीक के बेटे अली ने उससे संपर्क साधा था। इसके बाद ही वह प्रयागराज में शाइस्ता के लिए चुनाव प्रचार में जोरशोर से जुट गया था। उसने अतीक के बेटे अली के साथ चुनावी रैलियों में भी शिरकत की थी। दरअसल, इस बात की चर्चा है कि गुलाम की चंदन सिंह केस में बचाने वाला अतीक ही था। जेल में रहने के दौरान उसकी मुलाकात अतीक से हुई थी। उसने अतीक से कहा था कि वह इस केस में समझौता करा दे। अतीक की उस समय तूती बोलती थी और यही वजह है कि उसके कहने पर इस मामले में समझौता हो गया। जिसके बाद से वो अतीक के लिए काम करने लगा।

Tags:    

Similar News