मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटे असदुद्दीन ओवैसी, पंचायत चुनाव के नतीजों पर जताया दर्द, सपा को भी घेरा

Asaduddin Owaisi vs Akhilesh Yadav : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अगले विधानसभा चुनाव में न जीतने देने की चुनौती देने वाले ओवैसी ने समाजवादी पार्टी और मुलायम परिवार पर भी निशाना साधा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update: 2021-07-05 06:11 GMT

औवेसी और अखिलेश (File photo) pic(social media)

Asaduddin Owaisi vs Akhilesh Yadav : उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Election 2022) में उतरने से पहले एआईएमआईएम के मुखिया (AIMIM Chief)  असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने यूपी के सियासी मामलों में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है। मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने वाले ओवैसी को उत्तर प्रदेश में हाल में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष (Zila Panchayat Adhykash Election 2021) के चुनाव में एक भी मुस्लिम के न जीत पाने का काफी मलाल है। उन्होंने प्रदेश में 19 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद एक भी मुस्लिम के जिला पंचायत अध्यक्ष न बनने पर अफसोस जताया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अगले विधानसभा चुनाव में न जीतने देने की चुनौती देने वाले ओवैसी ने (AIMIM vs Samajwadi Party) समाजवादी पार्टी और मुलायम परिवार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में 800 सदस्यों को जिताने वाली पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में सिर्फ पांच सीटों पर सिमट गई। उन्होंने सवाल किया कि क्या सपा से जीतने वाले प्रत्याशी भाजपा की गोद में जाकर बैठ गए?

एक भी मुस्लिम के न जीतने पर छलका दर्द

ओवैसी (Owaisi Slams Akhilesh) ने उत्तर प्रदेश के सियासी मैदान में उतरने से पहले सूबे की सियासत से जुड़े मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया जतानी शुरू कर दी है। जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में भाजपा को 67 सीटों पर मिली विजय ने ओवैसी को काफी दर्द पहुंचाया है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की अपनी ताकत है मगर मुस्लिम वर्ग से जुड़ा कोई भी प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 19 फ़ीसदी मुस्लिम हैं मगर फिर भी सियासी दलों ने मुस्लिमों को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इससे साफ है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों को दूसरे दर्जे का शहरी बना दिया गया है।


मुस्लिम वोट बैंक की सियासत करने वाले ओवैसी के इस दर्द का कारण समझना मुश्किल नहीं है। उन्हें प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक के दम पर ही अपनी ताकत दिखानी है। यही कारण है कि उन्होंने मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों को जोरशोर से उठाना शुरू कर दिया।

ओवैसी का सपा पर हमला

मुस्लिमों का वोट हासिल करने के लिए ओवैसी को सबसे ज्यादा सपा से ही जूझना होगा। यही कारण है कि पंचायत चुनाव के बहाने उन्होंने सपा पर भी बड़ा हमला बोला है। सपा पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि खुद को प्रदेश का सबसे प्रमुख विपक्षी दल बताने वाली पार्टी 800 सदस्य जिताने के बावजूद सिर्फ पांच जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव जीत सकी। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि ऐसा कैसे हुआ। क्या इस पार्टी के लोगों ने भाजपा को ही जिताने में मदद की?

हाल में हुए जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में भाजपा ने 67 सीटों पर विजय पताका फहराई है जबकि पहले मजबूत मानी जा रही सपा सिर्फ पांच सीटों पर ही सिमट गई है। सपा की इस करारी हार ने ओवैसी को तंज कसने का मौका दे दिया है।

दबदबे वाले जिलों में हार पर तंज

उन्होंने सपा का गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी, औरैया, कन्नौज, बदायूं, फर्रुखाबाद व कासगंज जैसे जिलों में हार पर सपा को कोसा है। मुलायम परिवार पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि दबदबे वाले इन जिलों में भी सपा फिसड्डी साबित हुई। ज्यादा सदस्य जिताने के बावजूद सपा प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष बनने में कामयाब नहीं हो पाए।


इससे साफ है कि इन जिलों में सपा का प्रभुत्व समाप्त हो रहा है। हालांकि अपने ट्वीट में ओवैसी ने किसी नेता का नाम नहीं लिया है मगर सपा के गढ़ माने जाने वाले इन इलाकों में हार को लेकर वे किस परिवार की ओर इशारा कर रहे हैं, यह बिल्कुल साफ है।

आजाद सियासी आवाज होना जरूरी

उत्तर प्रदेश के चुनाव में उतरने से पहले ओवैसी ने यहां मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। उनका कहना है कि अपनी समस्याओं का हल निकालने के लिए हमारी आजाद सियासी आवाज होना जरूरी है। उनका मानना है कि भाजपा से डरने से कुछ भी हासिल नहीं होगा बल्कि उसे जवाब देने के लिए जम्हूरी तरीके से लड़ना होगा।

सियासी जानकारों का मानना है कि ओवैसी ने अब प्रदेश के सियासी मामलों में गहरी दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है। वे अभी तक मुस्लिम वोट बैंक के जरिए ही अपनी ताकत दिखाते दे रहे हैं और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी उनकी नजर मुस्लिम वोट बैंक पर ही टिकी हुई है। यही कारण है कि उन्होंने मुस्लिमों से जुड़े मुद्दे पर बयान देना शुरू कर दिया है।

ओवैसी बिगाड़ेंगे कई दलों का समीकरण

इससे पहले ओवैसी ने कहा था कि वे ओमप्रकाश राजभर की भागीदारी संकल्प मोर्चा के बैनर तले 100 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। दूसरी ओर राजभर का कहना है कि अभी सीटों की संख्या को लेकर अंतिम फैसला नहीं किया गया है। ओवैसी की इस घोषणा को सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। अभी तक मुस्लिम वोट बैंक का बड़ा हिस्सा सपा के खाते में जाता रहा है। इसी कारण माना जा रहा है कि ओवैसी खास तौर पर सपा को ही नुकसान पहुंचाएंगे। औवैसी की नजर मुस्लिम बहुल सीटों पर टिकी हुई है और वे ऐसी सीटों पर अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं।

इससे पहले ओवैसी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में किसी भी सूरत पर मुख्यमंत्री न बनने देने की चुनौती दी थी। ओवैसी को कड़ा जवाब देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मुझे ओवैसी की चुनौती स्वीकार है। उनका कहना है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में बड़ी सियासी ताकत है और ओवैसी उसे चुनौती नहीं दे सकते। योगी ने कहा कि प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा ही विजयी होगी और अपनी सरकार बनाएगी।

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