लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक नेे कहा कि महिला सशक्तीकरण एवं लैंगिक समानता के लिए सरकार एवं समाज के स्तर से क्या हो रहा है, वह ठीक है पर मैं क्या कर रहा हूं, यह सवाल स्वयं से पूछें। आधी आबादी के सशक्तीकरण के लिए हम क्या कर सकते हैं, इस पर विचार करते हुए आगे बढ़ने का संकल्प लें। राज्यपाल नाईक शुक्रवार को जस्प्रुडेंशिया सोसाइटी फॉर ट्रांसेंडेंस इन लॉ की ओर से डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के अटल प्रेक्षागृह में आयोजित महिला सशक्तीकरण एवं लैंगिक समानता विषयक नेशनल सोशल समिट के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
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राज्यपाल ने महिलाओं को आगे बढ़ाने और ताकतवर बनाने के लिए अपने राजनीतिक अौर सामाजिक जीवन के जरिए किए गए कार्यों की चर्चा की। बताया कि महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से उनके द्वारा वर्ष 1991 में लोकसभा में निजी विधेयक के रूप में स्तनपान प्रोत्साहन और शिशु आहार विज्ञापन पर प्रतिबंध विषयक विधेयक चर्चा हेतु लाया गया था जो 29 दिसम्बर 1992 को लागू हुआ। इसी प्रकार विपक्ष में रहते हुये दुनिया में पहली महिला लोकल का संचालन मुंबई में करवाया तथा मछुवारी महिलाओं की सहायता के लिये लोकल ट्रेन कंपार्टमेंट में सुबह 3 घंटे आरक्षित करवाने का कार्य किया। राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं के लिये केवल शिक्षा नहीं बल्कि उच्च शिक्षा प्रदान करके समर्थ बनाने की आवश्यकता है।
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नाईक ने कहा कि पुरुष और महिला, समाज के दो महत्वपूर्ण घटक हैं। दोनों घटक सशक्त होंगे तभी विकास होगा। महिला संस्कारवान समाज का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण में स्वयं की भागीदारी सुनिश्चित करें।
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मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की स्मृति में आयोजित इस नेशनल सोशल समिट प्रदेश की महिला कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण और पर्यटन मंत्री प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों से आगे आने की अपील की। प्रोफेसर जोशी ने कहा कि जिस दिन देश की महिलाएं और सशक्त हो जाएंगी, उनके साथ भेदभाव खत्म हो जाएगा, उस दिन देश बहुत तरक्की करेगा। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है। देश में बदलाव युवा ही ला सकते हैं। देश में कानून है पर जागरूकता की कमी है। महिलाएं सभी सामान्य मानव अधिकार की हकदार हैं। महिलाएं अपना हक जानें। बेटियों में आत्मविश्वास पैदा करने से बेटियाँ आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यह शुरूआत हर परिवार से होनी चाहिए।
डाॅ0 शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रवीर कुमार ने इस अवसर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई कानूनों में बदलावे करने का सुझाव दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस समिट में विचार विमर्श से ऐसे काफी सुझाव निकलेंगे, जो बदलाव की दिशा में कारगर होंगे।
जस्प्रुडेंशिया की ओर से दो महिलाओं को चेंजमेकर अवार्ड, छात्राओं ने चित्रकला प्रदर्शनी भी लगाई
मुंबई से आईं वरिष्ठ अधिवक्ता आभा सिंह ने इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में हुए कहा कि सारे उपाय तब कारगर होंगे, जब हमारा समाज महिलाओं के प्रति अपने नजरिये में बदलाव लाए। उन्हें आगे बढ़ने में न केवल मदद करे, वरन उनके स्वतंत्र अस्तित्व के बारे में सोचे। उन्हें अवसर दे। जस्प्रुडेंशिया के अध्यक्ष शुभम त्रिपाठी के संयोजन में आयोजित इस समिट में इस समिट राज्यपाल ने सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री शालिनी माथुर व माधवी कुकरेजा को ‘चेंजमेकर अवार्ड’ देकर सम्मानित किया। सोशल समिट में पूर्व पुलिस महानिदेशक सुतापा सान्याल, बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विवि की प्रोफेसर प्रीति सक्सेना, शकुंतला मिश्रा विवि की प्रोफेसर शेफाली यादव, सामाजिक कार्यकर्ता माधवी कुकरेजा, शालिनी माथुर आदि ने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर देश के अनेक विश्वविद्यालयों से आए छात्र-छात्राओं ने अपने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये।
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शुरुआत में जस्प्रुडेन्शिया के अध्यक्ष शुभम त्रिपाठी ने स्वागत उद्बोधन दिया। संगोष्ठी में आये सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह व शाॅल देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल श्री नाईक ने शकुंतला मिश्रा विवि की छात्रा रितिका अग्निहोत्री के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रख्यात महिलाओं चित्रों पर आधारित लगाई गई एक प्रदर्शनी का फीता काटकर उद्घाटन भी किया।