मुख्तार की विधानसभा सदस्यता पर खतरा, योगी सरकार कर रही ये तैयारी
बांदा जेल ट्रांसफर होने के बाद अब उनकी विधानसभा सदस्यता पर खतरों के बादल मंडराना शुरू हो गए हैं।
लखनऊ: यूपी विधानसभा के पांच बार के सदस्य एवं माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत रोपड (पंजाब) से वापस बांदा जेल ट्रांसफर होने के बाद अब उनकी विधानसभा सदस्यता पर खतरों के बादल मंडराना शुरू हो गए हैं। प्रदेश की योगी सरकार मुख्तार अंसारी की सदस्यता खत्म कराने को लेेकर कानूनी राय ले रही है।
इस तरह खत्म हो सकती है सदस्यता
गौरतलब है कि कई दिनों तक लगातार सदन की कार्यवाही में शामिल न होने पर भी सदस्यता रद्द करने का नियम है। अगर विधानसभा का कोई भी सदस्य सदन की कार्यवाही में 60 दिनों तक अनुपस्थित रहता है तो कानून उसकी सदस्यता को अनुच्छेद 190 के तहत खत्म किया जा सकता है।
मुख्तार पर दर्ज हैं दर्जनों मुकदमे
गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी पर अलग अलग राज्यों में 52 मुकदमें दर्ज हैं। माफिया मुख्तार अंसारी पर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोप है। गवाहों के मुकर जाने के कारण मुख्तार अंसारी को इस मामले में बरी कर दिया गया है। बता दें कि आज सुबह ही मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी की बांदा जेल में शिफ्ट किया गया है।
कुलदीप सेंगर की रद्द हो चुकी है सदस्यता
इससे पहले बांगरमऊ के भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर की भी विधानसभा की सदस्यता छीनी जा चुकी हैं। उन्नाव रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर की विधानसभा सदस्यता रद्द हो चुकी है। कुलदीप सिंह सेंगर का दोष सिद्ध होने के बाद यह कार्रवाई की गई थी।
कानून के अनुसार किसी अपराध में दोषी सिद्ध होने और कम से कम 2 साल की सजा होने के बाद कोई सांसद, विधायक या विधान परिषद सदस्य चुनावी प्रक्रिया में दोबारा हिस्सा नहीं ले सकता. सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2013 को लिली थॉमस बनाम भारत संघ केस की सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया था।