लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी

Update:2018-08-17 14:04 IST

लखनऊ: लखनऊ तो उनका अपना घर ही है लेकिन यहां उनका कोई घर नहीं है। उन्होंने घर बनाया ही नहीं। लगभग 70 उनके यही बीते हैं। अनगिनत यादे हैं। अनगिनत घटनाएं हैं। अनगिनत बाते हैं। अनगिनत कहानियां हैं। अटल जी और लखनऊ के रिश्ते को कुछ शब्दों में बाँध पाना बहुत कठिन है। फिर भी यहां उनके कुछ खास संस्मरण प्रस्तुत हैं -

अखबार, शादी से ज्यादा जरूरी

अटल बिहारी वाजपेयी जी लखनऊ में स्वदेश अखबार के संपादक थे। उसी दौरान कानपुर में अटल जी की बहन का विवाह समारोह पड़ा। शादी के दिन नानाजी देशमुख ने अटल जी से कहा कि आज तुम्हारी बहन की शादी है। अटल जी बोले, ‘अखबार, शादी से ज्यादा जरूरी है।’ नानाजी चुपचाप कानपुर चले गए।

यह भी पढ़ें: अटल बिहारी वाजपेयी होने का मतलब

वहां उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय से ये बात बताई। दीनदयाल जी कानपुर से लखनऊ आए। वह अटल से कुछ नहीं बोले और कंपोजिंग में जुट गए। शाम हुई तो उपाध्यायजी ने अटलजी से कहा, ‘यह जो गाड़ी खड़ी है। इसमें तुम तुरंत कानपुर जाओ। बहन की शादी में शामिल हो और मुझसे कोई तर्क मत करना।'

लखनऊ के होकर ही रहे

करीब 70 बरस अटल जी ने लखनऊ में गुजारे। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वे हमेशा इस शहर के ही होकर रह गए। लेकिन आज तक इस शहर में उनकी न ही एक इंच जमीन है और न ही कोई झोपड़ी।

मैं केवल कुर्ता पहन लूं और पैजामा न पहनू तो

अटल बिहारी वाजपेयी जी लखनऊ में भाजपा केतत्कालीन मेयर प्रत्याशी डॉ दिनेश शर्मा के पक्ष में आलमबाग के चन्दरनगर में एक सभा कर रहे थे। भाषण के बीच में अटल जी बोले 'मान लो कि मैं केवल कुर्ता पहन लूँ और पैजामा न पहनू तो ? आप लोगों ने मुझे सांसद बनाकर कुरता दे दिया है अब दिनेश को मेयर बनाकर पैजामा भी देना।'

अब जब सोचता हूं तो कोई मिलती नहीं

अटल बिहारी वाजपेयी जी से एक दिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों का एक समूह मिलने आया। उनमे से एक छात्र ने उनसे पूछा, आपने शादी क्यों नहीं की। अटलजी ने ठहाका लगाते हुए कहा, ‘यार जब शादी की उम्र थी तब जिंदगी की मस्ती ने इस बारे में सोचने का मौका ही नहीं दिया। अब जब सोचता हूं तो कोई मिलती नहीं।’ छात्र काफी देर तक हंसते रहे। थोड़ी देर बाद जब ये विद्यार्थी लौटने को उठे तो अटलजी ने फिर उस छात्र से कहा- ‘यार! देखना, अगर कोई मिले तो जरूर बताना।’

टण्डन जी संघर्ष करो, हम आपके साथ हैं

लालजी टंडन उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री थे और अटल जी लखनऊ से सांसद थे। गनेशगंज इलाके में पं0 दीन दयाल उपाध्याय स्मारक के लिए भूमि तलाशी गयी। कुछ लोगों ने उसे अवैध तरीके से कब्जा कर रखा था। किसी तरह उसे खाली कराकर भूमि पूजन के लिए टंडन जी ने अटल जी को आने के लिए मना लिया।

यह भी पढ़ें: …तो इसलिए अटल जी से नाराज हो गए थे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह

अटल जी आए और भूमि पूजन किया। कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद कुछ कार्यकर्ता लालजी टण्डन के लिए भी नारा लगाने लगे तो लालजी टंडन ने थोड़ा झेंपते हुए अटल जी की ओर देखा तो पाया नारा लगाने वालों में अटल जी भी थे। वह कह रहे थे, ‘टण्डन जी संघर्ष करो, हम आपके साथ हैं।’

शादी ही नहीं की...इसलिए स्वाद भी नहीं जानता

लखनऊ में चौक की राजा ठंडाई के मालिक विनोद तिवारी दुकान पर बैठे ही थे की अचानक अटल बिहारी वाजपेयी जी दुकान पर आ गए। उनके साथ लालजी टंडन, कलराज मिश्र और राजनाथ सिंह भी थे। तब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी। अटल जी किसी मुद्दे पर राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र से बात कर रहे थे। तभी दुकान मालिक विनोद जी ने इशारे से पूछा कैसी... सादी? अटल जी ने पलट कर जवाब दिया - मैं और सादी ! मैंने तो शादी ही नहीं की...इसलिए स्वाद भी नहीं जानता।

दादा जीत की बधाई

वर्ष 1957 का चुनाव था। अटल बिहारी वाजपेयी जी लखनऊ से चुनाव लड़ रहे थे। उनके सामने थे कांग्रेस से पुलिन बिहारी बनर्जी ‘दादा’। बनर्जी चुनाव जीते और अटलजी हार गए। जनसंघ के कार्यालय पर मौजूद लोग हार-जीत का विश्लेषण कर रहे थे, अटल जी उठे और कुछ लोगों के साथ पहुंच गए बनर्जी के घर। अटल को घर के सामने देख दादा के घर मौजूद लोग हड़बड़ा गए। अटल जी बोले, ‘दादा जीत की बधाई। चुनाव में तो बहुत कंजूसी की लेकिन अब न करो कुछ लड्डू-वड्डू तो खिलाओ।’

फूलकुमारी बुआ कहां रहती हैं

1957 में लखनऊ में चुनाव लड़ने के दौरान अटल बिहारी वाजेपयी जी ने अपने सहयोगी चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री जी से पूछा कि फूलकुमारी बुआ कहां रहती हैं। अग्निहोत्री जी बोले हमारे घर के पास। फूलकुमारी शुक्ल ग्वालियर में अटल जी के गुरु रहे त्रिवेणी शंकर वाजपेयी जी की बहन थीं। रात में बिना किसी को बताए अटल जी अग्निहोत्री जी के घर पहुंच गए और उनको लेकर बुआ के घर पहुंचे।

बुआ के पैर छुए और हालचाल पूछा। फूलकुमारी बुआ ने अटलजी की बातों का जवाब तो बाद में दिया। पहले वहां मौजूद सभी के पैर छूने का आदेश दिया। अटल जी ने लाइन से सबके पैर छुए चाहें बच्चा हो या बड़ा। कुछ लोगों ने उनका हाथ बीच में रोका तो बोले, ‘बुआ का आदेश है, पालन तो होगा ही।'

शवयात्रा में कोई गाड़ी से नहीं चलता

लखनऊ की वर्तमान मेयर संयुक्ता भाटिया के पति और तत्कालीन कैंट विधायक सतीश भाटिया की मृत्यु पर लखनऊ आए अटल बिहारी वाजपेयी जी शवयात्रा के साथ पैदल ही आलमबाग श्मशान घाट तक गए। अधिकारियों के लाख कहने पर भी उन्होंने सुरक्षा और गाड़ी लेने से इन्कार कर दिया। अटल जी बोले, ‘शवयात्रा में कोई गाड़ी से नहीं चलता।’ वे तब तक श्मशान घाट पर भी बैठे रहे जब तक अंत्येष्टि पूरी नहीं हो गई।

Tags:    

Similar News