Ram Mandir: परिसर में पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान…गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप, जानें अन्य विशेषताएं
Ram Temple Features: राम मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे।
Ram Temple Features: अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को होने वाले प्राणप्रतिष्ठा समारोह के जरिये रामलला अपने गृह में विराजमान होने जा रहे हैं। असंख्य कारसेवकोंके प्राणों की आहुति और कड़े संघर्ष के बाद करीब 500 साल के बाद अयोध्या में प्रभुश्री राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और प्रभु श्री राम आ रहे हैं। मंदिर निर्माणकी तैयारियों जोरों पर जारी हैं। भू तल बनकर तैयार हो चुका है। प्रथम तल पर निर्माणका कार्य जारी है। मंदिर के दूसरे तल पर काम विकसित किया जा रहा है। भव्य, सुशोभित, अलौकिक, अनोखा श्री राम मंदिर कानिर्माण तीन मंजिल में किया जा रहा है। ऐसे में जब मंदिर का निर्माण किया जा रहा है तो हर रामभक्त की इच्छा प्रफुल्ल हो रही है कि वह अपने इष्टदेव के मंदिर की विशेषताओं से भली भांति परिचित हो। इस ख्याल श्री राम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भी रखा रहा है।
गर्भगृह में निवास होंगे बाल स्वरूप श्रीराम
मंदिर निर्माण कार्य के बीच श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट आए दिन मंदिर से जुड़ी जानकारियों अपने आधिकारिक एक्स पोस्ट के माध्यम से देश वासियों के बीच दे रहा है। इस कड़ी में तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गुरुवार को निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं को साक्षा किया है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि अयोध्या में बने रहे भव्य मंदिर का निर्माण परम्परागत नागर शैली में किया जा रहा है। मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
पूर्व दिशा से सिंहद्वार से होगा प्रवेश
आगे कहा कि राम मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर में 5 मंडप बनाए जा रहे हैं। इसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप शामिल है।
पौराणिक काल का सीताकूप रहेगा विद्यमान
इसके अलावा श्रीराम मंदिर में खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। मंदिर परिसर में अन्य मंदिर भी निर्माण के लिए प्रस्तावित हैं। इसमें महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या का मंदिर बनाया जाएगा। इतना ही नहीं, मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
प्रभु श्रीराम मंदिर की अन्य विशेषताएं
मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं हो रहा है। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।
दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।
25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।
मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।
मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।