Ambedkarnagar Rape case: थाने के चक्कर काट चुकी रेप पीड़िता ने अब एसपी से लगाई गुहार
घर में अकेली जानकर गांव के ही कुलदीप व प्रदीप उसके घर मे घुस आए। जब उसने घर मे आने का कारण पूछा तो कुलदीप ने उसके साथ दुराचार किया।
Ambedkarnagar Rape case: सरकार ने महिलाओं को न्याय दिलाने के उद्देश्य से प्रदेश के सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना कर दी है। सभी महिला हेल्प डेस्क पर महिला पुलिस कर्मियों की ही तैनाती की गई है। लेकिन इसके बावजूद अगर न्याय के लिए महिलाओं को दर-दर भटकने के लिए मजबूर होना पड़े तो इसे क्या कहा जाएगा। मामला भीटी थाना क्षेत्र के ग्राम बोरे का है। पीड़ित युवती द्वारा 11 जुलाई को पुलिस अधीक्षक को दिए गए शिकायती पत्र के घर में अकेली जानकर गांव के ही कुलदीप व प्रदीप उसके घर मे घुस आए। जब उसने घर मे आने का कारण पूछा तो कुलदीप ने उसके साथ दुराचार किया। पीड़िता के अनुसार उसने उसी दिन भीटी थाने पर तहरीर दी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पीड़िता को जान से मारने की धमकी
बता दें कि प्रदेश सरकार ने थानों में भले ही नयी व्यवस्था लागू कर दी है लेकिन इसके बावजूद थाने अभी भी इंस्पेक्टर राज से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। आज भी थानों में वही मुकदमे दर्ज होते हैं अथवा कार्यवाही होती है जिस पर थाने के प्रभारी निरीक्षक अथवा थाना अध्यक्ष की सहमति होती है अन्यथा न्याय पाने के लिए पहले की तरह आज भी महिलाएं दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हो रही है। सरकार की नई व्यवस्था से महिलाओं को न्याय मिलने में कोई बदलाव आया हो, फिलहाल ऐसा देखने को नहीं मिल पा रहा है।
मामला भीटी थाना क्षेत्र के ग्राम बोरे का है। पीड़ित युवती द्वारा 11 जुलाई को पुलिस अधीक्षक को दिए गए शिकायती पत्र के अनुसार जब परिवार के सभी सदस्य धान बैठाने के लिए खेत मे गए हुए थे तो उस समय उसे घर में अकेली जानकर गांव के ही कुलदीप व प्रदीप उसके घर मे घुस आए। जब उसने घर मे आने का कारण पूछा तो कुलदीप ने उसके साथ दुराचार किया। इसी दौरान जब उसका 13 वर्षीय भाई आ गया तो प्रदीप भाग निकला। कुलदीप ने मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी दी और भाग निकला।
तहरीर के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
पीड़िता के अनुसार उसने उसी दिन भीटी थाने पर तहरीर दी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। हारकर उसने पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र दिया। देखना यह है कि अब भी भीटी पुलिस कार्रवाई करती है या नहीं। वंहीं थानाध्यक्ष के अनुसार केवल मारपीट की घटना हुई है। सवाल यह उठता है कि आखिर पुलिस पीड़िता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करने से क्यों भाग रही है। बिना जांच कराए पुलिस कैसे इस नतीजे पर पहुंच गई कि दुराचार नहीं हुआ है।