Ambedkarnagar News: सपा पर भारी पड़ रही पार्टी की अंतर्कलह

आपस में ही कई धड़ो में बंटे समाजवादी पार्टी के नेता घोषित उम्मीदवारों का सहयोग करने के बजाए आपसी लड़ाई में ही लगे रहे। इसका परिणाम रहा कि पार्टी नेताओं ने समाजवादी पार्टी पर विश्वास करने के बजाए दूसरे दलों की तरफ रुख करना बेहतर समझा।

Written By :  Manish Mishra
Published By :  Pallavi Srivastava
Update: 2021-07-09 08:31 GMT

अपने ही डुबो रहे सपा की लुटिया pic(social media)

Ambedkarnagar News: अध्यक्ष, जिला पंचायत के चुनाव की तरह प्रमुख क्षेत्र पंचायत के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी की अपनों ने ही उसकी लुटिया डुबोने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जिन लोगों पर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने विश्वास किया, उन्होंने ही उसे धोखा देने से परहेज नहीं किया।

देखते रह गए नेता, फुर्र हो गए प्रत्याशी

बात चाहे प्रत्याशियों के चयन की रही हो या अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के चयन की, हर जगह समाजवादी पार्टी को धोखा ही मिला। इसी धोखे का परिणाम रहा की पार्टी अध्यक्ष, जिला पंचायत के चुनाव की तरह प्रमुख, क्षेत्र पंचायत के चुनाव में भी बुरी तरह मुंह की खाने जा रही है। आपस में ही कई धड़ो में बंटे समाजवादी पार्टी के नेता घोषित उम्मीदवारों का सहयोग करने के बजाए आपसी लड़ाई में ही लगे रहे। इसका परिणाम रहा कि पार्टी नेताओं ने समाजवादी पार्टी पर विश्वास करने के बजाए दूसरे दलों की तरफ रुख करना बेहतर समझा।

गौर करें तो जँहागीरगंज में मीरा गौतम को समाजवादी पार्टी ने प्रमुख पद के लिए प्रत्याशी तो बना दिया लेकिन उसके संपर्क में आने से नेताओं ने किनारा कर लिया। परिणाम रहा कि नामांकन के दो दिन पूर्व ही मीरा गौतम ने चुनाव लड़ने से इंकार कर समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दे दिया। यह झटका सपा के अन्य नेताओं की बजाय आलापुर से विधानसभा प्रत्याशी बनने के लिए जोर आजमाइश कर रहे पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त को कुछ ज्यादा ही लगा होगा।

साजिश है या कुछ और

ऐसा ही मामला विकासखंड भीटी में भी देखने को मिला। समाजवादी पार्टी के नेता मलखान सिंह की पत्नी निर्मला को समाजवादी पार्टी ने काफी पहले ही प्रत्याशी घोषित कर रखा था। समाजवादी पार्टी को क्या पता कि सीढ़ी तक पहुंचने के लिए सिद्धांतों की किस प्रकार बलि चढ़ा दी जाती है। ऐसा ही हुआ भी। नामांकन के एक दिन पहले ही निर्मला ने सपा को तिलांजलि देते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली तथा येन केन प्रकारेण भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी बनकर निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख बन गई। हैरत इस बात को लेकर है कि समाजवादी पार्टी के नेता मलखान सिंह इस पूरी प्रक्रिया में कहीं भी नजर नहीं आए। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मिंटू सिंह ही अपनी चाची निर्मला सिंह के इर्द-गिर्द देखे जाते रहे। प्रश्न यह उठता है कि क्या मलखान सिंह को निर्मला सिंह का समाजवादी पार्टी में जाना अच्छा नहीं लगा या वह उन्हें समाजवादी पार्टी को छोड़ने से इनकार करते रहे। लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि दोनों हाथ में लड्डू होने की चाहत के चलते ही जहां मलखान समाजवादी पार्टी में बने रहकर पर्दे के पीछे से पूरा खेल खेलते रहे। वहीं निर्मला सिंह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली और समाजवादी पार्टी के नेता बेचारे बनकर देखते रह गए। कटेहरी विकासखंड में भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी का नामांकन यूं ही नहीं खारिज हो गया। बताया जाता है कि जिसको समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था उसके परिवार से पूर्व प्रमुख अजय सिंह सिपाही के मधुर संबंध रहे हैं। सूत्रों की माने तो पर्चा खारिज होने की प्रक्रिया भी एक साजिश के तहत ही अंजाम दी गई है।

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