Ayodhya News: कल्याण सिंह ने राम भक्तों के 'कल्याण' के लिए त्याग दी थी मुख्यमंत्री की कुर्सी
कल्याण सिंह ने हिंदुत्व का जो खाका खींचा उसी का परिणाम है अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है।
Ayodhya News: अयोध्या राम मंदिर निर्माण को लेकर शुरू हुए आंदोलन में शामिल होकर कल्याण सिंह ने अपने हिंदुत्व का जो खाका पूरे देश में खींचा आज उसी का परिणाम है अयोध्या में युद्ध स्तर पर भव्य राम मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है। राम मंदिर की खातिर उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन दांव पर लगाकर मुख्यमंत्री जैसी कुर्सी को छोड़ दिया। उन्होंने यह साबित कर दिया था कि अयोध्या का राम मंदिर मेरे लिए सर्वोपरि है, न कि सत्ता और सिंहासन। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनसंघ के साथ की थी। तभी से पार्टी के संगठनात्मक दृष्टिकोण से अयोध्या में उनका आना जाना लगा रहता था। छोटे से छोटे पार्टी कार्यकर्ताओं की पहचान उनसे बातचीत करना उन्हें उनके नाम से बुलाना, कार्यकर्ताओं को बेहद पसंद आता था।
वह धीरे-धीरे ही सही लेकिन पार्टी में काफी अहम और मजबूत होते चले गए और जब उनकी बदौलत उत्तर प्रदेश में बीजेपी को पहली बार सफलता मिली, तो पार्टी ने कल्याण सिंह को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि उनका पहला कार्यकाल करीब डेढ़ साल ही चला और बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन इनका यह कार्यकाल बहुत कुछ बता गया था, जिसमें उनकी निर्भीकता, स्पष्ट बोलना, सरकार को चलाना, लोगों को रोजगार देना जैसी तमाम बातें उभर कर आई थी।
यहां तक कि अफसरशाही भी कहीं हावी नहीं हो पाई थी। लोग आज भी उनके कार्यकाल को याद करते हैं। सरकार के दौरान उन्होंने अयोध्या में घटित घटना के दौरान कहा था कि कारसेवकों पर गोली नहीं चलाने का आदेश मैंने ही दिया था। हालांकि उनका पहला कार्यकाल करीब डेढ़ साल ही चला और बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
'कारसेवकों पर गोली नहीं चलाने का आदेश मैंने ही दिया था'
कल्याण सिंह को अपनी स्पष्टता के लिए भी जाना जाता था। वे अपनी बात बिना लागलपेट के बोलते थे। राम मंदिर का मुद्दा हो या कोई अन्य सवाल, कल्याण सिंह ने कभी बचाव का रुख नहीं अपनाया। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने साफ-साफ कहा था कि मैंने सुरक्षा के सारे इंतजामात किए थे, लेकिन कारसेवकों पर गोली नहीं चलाने का आदेश भी मैंने ही दिया था। 6 सितंबर, 1992 को जो हुआ, उसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हुए कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। बाद में उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया।
राम मंदिर राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न
कल्याण सिंह जब भी अयोध्या आते थे तो वह यही कहते थे 'राम मंदिर को हम किसी जाति का, मजहब का, राजनीति का और वोट बैंक का प्रश्न नहीं मानते। यह राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न है।'
कल्याण सिंह के शब्दों में 6 दिसंबर, 1992 की घटना
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से त्याग पत्र देने के पीछे का कारण बताते हुए कल्याण सिंह ने कहा था कि उस दिन अयोध्या के अंदर जो कुछ हुआ, उसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हुए मैंने इस्तीफा दिया था। मैंने कभी ये नहीं कहा कि ये किसी अधिकारी की गलती है या अन्य की। कल्याण सिंह ने कहा था कि यह न किसी की प्लानिंग थी और न ही इसकी किसी को जानकारी थी।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपने मंत्रिमंडल के साथ अयोध्या आकर जिस दृढ़ता से राम मंदिर निर्माण की शपथ ली, रामलला के दर्शन किए और नारा लगाया, राम लला हम आएंगे मंदिर यहीं बनाएंगे। वह आज फलीभूत हो रहा है, परंतु इस समय कल्याण सिंह मौजूद नहीं है। कल्याण सिंह के आगमन के बाद अयोध्या में जिस तरीके उनका स्वागत सत्कार हुआ वैसा फिलहाल अभी तक किसी का नहीं हुआ।
वह अपार भीड़ जनसैलाब बन गया था समाज के सभी वर्गों ने अपने अपने तरीके से उनका स्वागत सत्कार किया था, जो आज आंख के सामने लोगों के दिखाई पड़ रही हो लोग चर्चा कर रहे हैं उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर यह बात उभर कर आई है कि अगर स्पष्ट बहुमत की सरकार कल्याण सिंह को मिलती तो शायद उत्तर प्रदेश का नक्शा दूसरा होता। ऐसा अयोध्या के लोगों का मानना है कल्याण सिंह की फक्कड़ संत रामचंद्र परमहंस दास से बहुत बैठती थी और उनके द्वारा कही गई बात बतौर मुख्यमंत्री वह उसे निर्देश मानते थे ऐसा लगाओ उनका अयोध्या से था।