Milkipur By-Election: क्या अखिलेश के PDA फ़ॉर्मूले को योगी की MPDA रणनीति तोड़ पायेगी, जानें समीकरण
Milkipur By-Election: लोकसभा में मिली हार का बदला लेने के लिए योगी सरकार ने MPDA का फार्मूला अपनाया है।;
Milkipur By-Election: अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर 5 फरवरी को मतदान होना है। इस सीट पर मुख्य रूप से दो पार्टियों बीजेपी और सपा के बीच मुकाबला होना है। दोनों ही पार्टियों ने इस सीट पर अपनी ताकत झोंक दी है। इस सीट से सपा और बीजेपी ने अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। यहाँ जीत हासिल करने के लिए बीजेपी ने एमपीडीए का नया एजेंडा अपनाया है। जो सपा के पीडीए को चुनौती देगा। बीजेपी लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट हार गई थी जिसका बदला वो मिल्कीपुर सीट जीतकर चुकाना चाह रही है। बता दें कि इससे पहले यूपी में हुए 9 उपचुनाव सीटों में बीजेपी को 7 में जीत हासिल हुई थी।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 में पीडीए के जरिए 37 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई थी। लेकिन बीजेपी मिल्कीपुर में हर उस रणनीति को अमल में ला रही है, जिससे समाजवादी गढ़ में सेंध लगाई जा सके। हाल ही में योगी सरकार के कृषि मंत्री जेपीएस राठौर के दौरे और क्षेत्र में बीजेपी के लगातार सक्रिय नेताओं ने चुनावी तापमान बढ़ा दिया है।
सपा को टक्कर देने में लगी बीजेपी
माना जा रहा है कि सपा सांसद अवधेश प्रसाद का अगड़ी जातियों में अच्छा प्रभाव है। इसे कम करने के लिए बीजेपी ने महिलाओं और सामाजिक मुद्दों पर फोकस बढ़ा दिया है। साथ ही, सपा पर महिलाओं के अपमान और अन्य वर्गों की अनदेखी के आरोप लगाकर माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी का एमपीडीए फार्मूला समाजवादी पार्टी के पीडीए से एक कदम आगे बढ़ने की रणनीति है। इसमें महिला, पिछड़ा, दलित और अगड़ी जातियों को एक मंच पर लाने की कोशिश है। दूसरी ओर, अखिलेश यादव अपने गठबंधन के जरिए मिल्कीपुर सीट पर कब्जा बनाए रखने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं।
मिल्कीपुर उपचुनाव अब महज एक सीट का नहीं, बल्कि बीजेपी और सपा की सोशल इंजीनियरिंग का सबसे बड़ा मैदान बन चुका है। देखना यह होगा कि योगी का एमपीडीए मॉडल सपा के पीडीए के मुकाबले कितना कारगर साबित होता है।