कौन हैं सालार मसूद जिनकी सरजमी को मुद्दा बना रहा है एआईएमआईएम

Bahraich News: यूपी के बहराइच में राजा सुहेलदेव राजभर की सेना से हुए संघर्ष में मारे गए सालार मसूद गाजी पर ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम फिदा है।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Shweta
Update:2021-09-01 17:58 IST

कॉन्सेप्ट फोटो 

Bahraich News: यूपी के बहराइच में राजा सुहेलदेव राजभर की सेना से हुए संघर्ष में मारे गए सालार मसूद गाजी पर ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम फिदा है। नौ जुलाई , 2021 एआईएमआईएम चीफ असुद्दीन ओवैसी ने उनकी दरगाह पर पहुंचकर सजदा भी किया है। अब उनकी पार्टी दरगाह स्थल पर साफ-सफाई को मुद्दा बनाकर प्रदर्शन कर रही है।

बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर साफ-सफाई को मुद्दा बनाकर ओवैसी ने प्रदर्शन के साथ अपने इरादे साफ कर दिए हैं। यूपी में मुसलमानों को रिझाने के लिए एआईएमआईएम बेकरार है। उसकी बेकरारी को यूं भी समझा जा सकता है कि मुस्लिमों की भावनाओं से जुड़े मुद्दों पर बयानबाजी के साथ ही उसने सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर ध्यान केंद्रित कर दिया है।

बीती नौ जुलाई को असुद्दीन औवेसी ने गाजी मियां की दरगाह पर पहुंचकर सजदा किया है। बुधवार एक सितंबर को उनकी पार्टी के यूपी चीफ शौकत अली ने नगर पालिका परिषद पर समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया है। वह चाहते हैं कि गाजी मियां की दरगाह के आस-पास के हिस्सों की साफ-सफाई व सौंदर्यीकरण हो। इसे मुद्दा बनाते हुए उन्होंने एक पोस्टर भी जारी किया है जिसमें सालार मसूद की दरगाह के पास कूड़े का ढेर दिखाया है। उन्होंने पोस्टर में कहा है कि सालार की सर जमीन साफ करो।

कौन हैं सालार मसूद , कैसे बने गाजी

सैयद सालार मसूद गाजी या गाजी मियां की बहराइच में दरगाह है। उनके बारे में कहा जाता है कि​ वह महमूद गजनवी के भांजे थे। भारत विजय के अभियान में बहराइच पहुंचे थे। यहां उनका भीषण युद्ध महाराजा सुहेलदेव के साथ हुआ। जिन्हें राजभर समाज के लोग अपना पूर्वज मानते हैं। इस युद्ध में गाजी मियां की सेना पराजित हुई। राजा सुहेलदेव ने गाजी मियां का वध कर दिया। सालार मसूद के बारे में हालांकि ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं हैं। इसे किंवदंती ही माना जाता है लेकिन इस कथा के अनुसार अजमेर के मुसलमानों ने गजनी के सुल्तान महमूद गजनवी से हिंदू राजाओं को पराजित करने के लिए मदद मांगी थी। महमूद के सेनापति सालार साहू ने आकर हिंदू राजाओं को हराया। इससे खुश होकर महमूद गजनवी ने अपनी बहन का निकाह सालार के साथ कर दिया। इसी सालार का बेटा सालार मसूद था जो 16 साल की उम्र में भारत विजय के लिए निकल पड़ा। हिंदुओं को मारते-काटते हुए उसने 18 साल की उम्र में दिल्ली पर कब्जा जमाया। बाद में मेरठ, कन्नौज होते हुए वह लखनऊ के निकट सतरिख पहुंचा। यहां उसने अपना केंद्र बनाया और पूर्व, उत्तर व पश्चिम के शहरों को जीतने के लिए सेना भेज दी। हजारों हिंदुओं को मारने की वजह से उसे गाजी कहा गया । लेकिन जब उसके पिता की मौत के बाद बहराइच में उसकी सेना हार गई तो वहां लड़ने के लिए वह खुद पहुंच गया। राजा सुहेलदेव के साथ यहां उसकी सेना लड़ी लेकिन पराजित हो गई। इस युद्ध में सालार मसूद भी मारा गया। इसके बाद राजा सुहेलदेव को हिंदू नायक के तौर पर याद किया जाने लगा जबकि सालार मसूद के समर्थकों ने उसे गाजी मियां कहकर पूजना शुरू कर दिया। जहां वह मारा गया था वहीं पर उसकी मजार बनाई गई जिसे गाजी मियां की दरगाह कहा जाता है। इस दरगाह पर हर साल मेला लगता है। इसमें हिंदू - मुस्लिम दोनों शामिल होते रहे हैं।

राजभर समुदाय मानता है राजा सुहेलदेव को पूर्वज

उत्तर प्रदेश के राजभर समाज से आने वाले लोग महाराजा सुहेलदेव को अपना पूर्वज मानते हैं। बहराइच में राजा सुहेलदेव का मंदिर भी है जो शहर से लगभग नौ किमी दूर है। इस मंदिर के पास एक ताल भी मौजूद है। गाजी मियां को आक्रांता मानने वाले लोग राजा सुहेलदेव को भारत का हिंदू नायक मानते हैं और उनके मंदिर पर शीश नवाने आते हैं। जुलाई महीने में जब एआईएमआईएम के नेता ओवैसी ने दरगाह पर पहुंचकर सजदा किया था तो भाजपा ने इस पर एतराज किया था। भाजपा का कहना है कि ओवैसी ने देश पर आक्रमण करने वालों का सम्मान किया है। उन्हें राजा सुहेलदेव राजभर के मंदिर जाकर शीश नवाना चाहिए था।

दरगाह पर सफाई का संबंध राजा सुहेलदेव मंदिर के जीर्णोद्धार से

एआईएमआईएम का गाजी मियां प्रेम दरअसल मुस्लिम वोट बैंक से जुड़ा है। पार्टी इस बहाने मुस्लिम मतदाताओं के मर्म पर चोट करना चाहती है कि जो शख्स काफिरों से लड़ा, उन्हें मारकर गाजी बना। उसकी दरगाह की बेकदरी की जा रही है। स्थानीय पत्रकार अनुराग पाठक के अनुसार दरगाह का परिसर काफी बड़ा है। मुख्य स्थल के आस-पास सफाई पर्याप्त दिखती है। कहीं किसी हिस्से में कूड़ा हो सकता है लेकिन इस तरह के राजनीतिक प्रदर्शन की वजह राजा सुहेलदेव मंदिर परिसर की जीर्णोद्धार योजना हो सकती है। प्रदेश की योगी सरकार ने राजा सुहेलदेव मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण कराना शुरू कर दिया है। यहां मौजूद तालाब को भी वि​कसित कराया जा रहा है। इससे कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है। ऐसे राजनीतिक कार्यक्रम का मकसद भी इससे समझ में आ रहा है।

प्रदेश के अल्पसंख्यक मतों पर है एआईएमआईएम की नजर

प्रदेश की राजनीति में अपने पांव जमाने की कोशिश कर रही एआईएमआईएम की नजरें अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम मतदाताओं पर लगी हैं। यूपी में फिलहाल मुस्लिमों का झुकाव समाजवादी पार्टी की ओर दिखाई दे रहा है ऐसे में एआईएमआईएम ऐसे मुद्दों को उठाना चाह रही है जिससे वह मुस्लिमों के बीच अपनी पैठ बढ़ा सके। गाजी मियां की मजार पर साफ-सफाई का मसला भी इससे जुड़ा है। दूसरी ओर हिंदू महासभा के शिशिर चतुर्वेदी ने गाजी मियां की सरजमीन कहने पर भी एतराज किया है। उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रमणकारी की सरजमीन बहराइच कैसे हो सकती है। केवल बहराइच में आकर युद्ध लड़ने और मारे जाने से किसी जमीन पर उसका हक नहीं हो सकता है।

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