भूजल सप्ताह का समापन, सीएम योगी बोले- 'जल संरक्षित तो कल सुरक्षित'
उत्तर प्रदेश में 16 जुलाई से शुरू हुए भूजल सप्ताह का आज (गुरुवार 22 जुलाई) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समापन किया।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 16 जुलाई से शुरू हुए भूजल सप्ताह का आज (गुरुवार 22 जुलाई) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समापन किया। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित समापन समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह समेत तमाम लोग मौजूद रहे। 16 से 22 जुलाई तक चले भूजल सप्ताह समारोह में भूजल महत्व, संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए प्रदेशभर में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें निरंतर घटते भूगर्भ जलस्तर की समस्या के प्रति लोगों को जानकारी दी गई।
सीएम योगी ने क्या कहा
भूजल सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जल की क्या कीमत होती है, शायद उत्तर प्रदेश के लोग इसे सही से न समझते हों लेकिन जल की कीमत क्या है इसकी हकीकत जानना है तो राजस्थान जाइए। सीएम योगी ने कहा कि कभी देश का सबसे हरा भरा क्षेत्र रहा राजस्थान आज रेगिस्तान बन गया है।
वहां पानी के लिए लोग तरसते हैं। पानी के कारण राजस्थान की हरियाली गायब हो गई है। सीएम योगी ने कहा कि राजस्थान के जैसलमेर में सबसे कम बारिश होती है और जैसलमेर के लोगों ने पानी के संरक्षण के लिए जो उपाय किये हैं वह सराहनीय हैं। जैसलमेर के लोगों से उत्तर प्रदेश के लोगों को भी सीखना चाहिए।
सीएम योगी ने नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा नदी और उसके सहायक नदियों के लिए जो कार्य शुरू किया उसके सार्थक प्रयास सामने आए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी जल का दोहन होने से पानी की कमी होती जा रही हैं। 77 विकास खंडों में भूजल स्तर में लगातार गिरावट देखने को मिली थी।
उन्होंने कहा सन 2000 में 745 विकास खंड ऐसे थे जो लगभग सुरक्षित स्थिति में थे लेकिन इनकी संख्या तेजी से घटी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 4-5 सालों में कठिन परिश्रम कर कुछ हद तक जल स्तर को सुधारने में कामयाबी मिली है। लेकिन अभी इसके लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
अटल भूजल योजना की शुरुआत
पीएम नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती के मौके पर दिल्ली में अटल भूजल योजना की शुरुआत की थी। इसके जरिए भूजल का प्रबंधन किया जाएगा और हर घर तक पीने के स्वच्छ पानी को पहुंचाने की योजना पर काम होगा। मंगलवार को ही पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट मीटिंग में इसे मंजूरी दी गई थी।अटल भूजल योजना को 12 दिसंबर को ही वर्ल्ड बैंक की ओर से मंजूरी मिली है।
6,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में 50 फीसदी हिस्सेदारी भारत सरकार की होगी, जबकि आधा हिस्सा वर्ल्ड बैंक की ओर से खर्च किया जाएगा। इस स्कीम को जल संकट से प्रभावित उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में लागू किया जाएगा। इन राज्यों का चयन भूजल की कमी, प्रदूषण और अन्य मानकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।