Lucknow: दारोगा की ट्रेनिंग के एक साल बाद भी नहीं मिली जॉइनिंग, अभ्यर्थियों ने किया विरोध प्रदर्शन

2016 दारोगा भर्ती की ट्रेनिंग के एक साल बाद भी जॉइनिंग नहीं मिलने से नाराज अभ्यर्थियों ने लखनऊ में विरोध प्रदर्शन किया

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Published By :  Ashiki
Update:2021-07-27 17:53 IST

लखनऊ में अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन   

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में 2016 दारोगा भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया। अभ्यर्थी पहले बीजेपी कार्यालय पर प्रदर्शन करने जा रहे थे लेकिन वहां पहले से ही मौजूद भारी पुलिस फोर्स ने उन्हें वहां से हजरतगंज स्थित पुलिस भर्ती बोर्ड भेज दिया। जहां प्रदेशभर से आए अभ्यर्थियों ने अपनी बहाली को लेकर प्रदर्शन किया। बता दें 2016 में हुई इस भर्ती में 2486 अभ्यर्थियों चयनित किए गए थे। जिसमें 300 महिलाएं शामिल हैं, ये सभी एक साल की ट्रेनिग पूरी कर चुके हैं और अब ये अपनी नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

भर्ती को लेकर क्या है विवाद

बता दें साल 2016 में 3,307 पदों पर यूपी में दरोगा भर्ती निकली थी। जुलाई 2017 में इम्तिहान होना था, जो पेपर आउट होने की वजह से कैंसल हो गया। दिसंबर 2017 में इम्तिहान हुआ। परिणाम आते ही बोर्ड के मूल्यांकन के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चयनित 2,486 अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग जून 2019 से जून 2020 तक चली, लेकिन अब तक जॉइनिंग नहीं मिली है।


बताते हैं कि इस भर्ती में सफल हुए 600 से ज्यादा अभ्यर्थी पहले किसी सरकारी नौकरी में थे। कुछ सचिवालय में थे तो कुछ सिपाही के पद पर। कई दूसरी नौकरियों में भी थे। ट्रेनिंग पर जाने से पहले उन्होंने अपने मूल विभाग में धारणाधिकार की अर्जी दी और ट्रेनिंग पर चले गए। धारणाधिकार वह समय होता है, जिसके बीतने तक नौकरी से वितरत रहने और उस समय के भीतर दोबारा लौटने पर नियुक्ति का अधिकार रहता है। अब धारणाधिकार का समय पूरा होने पर इन चयनित अभ्यर्थियों ने अपने मूल विभागों में फिर अर्जी दी है कि उन्हें जॉइनिंग नहीं मिली है और वे लौटना चाह रहे हैं।


क्या है विवाद की वजह

दरअसल इस भर्ती को लेकर जो नोटिफिकेशन निकला था तब नॉर्मलाइजेशन का जिक्र कहीं नहीं था। इम्तिहान के कुछ दिन पहले भर्ती बोर्ड ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया। उसमें भी यह साफ नहीं था कि नॉर्मलाइजेशन हर स्टेप पर होगा या पूरे परीक्षा परिणाम पर। रिजल्ट आने पर 400 से ज्यादा लोगों को नॉर्मलाइजेशन की वजह से ज्यादा अंक मिले। कई के अंक प्राप्तांक से घट गए। इसी को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा है। अभ्यर्थियों ने इस मामले में शासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि कई अवसरों पर वकील सुनवाई में उपस्थित ही नहीं हुए। अगर ऐसा न होता तो यह मामला जल्द निपट जाता।

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