विधान परिषद में 'अब्बा जान' को लेकर जोरदार हंगामा, विपक्षी सदस्य वेल में आए

Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की आज हुई कार्यवाही के पहले दिन कानून व्यवस्था के अलावा अन्य मुद्दों के साथ ही मुख्यमंत्री के अब्बाजान शब्द पर सदन में समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Shweta
Update:2021-08-17 20:04 IST

विधान परिषद (फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की आज हुई कार्यवाही के पहले दिन कानून व्यवस्था के अलावा अन्य मुद्दों के साथ ही मुख्यमंत्री के अब्बाजान शब्द पर सदन में समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। इसके बाद मुख्य विपक्षी दल के सदस्य हंगामा करते हुए वेल में आ गए। सभापति ने सपा सदस्यों को अपने स्थान पर बैठने का निर्देश दिया और नेता विरोधी दल अहमद हसन और नरेश उत्तम ने सीएम के बयान पर आपत्ति की।

वहीं विधान परिषद में आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता लोगों का जीवन और जीविका बचाना दोनों है। कोरोना महामारी में सरकार ने इन दोनों दिशाओं में सार्थक कार्य किया है। जिसका नतीजा है कि यूपी में पूरे कोरोना काल में रिकवरी रेट 98.6 प्रतिशत और मृत्यु दर 1.3 प्रतिशत रही है। उन्होंने कहा वैक्सीन ही इस महामारी से बचाव का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। हमारी सरकार जाति, मत मजहब का भेदभाव किये बिना सभी को वैक्सीन लगा रही है। यूपी में अब तक सात करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शून्य काल में कोरोना महामारी से हुयी मौतों और सरकारी व्यवस्थाओं पर समाजवादी पार्टी के राम सुन्दर दास निषाद,शतरूद्र प्रकाश, आनन्द भदौरिया, नरेश उत्तम, राजपाल कश्यप आदि सदस्यों द्वारा उठाये गये कार्य स्थगन प्रस्ताव के जवाब में बोल रहे थे। उन्होंने पहले वैक्सीन नहीं लगवाने की बात कही और फिर जब अब्बाजान ने वैक्सीन लगवा ली तो वहीं नेता कहने लगे कि अब हम भी वैक्सीन लगवायेंगे। ऐसे नेताओं के ही पहले विरोध करने पर तमान लोगों जान गई है।

इसके पूर्व आज प्रश्नकाल विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया। सदन शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के सदस्य वेल में आ गये। सपा सदस्य महिलाओं पर अत्याचार, प्रदेश की कानून व्यवस्था, किसानों के उत्पीड़न, नये कृषि कानूनों को वापस लिये जाने के मुद्दे को उठाते हुए वेल में पोस्टर-बैनर लिये नारेबाजी कर रहे थे। वहीं बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों ने बाढ़ और किसानों के मुद्दे को लेकर अपने सीटों पर ही खड़े होकर विरोध प्रदर्शन किया।

सदन की कार्यवाही पूर्वाहन 11 बजे वन्देमातरम से शुरू हुयी। इसके बाद सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने कार्य परामर्शदात्री समिति की संस्तुति सदन में प्रस्तुत की। इसके बाद सदन ने अपने नौ पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। इस बीच मुख्यमंत्री भी सदन में मौजूद थे। सभापति के सदन को व्यवस्थित करने के अनुरोध किया पर सदय वेल में बैठ गये। इसके बाद सभापति ने राज्यमंत्री के निधन की सूचना पर सदन ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

शून्य काल में निर्दलीय शिक्षक समूह के राज बहादुर सिंह चन्देल, डा0आकाश अग्रवाल ने दोनों पालियों में स्कूल खोले जाने के सरकार के आदेश को अनुचित बताते हुए कहा कि इससे शिक्षकों पर बोझ पड़ेगा। विद्यालयों का अनावश्यक व्यय भार बढ़ेगा। इस मुद्दे पर शिक्षक दल के सदस्य सुरेश कुमार त्रिपाठी और ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने भी समर्थन किया। इनका कहना था कि सरकार को अपने फैसले में बदलाव करना चाहिए। यह अधिकारियों के कहने पर बना आदेश है। जो व्यावहारिक नहीं है। नेता सदन डा0दिनेश शर्मा ने कहा यह स्थायी व्यवस्था नहीं है। सदस्य पहले आदेश को ठीक तरह से पढ़ें। सदस्यों की जानकारी पूर्ण नहीं है। विद्यालय में प्राचार्य को तय करना है कि किस शिक्षक को कितने पीरियड पढ़ाना है।

शून्य काल में ही समाजवादी पार्टी के सदस्यो ने गन्ना किसानों के बकाये भुगतान का मुद्दा कार्य स्थगन के रूप में उठाया। सपा सदस्यों का आरोप था कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का लगभग 15 हजार करोड़ बकाया है। सरकार बकाये की सच्चाई नहीं बता रही है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने गन्ना किसानों का अब तक सर्वाधिक 1.34 लाख करोड़ के भुगतान की की बात कही। उन्होंने कहा कि अब मात्र 6 हजार 5 सौ करोड़ का भुगतान ही बकाया है। सरकार के जवाब से अन्तुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।

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