Lucknow: LDA में बाबुओं और दलालों का खेल, लेफ्टिनेंट कर्नल के जमीन की हो गई फर्जी रजिस्ट्री

भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल की मौत के बाद उनकी जमीन को एलडीए के बाबुओं और दलालों की मिलीभगत से किसी और के नाम कर दिया गया।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Newstrack :  Network
Update: 2021-07-21 06:15 GMT
लखनऊ विकास प्राधिकरण, फाइल, सोशल मीडिया

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के कारनामे अक्सर आपको पढ़ने और देखने को मिल जाते होंगे। यहां शायद ही कोई योजना ऐसी हो जिसमें खेल न होता हो। जिसमें आम लोग पिसते हैं और एलडीए में बैठे जिम्मेदार अपनी जेब भरते हैं। एक ऐसा ही मामला गोमती नगर के वास्तु खंड में सामने आया है। भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल की मौत के बाद उनकी जमीन को एलडीए के बाबुओं और दलालों की मिलीभगत से राम आशीष सिंह यादव के नाम कर दिया गया और उनके नाम दूसरे इलाके में जमीन आवंटित कर दी गई। मृतक ले. कर्नल की पत्नी ने एलडीए के सचिव से शिकायत कर जमीन वापस दिलाने की अपील की है।

बाबू और दलालों ने किया खेल

मृतक लेफ्टिनेंट कर्नल आरएस यादव की पत्नी मुखराजी देवी ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव को पत्र देकर जमीन वापस दिलाने की अपील की है। मुखराजी देवी द्वारा दिए गये शिकायती पत्र में कहा गया है कि भारतीय सेना में ले. कर्नल आरएस यादव ने 30 दिसंबर 1982 में लविप्रा की गोमती नगर योजना के विजयंत खंड में भूखंड संख्या बी 4/179 खरीदा था। आवंटी ने नौ किश्तों में समस्त धनराशि 30 सितंबर 1987 तक जमा कर दी। इस बीच 26 जून 1999 को आरएस यादव का देहांत हो जाता है। इस दौरान पत्नी मुखराजी देवी द्वारा कई पत्र लविप्रा में दिए गए कि भूखंड उनके नाम कर दिया लेकिन उनके नाम जमीन नहीं की गई। बाद में कूटरचित व षडयंत्र के तहत झूठा शपथ पत्र बनवाकर नौ अक्टूबर 1993 को भूखंड राम आशीष सिंह यादव के नाम आवंटित कर दिया गया। लविप्रा के बाबुओं और दलालों की मिलीभगत से भूखंड संख्या बी 4/179 का पता बी 1/95 डी विनीत खंड गोमती नगर आवंटित कर दिया। पीड़ित ने पति के फर्जी हस्ताक्षर की बात कही है।

एलडीए में ऐसे सैकड़ों मामले हैं

एक अन्य मामले में आवंटी विमल को गोमती नगर के विभूति खंड में वाणिज्य भूखंड 3/56 लविप्रा ने आवंटित किया था। दलालों और बाबुओं के कॉकस ने इनके 300 वर्ग मीटर भूखंड को भी नहीं छोड़ा। कई करोड़ के इस भूखंड को भी फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करा ली गई। पीड़ित ने सचिव के यहां शिकायत की है। लविप्रा की हर योजना में खेल हुआ। योजना देख रहे अधिकारी से लेकर दलाल व बाबुओं के कॉकस ने प्राधिकरण को आर्थिक चोट पहुंचाने के साथ ही छवि धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

वहीं गोमती नगर के वास्तु खंड के छह संपत्तियां, फिर पचास संपत्तियों में मृतक कर्मचारियों की आइडी उपयोग करके खेल हुआ। इसके बाद 450 संपत्तियों का नामांतरण रोक के बाद कर दिया गया। ट्रांसपोर्ट नगर में भूखंड घोटाला, प्रियदशनी नगर योजना में फर्जी रजिस्ट्री, गोमती नगर में अन्य आठ भूखंडों में खेल करके बाहर ही बाहर रजिस्ट्री करा ली गई। नवंबर 2020 से साइबर सेल भी 56 संपत्तियों में हुई हेरफेर की जांच कर रही है, लेकिन नौ माह बाद भी जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।

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