Lucknow News: ऐतिहासिक बुद्धेश्वर मंदिर के सीताकुण्ड सरोवर का होगा सौंदर्यीकरण, माता सीता ने किया था स्नान

Lucknow News: लखनऊ में नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने राजधानी के ऐतिहासिक बुद्धेश्वर मंदिर पहुंचे।

Published By :  Divyanshu Rao
Update:2021-08-01 10:09 IST

सीताकुण्ड सरोवर का होगा सौंदर्यीकरण का शिलान्यास करते आशुतोष टंडन (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के राजधानी लखनऊ (Lucknow) में नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने राजधानी के ऐतिहासिक बुद्धेश्वर मंदिर पहुंचे। मंत्री आशुतोष टंडन के साथ मेयर संयुक्ता भाटिया और बीजेपी के तमाम नेता मौजूद रहे। आशुतोष टंडन ने प्रसिद्ध बुद्धेश्वर मंदिर में बने सीताकुंड सरोवर के सुंदरीकरण कार्य का शिलान्यास किया। इस दौरान आशुतोष टंडन के साथ तमाम बीजेपी नेताओं ने सावन मास में भगवान भोले का अभिषेक भी किया। बता दें लखनऊ विकास प्राधिकरण के अवस्थापना निधि से करीब 1.50 करोड़ रुपये से इस ऐतिहासिक सरोवर का सुंदरीकरण कराया जाएगा।

आशुतोष टंडन ने दिवंगत विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव को नमन किया

शिलान्यास कार्यक्रम में नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने दिवंगत विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव को नमन करते हुए कहा कि मंदिर के विकास में उनका योगदान सराहनीय था। उन्हीं की प्रेरणा से सुंदरीकरण किया जा रहा है। आचार्य राजेश शुक्ला, ओम प्रकाश शास्त्री व शैलेंद्र शास्त्री के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मंत्री ने सुंदरीकरण का शिलान्यास कर भूमि पूजन किया। इस अवसर पर महापौर संयुक्ता भाटिया, कैंट विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश चंद्र तिवारी, नीरज सिंह समेत मंदिर कमेटी के सदस्य व कार्यकर्ता शामिल हुए।

शिलायान्स कार्यक्रम के दौरान यूपी सरकार के मंत्री आशुतोष टंडन और बीजेपी नेता


महंत लीलापुरी ने बताया माता सीता ने इसी कुंड में स्नान किया

बुद्धेश्वर मंदिर की महंत लीलापुरी ने बताया कि कथानक यह है कि अयोध्या से जब मां सीता का भगवान श्रीराम ने त्याग किया था। तब लक्ष्मण जी उन्हें वन में छोड़ने इसी रास्ते से गए थे। सीताजी ने इसी कुंड में स्नान कर भगवान शिव की पूजा की थी। मंदिर परिसर में सीताकुंड के पास ही रामायण काल के समय का वट वृक्ष भी है।

मां जानकी को छोड़ने जाते समय लक्ष्मण जी परेशान थे कि मां के समान भाभी को कैसे वन में छोड़ें। उसी समय उन्होंने शिव जी की स्थापना की। भगवान शिव की कृपा से ही उन्हें विश्वास हुआ कि श्रीराम भगवान विष्णु और मां जानकी मां लक्ष्मी का अवतार हैं। इसका ज्ञान होने पर विचलित मन शांत हुआ और वह सीता जी को वन में खुशी से छोड़ आए। वह दिन बुधवार था। इसलिए सिद्धपीठ को बुद्धेश्वर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि आप कितना भी परेशान हों, बाबा बुद्धेश्वर बाबा के दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

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