Lucknow News: हृदय नारायण दीक्षित ने कहा- महापुरुष अपने समय से दो कदम आगे चलते हैं

Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि महापुरुषों की विशेषता होती है कि वे अपने समय से दो कदम आगे चलते हैं।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-07-29 16:46 GMT

हृदय नारायण दीक्षित (फोटो: सोशल मीडिया)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि महापुरुषों की विशेषता होती है कि वे अपने समय से दो कदम आगे चलते हैं। सप्रे जी के लेखन से यह पता चलता है कि किस तरह उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से एक नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया। सप्रे जी ने एक ऐसे समाज की रचना करने की कोशिश की, जहां उनकी आने वाली पीढ़ी सुख और शांति के साथ रह सके।

यह विचार उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने पं. माधवराव सप्रे की सार्द्ध शती (150वीं जयंती वर्ष) के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'सप्रे प्रसंग' में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ''पं. माधवराव सप्रे भारतीय नवजागरण के पुरोधा थे। आज का भारत सप्रे जी की तपस्या का परिणाम है। उनका पूरा जीवन संघर्ष और साधना की मिसाल है।'' आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार एवं 'साहित्य परिक्रमा' के संपादक डॉ. इंदुशेखर 'तत्पुरुष', प्रख्यात कथाकार जया जादवानी एवं भारतीय संस्कृति संसद, कोलकाता की साहित्य विभाग प्रमुख डॉ. तारा दूगड़ ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी भी विशेष तौर पर उपस्थित थे।
'पं. माधवराव सप्रे की पत्रकारिता में राष्ट्रीय चेतना' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि सप्रे जी ने भारतीय वैदिक परंपरा और संस्कृति को आधार बनाकर अपने लेखन के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्रबोध को जगाने का काम किया। उनके निबंधों को पढ़ने पर मालूम होता है कि उनके ज्ञान का दायरा कितना व्यापक था। उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता और हिंदी भाषा के विकास में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
'साहित्य परिक्रमा' के संपादक डॉ. इंदुशेखर 'तत्पुरुष' ने कहा कि सप्रे जी का मानना था कि एकजुट होकर ही स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। सप्रे जी की सार्द्ध शती के अवसर पर उन्हें याद करना सही मायने में अपने उस पुरखे को याद करना है, जिसने हमें भाषा और संस्कार दिए। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी उस सपने के लिए न्योछावर कर दी, जिससे यह देश और उसके लोग आजादी की हवा में सांस ले पाएं।
प्रख्यात कथाकार जया जादवानी ने कहा कि सप्रे जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वे प्रखर पत्रकार थे, तो कुशल लेखक भी थे। उन्हें हिंदी की पहली मौलिक कहानी लिखने का श्रेय प्राप्त है। अपनी कहानियों के माध्यम से सप्रे जी ने समाज को मानवता का संदेश देने का काम किया।
भारतीय संस्कृति संसद, कोलकाता की साहित्य विभाग प्रमुख डॉ. तारा दूगड़ ने कहा कि सप्रे जी बोलना कम और लिखना ज्यादा पसंद करते थे। अपनी लेखनी के माध्यम से उन्होंने भारतीय जनमानस को एक सूत्र में बांधने का काम किया। साधन और सुविधाओं को छोड़कर सप्रे जी ने विपदा ओर चुनौती का मार्ग अपनाया। उन्होंने कहा कि पं. माधवराव सप्रे पत्रकारिता को सामाजिक जागरुकता का अस्त्र मानते थे। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने भारत के लोगों में आत्मबोध जगाने का काम किया।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि पं. माधवराव सप्रे ने भारतीय समाज को 'आत्म विस्मृति' से 'आत्म परिचय' की ओर ले जाने का काम किया। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी कर रहा है। अमृत महोत्सव मनाने का उद्देश्य है कि हम अपने पुरखों का स्मरण करें और उनके विचारों का अनुसरण करें।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी पत्रकारिता विभाग के पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. आनंद प्रधान ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने किया।


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