Lucknow News: पलायन थमेगा तभी मिलेगी संक्रमण से मुक्ति: अभय सिंह

रज्जु भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित बच्चे हैं अनमोल कार्यक्रम के 15 वें अंक में कई गणमान्य अतिथियों ने अपना बात रखी

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Raj
Update:2021-07-27 21:47 IST

संवाद केंद्र में गणमान्य अतिथि

Lucknow News: कोरोनाकाल में जनसंख्या का इतना बड़ा विस्थापन हुआ, जो आज़ादी के बाद कभी देखने को नहीं मिला, जिसके कारण शहरी एवं ग्रामीण संरचनाओं पर जबरदस्त दबाव उत्पन्न हुआ। कोरोना जैसी महामारियां आगे भी देखने को मिल सकती हैं, ऐसे में गांवों में हमें अपनी आय के स्रोतों को बढ़ाना होगा, इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका अहम है। यदि हम पलायन रोकने में सफल हुए तो कोरोना जैसी महामारियों से लड़ सकेंगे।

उक्त बातें कार्यक्रम अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र अम्बरपुर, सीतापुर के अध्यक्ष श्री अभय सिंह जी ने मंगलवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित 'बच्चे हैं अनमोल' कार्यक्रम के 15वें अंक में कहीं। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।


कोरोना के बाद पूरे देश में हुए पलायन चिंता का विषय- अभय सिंह

कार्यक्रम अध्यक्ष अभय सिंह ने कोरोना की पहली लहर के समय पूरे देश में हुए पलायन को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महामारी के समय पूरे देश में हुए पलायन को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने कृषि विज्ञान केन्द्रों से किसानों की आय दोगुनी करने का दायित्व सौंपा है, जिससे लोग गांव में ही रुकें और कोई न कोई रोजगार शुरू करें। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति किसी अन्य शहर में रहता है तो उसकी कमाई का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा उसकी आवश्यकताओं में व्यय हो जाता है और 30 प्रतिशत ही वह बचा पता है।

हालांकि जब अपने ही शहर या गांव में रहता है तो ये अनावश्यक खर्चे बच जाते हैं। ऐसे में सरकार और कृषि विज्ञान केन्द्रों का प्रयास है कि घर बैठे 18-20 हजार रुपए महीने में प्रति व्यक्ति आय हो जाए तो प्रवासी मजदूरों का पलायन रुक जाएगा। उन्होंने कहा कि पलायन रोकना जरूरी है, क्योंकि इससे कोरोना के संक्रमण के फैलाने की आशंका बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है ज्यादा से ज्यादा लोगों को आत्मनिर्भर बनाना और स्वरोजगार प्रदान करना, क्योंकि स्वावलंबन ही देश की आत्मा है।

मुख्य वक्ता आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. एसपी चौहान जी ने कही महत्वपूर्ण बातें

मुख्य वक्ता आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. एसपी चौहान जी ने कहा कि आयुर्वेद में महर्षि कश्यप को शिशु रोग विशेषज्ञ माना गया है। उन्होंने ही सुवर्ण-प्राशन कल्प (सीरप) इजाद किया। इसके महत्व को देखते हुए इसे 16 संस्कारों में से एक संस्कार भी माना जाता है। कश्यप संहिता में सुवर्ण-प्राशन के महत्व को बताया गया है। यह मेधा (बुद्धि), अग्नि (पाचन अग्नि) और बल बढ़ाने वाला है। यह लंबी आयु, कल्याण कारक, पुण्य कारक, वर्ण (तेज बनाने वाला) और ग्रह पीड़ा को दूर करने वाला है।

इसके नित्य सेवन से बच्चा बुद्धिमान बनता है और रोगों से रक्षा होती है। सुवर्ण प्राशन का लगातार छह महीने तक सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा। इससे कोरोना ही नहीं, किसी भी प्रकार के संक्रमण को रोकने की क्षमता विकसित होगी। उन्होंने कहा कि सुवर्ण-प्राशन एक आयुर्वेदीय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की विधि है। जिस प्रकार एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण प्रयोग किया जाता है। उसी प्रकार आयुर्वेद में इसका उपयोग किया जाता है।

कोरोना काल ने हमारी भौतिकतावादी सोच को बदला है

उन्होंने बताया कि यह शुद्ध स्वर्ण, गाय का घी, शहद, अश्वगंधा, ब्राह्मी, गिलोय, शंखपुष्पी जैसी औषधियों से निर्मित किया जाता है। इस दवा की चंद बूदें ही बच्चों को पिलाई जाती है। छह महीने से लेकर 16 साल तक के बच्चों को यह दवा पुष्य नक्षत्र में पिलाई जाती है। इस दवा का असर चार से छह महीने में दिखने लगता है। विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ आईएएस व लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने कहा कि कोरोना काल ने हमारी भौतिकतावादी सोच को बदला और आवश्यकतानुरूप जीवन जीना सिखाया है।

जब बाहरी सुख-सुविधाओं की चीजें बंद थी तो घर में परिवारों के बीच सम्बंध और भी मजबूत हुए। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने लोगों को बिना दबाव के स्वयं अनुशासन का पालन करना सिखाया, जिससे प्रशासन को भी अपना काम करने में आसानी हुई। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रशासन की ओर से लोगों को सहायता पहुंचाई गई, जरूरी चीजें पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर में समाज का भरपूर सहयोग मिला, लेकिन दूसरी लहर में काफी लापरवाही भी देखी गयी, जिसका खामियाजा हम सभी ने भुगता है।

कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए सभी लोगों को अनुशासित होने की आवश्यकता है


इसलिए कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए हम सभी लोगों को फिर से अनुशासित होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के लोग व्यक्तिगत तौर पर दुनियाभर में सबसे ज्यादा साफ-सफाई रखते हैं, किन्तु सार्वजनिक चीजों को साफ-सुथरा रखने को हम अपनी ज़िम्मेदारी नहीं समझते। अब धीरे-धीरे इस व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है। साफ सफाई की ज़िम्मेदारी हम सबकी है।कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख श्री सौरभ मिश्रा जी ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के बालिका शिक्षा प्रमुख श्री उमाशंकर मिश्रा जी, सह प्रचार प्रमुख श्री भास्कर दूबे, सुश्री शुभम सिंह सहित कई पदाधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

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