Lucknow News: स्मारक घोटाला में BSP के पूर्व नेताओं की बढ़ेगी मुश्किलें, विजिलेंस साक्ष्यों पर मांगेगी जवाब

Lucknow News:नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा पर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस विभाग) सख्त होने वाला है।

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Newstrack :  Divyanshu Rao
Update: 2021-07-10 04:08 GMT
बसपा के पूर्व नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा-फोटो सोशल मीडिया

Lucknow News: बसपा (BSP) की सरकार के कद्दावर नेता मायावती के सबसे विश्वसनीय, भरोसे मंद और नजदीकियों में गिने जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा पर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस विभाग) सख्त होने वाला है। मिली जानकारी के मुताबित इस महीने के आखिरी सप्ताह तक बसपा के पूर्व कद्दावर नेताओं से पूछताछ होगी। ये पूछताछ एकत्र किए गए साक्ष्यों आधार और गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों के बयानों पर आधारित होगी। विजिलेंस विभाग दोनों नेताओं से पूछताछ की लिए प्रश्नों की लंबी लिस्ट बनाई है।

आपको बता दें कि इससे पहले लोकायुक्त की जांच में इन नेताओं पर लगभग 1400 करोड़ रुपए के घोटाले की आशंका जताई गई थी। इन नेताओं पर बसपा सरकार में राजधानी लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में बने स्मारकों के निर्माण में घोटाले का आरोप लगा है। कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन चार बड़े अफसरों की गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस विभाग बसपा के पूर्व नेताओं से पूछताछ कर सकता है। ये दोनों मंत्री बीएसपी सरकार में आवास और खनन विभाग में मंत्री थे।

बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी बीएसपी के पूर्व नेता- फोटो सोशल मीडिया


विजिलेंस ने घोटाले से जुडें दो आरोपियों को गिरफ्तार किया

जानकारी के मुताबित विजिलेंस विभाग ने स्मारकों में लगे पत्थरों की आपूर्ति के ठेके से जुड़े रहे दो आरोपियों रमेश यादव और किशोरी लाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। विजिलेंस विभाग की जांच में ये साफ हो चुका है कि मिर्जापुर से लाए गए पत्थरों को राजस्थान से लाए जाने का दावा किया गया था। और परिवहन विभाग के इन पत्थरों का फर्जी बिलों का भुगतान करा लिया गया था। मिली जानकारी के मुताबित पत्थरों की कीमतों को लेकर परिहन विभाग में बड़ी गड़बड़ी देखने को मिली है। आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों को सत्ता का संरक्षण मिला हुआ था।

दर्ज एफआईआर के आधार पर हो रही जांच

जब 2013 में सपा सरकार में शासन को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में लोकायुक्त ने सीबीआई या उसके अलावा किसी अन्य सक्षम एंजेसी से घोटाले की विस्तृत जांच की मांग की थी। शासन की इस रिपोर्ट में 199 लोगों को अपराधी बनाया गया था। तो वहीं 2014 की वर्तमान सपा सरकार ने लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट के बेस पर घोटाले की विस्तृत जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस विभाग को सौंपी थी। जिसके बाद विजिलेंस विभाग ने साल 2014 में लखनऊ के गोमती नगर थाने में बसपा के पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा सहित 19 नामजद और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जिसके बाद अब इसी एफआईआर के आधार पर विजिलेंस विभाग के द्वारा इसकी जांच की जा रही है।

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