Lucknow News: सूबे में डग्गामारी पर कैसे लगे अंकुश, जब सफेदपोशों का मिला है संरक्षण
परिवहन विभाग के सूत्रों की मानें तो लखनऊ में जारी बसों की डग्गामारी पर अंकुश लगा पाना बहुत ही जोखिम भरा काम है।
Lucknow News: परिवहन विभाग के सूत्रों की मानें तो लखनऊ में जारी बसों की डग्गामारी पर अंकुश लगा पाना बहुत ही जोखिम भरा काम है। विभाग के सूत्र बताते हैं कि इन डग्गामार बसों के मालिकानों को सीधा सफेदपोश लोगों का संरक्षण प्राप्त रहता है। इसीलिये जब भी राजधानी में इन डग्गामार बसों के खिलाफ अभियान चलाया जाता रहा तब तब इसे सफेदपोशों ने प्रभावित ही किया है।
हालांकि जब इस सन्दर्भ में न्यूजट्रैक की टीम ने राजधानी के परिवहन विभाग के लखनऊ ज़ोन के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से बात की तो उन्होंने बताया कि बाराबंकी में हुई वीभत्स सड़क दुर्घटना को विभाग ने काफी गम्भीरता से लिया है और अब डग्गामारी के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जा रहा है। इसका व्यापक परिणाम भविष्य में देखने को मिलेगा।
परिवहन विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वर्तमान समय में लखनऊ से सूबे के विभिन्न शहरों व राज्यों में यात्रियों को ढोने वाली डग्गामार बसों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। एक आकलन के मुताबिक इनकी संख्या 500 के लगभग है और इन डग्गामार बसों से सरकार के राजस्व को प्रति माह कई करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
लखनऊ से ही सिर्फ आगरा, दिल्ली व राजस्थान के जयपुर तक यात्रियों को ढोने वाली डग्गामार बसों की संख्या वर्तमान में लगभग 100 के आसपास है। सूत्रों ने बताया कि ये सभी बसें लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे से होकर आती जाती हैं।परिवहन विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इन डग्गामार बसों के अपने पेड जासूस भी हैं। जो रास्ते भर परिवहन चैकिंग दस्ते की जानकारी इन्हें मुहैया करवाते हैं, ये इनके जासूस लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर सिर्फ इस बात पर नजर रखते हैं कि परिवहन विभाग का चैकिंग दल कब और कहां खड़ा होकर चैकिंग कर रहा है।
सूत्र बताते हैं इन डग्गामार बसों के ये पेड जासूस सिर्फ लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर ही नहीं बल्कि राजधानी से गुजरने वाले हर हाइवे पर वे इस बात की जासूसी करते हैं कि परिवहन विभाग का चैकिंग दल कब, कहाँ और किस स्थान पर चैकिंग कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि डग्गामार बसों के इन मुखबिरों के खिलाफ इसलिये कोई कार्रवाही नहीं की जा सकती है, क्योंकि ज्यादातर ये स्थानीय लोकल लेवल के लोग होते हैं। इसलिए इन्हें पहचान पाना बहुत मुश्किल होता है।
डग्गामार बस माफियाओं की गिरफ्त में है प्रदेश
राजधानी लखनऊ में इन डग्गामार बसों के सवारी भरने के स्थान थाना काकोरी, पारा, मानक नगर, कृष्णा नगर, चिनहट व आलमबाग जैसे पॉइंट हैं। ठीक इसी तरह से सूबे के कानपुर शहर में फजलगंज इन डग्गामार बसों का मुख्य पॉइंट हैं।जबकि इटावा में नया बस स्टैंड तिराहा इन डग्गामार बसों का मुख्य पॉइंट है। इसी तरह से आगरा शहर में आईएसबीटी, ईदगाह, बिजलीघर, रामबाग चौराहा, इन डग्गामार बसों के मुख्य पॉइंट हैं। राजधानी लखनऊ समेत राज्य के इन सभी डग्गामार बस पॉइंट्स से देश के हर हिस्से में यात्री लाने व ले जाने की सुविधा ये डग्गामार बस माफिया यात्रियों को देते हैं।
सूत्र बताते हैं कि राजधानी लखनऊ समेत राज्य के इन शहरों में इन डग्गामारी बसों के पॉइंट्स पर परिवहन विभाग से जुड़े कुछ अधिकारी व कर्मचारियों तथा सम्बंधित थाना पुलिस के लोगों की भी विशेष कृपा रहती है। इनकी यही विशेष कृपा हमेशा प्राप्त होती रहे उसके एवज में इन डग्गामार वाहनों के मालिकान पुलिस व परिवहन विभाग के इन लोगों के पास तक एक अच्छा खासा मासिक सुविधा शुल्क भी पहुंचाते रहते हैं।
डग्गामार माफियाओं की गिरफ्त में है बस यातायात
न्यूजट्रैक की टीम ने राजधानी के आलमबाग, हजरतगंज, कैसरबाग जैसे स्थानों पर खड़े यात्रियों से यह जानने का प्रयास किया कि लम्बी दूरी की यात्रा वो किस सुविधा से करना पसंद करते हैं। तो इन यात्रियों के जवाब बेहद चौंकाने वाले रहे।इन सभी यात्रियों ने बताया कि वैसे तो वे ट्रेन से ही लम्बी दूरी की यात्रा करना पसंद करते हैं। लेकिन जैसे आजकल ट्रेनें कम चल रही हैं, ऐसे माहौल में वे सरकारी बसों से ज्यादा प्राइवेट बसों से ही यात्रा करना पसंद करते हैं। इन यात्रियों का कहना था कि सरकार के पास लम्बी दूरी की यात्रा के लिये अच्छी लक्जरी बसें पर्याप्त संख्या में नहीं हैं, और जो सरकारी लक्जरी बसे हैं भी तो उनका किराया एक लक्जरी प्राइवेट बस की तुलना में बहुत ज्यादा होता है।
यात्रियों का कहना था कि सरकार की लग्जरी बस से जितने किराए में एक यात्री दिल्ली पहुंचेगा, उससे थोड़ा अधिक किराए में दो यात्री प्राइवेट लक्जरी बस से दिल्ली पहुंच जाते हैं। कुल मिलाकर कम किराया में लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की स्कीम के कारण ही आज बस यातायात पर डग्गामार बस माफियाओं का कब्जा सा हो गया है।
निगम के अधिकारियों पर हावी रहते हैं ये माफिया
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के अधिकारियों व कर्मियों पर किस कदर हावी रहते हैं, ये डग्गामार बस माफिया, इस बात अंदाजा इस बात से ही लगया जा सकता है कि डग्गामार बसों के मुद्दे पर हम से बात करने से पूर्व इस अधिकारी ने हमसे यह शर्त रख दी कि मैं जानकारी तो सब दे दूंगा, लेकिन मेरा नाम गोपनीय रखना। जब इसके पीछे के कारणों जब न्यूजट्रैक टीम ने उनसे जाना तो उन्होंने बताया कि चाहे लखनऊ, कानपुर, आगरा या इटावा का या कोई बस स्टैंड हो तो इस सारे सरकारी बस स्टैंड्स पर इन डग्गामार बस माफियाओं की समानान्तर सरकार चलती है।
परिवहन विभाग के इस सीनियर अधिकारी ने बताया कि इन डग्गामार बस माफियाओं के एजेंट प्रायः शाम होते ही हमारे बस स्टैंड्स में आते हैं और कम किराए का लालच देकर हमारी बसों में बैठे यात्रियों को उतार कर ले जाते हैं। हमारा परिचालक ऐसा करने से उन्हें रोक भी नहीं पाता है। इस अधिकारी ने बताया कि सूबे की वर्तमान सरकार में हमारे बस स्टैंड्स में यह दबंगई कुछ कम है, लेकिन है अभी भी। वरना इससे पूर्व की सरकारों में तो ये डग्गेमार बस माफिया सरकारी बस स्टैंड्स के भीतर अपनी बसों को खड़ी कर सवारी भरते थे।इस अधिकारी का कहना है कि अगर इनकी इन हरकतों का हमारी बसों के चालक व परिचालक विरोध करते हैं तो फिर झगड़ा होता है। वहीं पुलिस भी बहुत ज्यादा हमारा सहयोग नहीं करती है। क्योंकि इन डग्गेमार बसों से पुलिस को भी कई तरह के लाभ मिलते रहते हैं। इस अधिकारी ने बताया कि इन डग्गेमार बसों से संचालन से परिवहन निगम का प्रतिमाह कई लाख रुपए का नुकसान होता है।