Lucknow News: बसपा चुनावी तैयारियों में फिर आगे, अगले महीने प्रत्याशियों का एलान, एक बार फिर 100 टिकट ब्राह्मणों को
विधानसभा चुनाव को लेकर वैसे तो सभी दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं पर इन दलों में सबसे आगे बसपा ही दिख रही है।;
Lucknow News: यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर वैसे तो सभी दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं पर इन दलों में सबसे आगे बहुजन समाज पार्टी ही दिख रही है। हर चुनाव की तरह ही इस बार भी बसपा सुप्रामो मायावती के पास हर जिले से एक सीट पर संभावित पांच से छह प्रत्याशियों की सूची उनके पास आ चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी।
बहुजन समाज पार्टी के चुनावी इतिहास में पहले भी देखा गया है कि अन्य दलों के मुकाबले सबसे पहले इसी पार्टी के प्रत्याशियों के नामों का एलान होता रहा है जबकि भाजपा और कांग्रेस मे तो कई बार ऐसे मौके भी आए है कि आखिरी मौके पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा की गई है। उधर बसपा के सेक्टर प्रभारियों की सूची मिलने के बाद अब विधानसभा प्रभारियों की घोषणा की जाएगी। इसके बाद सितम्बर प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया जाएगा।
संभावना इस बात की है कि इस चुनाव में प्रदेश में चल रही ब्राह्मण राजनीति के तहत बसपा लगभग 100 विधानसभा क्षेत्रों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने का दांव चलेगी। मायावती ने अपर कास्ट तथा मुस्लिम व अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों से जुड़े प्रभावशाली लोगों को मंडल स्तर पर सेक्टर संयोजक जिला संयोजक व विधानसभा क्षेत्र स्तर पर संयोजकों की नियुक्त की है। उन्हें लग रहा है कि अगर सवर्ण जाति के लोगों को पदाधिकारी बनाकर भाईचारा सम्मेलन कराया जाए तो उन्हें 2007 की तरह चुनावी लाभ मिल सकता है।
पिछले दो विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता हासिल करने में नाकाम बहुजन समाज पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में अब कोई मौका गवाना नहीं चाहती है। इसलिए वह वह फिर 'फ्लैशबैक' में जाकर 2007 की तरह ही विधानसभा चुनाव तैयारियों में अभी से जुट गई है।
पार्टी की रणनीति इसी तर्ज पर ब्राह्मणों के अलावा ठाकुर मुस्लिम और पिछड़ों को एक कर भाईचारा समितियों का गठन करने तथा उनके सम्मेलन करा कर सभी का वोट हासिल करने की है। प्रदेश में इन दिनों बसपा ब्राह्मण सम्मेलनों का आयोजन प्रबुद्व वर्ग सम्मेलन के नाम से आयोजित कर रही है।
पिछले दो विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी मुख्य रूप से दलितों को ही फोकस करती रही। हालांकि उसने सवर्णों को भी टिकट दिए पर मुख्य रूप से उसका सारा फोकस मुस्लिम समाज और दलितों पर रहा। जिसके कारण उसे वह सफलता नहीं मिल पाई जो 2007 के विधानसभा चुनाव में हासिल हुई थी। इस चुनाव में उसने 206 सीटें हासिल कर स्पष्ट बहुमत पाया था और पहली बार बिना किसी अन्य दल के सहयोग के प्रदेश की सत्ता हासिल की थी।
यही कारण है कि के बसपा सुप्रीमो मायावती ने विकास दुबे कांड के बहाने ब्राह्मण वोटों पर अपना निशाना साधना शुरू कर दिया है। मायावती ने मंडल जिला व विधानसभा क्षेत्र स्तर पर जातिवाद भाईचारा कमेटियों का गठन शुरु कर दिया है। अपनी खोई हुई सियासी ताकत को फिर से हासिल करने के लिए बहुजन समाज पार्टी अपने पुराने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर लौटने को तैयार है।
जानकारों का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी की नजर ऐसे लोगों पर हैं जो दूसरे दलों से नाराज हैं और उनका क्षेत्र में प्रभाव है। इसलिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने पदाधिकारियों से कहा है कि वह उन दलों से नाराज पदाधिकारियों पर पैनी निगाह रख कर उन्हें बसपा में आने के लिए प्रेरित करें।