Lucknow News: किसानों को खुश करने की दिशा में बड़ी पहल, पराली जलाने पर अब सजा नहीं

केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर मुकदमा दर्ज करने का फैसला वापस ले लिया है।

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-08-06 16:17 IST

पराली जलाने की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Lucknow News: आगामी चुनावों और किसानों को खुश करने के इरादे से केंद्र सरकार ने अचानक से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं निकटवर्ती क्षेत्रों मं वायु गुणवत्ता प्रबंध के लिए आयोग विधेयक 2021 को मंजूरी देते हुए पराली जलाने वाले किसानों पर मुकदमा दर्ज करने का फैसला वापस ले लिया है। इसका असर पराली जलाने वाले उन राज्यों के किसानों पर भी पड़ेगा। जिन राज्यों ने केंद्र के कानून के आलोक में अपने यहां पराली जलाने पर सजा का प्रावधान किया हुआ है।

गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान भी पराली जलाने पर सजा के प्रावधान का विरोध कर रहे थे। इस कानून के अमल में आने के बाद राज्यों में बड़े पैमाने पर किसानों पर कार्रवाई हुई थी तो उतना तेजी से किसानों का विरोध भी बढ़ा था। लेकिन पर्यावरण प्रदूषण की चिंता का हवाला देकर ये कानून कड़ाई से लागू कराया गया था। गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में जहां पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई करते हुए हजारों किसानों को जेल में डाल दिया गया था वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पराली जलाने वाले किसानों का समर्थन कर इसे और हवा दे दी थी। किसानों ने इसके खिलाफ समय समय पर जोरदार प्रदर्शन भी किये।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने तो पराली जलाए जाने पर 2500 रुपये से लेकर 15000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया हुआ है और दोबारा ऐसा करने पर प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की भी व्यवस्था की हुई है।

अगर बात करें केंद्र सरकार के प्रयासों की तो उसने खुद पराली जलाने की बढ़ती समस्या को रोकने के लिए पिछले तीन वर्षों में पंजाब को 76,626 मशीनें दीं। उधर पंजाब सरकार भी पराली जलाने से मुक्त राज्य बनाने के लिए सब्सिडी पर किसानों को मशीनें और खेती यंत्र मुहैया कराने की व्यापक मुहिम में जुटी रही।

गौरतलब है कि 2022 में कई राज्यों में चुनाव होने हैं। इसके अलावा 2024 में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष मुद्दा बना कर सरकार पर आक्रामक हो सकता है। इसलिए केंद्र सरकार के इस कदम को राजनीति से प्रेरित माना जा रहा है।

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