Journalist kamal khan: दोस्तों को रुला कर चला गया, हर दिल अजीज यार
Journalist kamal khan: कमाल खान पिछले 27 साल से एनडीटीवी में थे। उन्हें दो बार भारत के राष्ट्रपति ने नेशनल अवार्ड दिए। कमाल की पत्नी रुचि इंडिया टीवी में एसोसिएट एडिटर हैं और 24 साल से ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट हैं।
Journalist kamal khan: कमाल खान का आज अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन (kamal khan ka nidhan)हो गया। और एक हंसता मुस्कुराता हरदिल अजीज, दोस्त अचानक रुखसत हो गया। कहने को तो बहुत सारी बातें हैं लेकिन शुरू कहां से करूं। अभी पिछले दिनों ही जनपथ में सरे राह चलते मुलाकात हुई थी वहीं अंदाज पुराना दोस्तों वाला कोई घमंड नहीं। सरल और सहज। कलाम पिछले 27 साल से एनडीटीवी (NDTV senior Journalist kamal khan) में थे।
मेरी कलाम खान से मुलाकात शुरुआती दौर में हुई थी जब बेनेकोलमैन का पब्लिकेशन लखनऊ (Lucknow) में बंद हुआ था और आर सुंदर, कमाल खान, आलोक जोशी, महेश पांडे जी दैनिक जागरण में आए थे। उसी दौर में वासींद्र मिश्र भी जागरण में आए थे। वह शुरुआती दौर था लेकिन कमाल खान की लेखनी में उस समय भी धार थी। वरिष्ठ पत्रकार महेश पांडे ने बताया एचएएल में रसिय़न के इंटरप्रेटर थे। रूसी भाषा के जानकार थे। उन्होंने कहा कि लोकल रिपोर्टर थे। कमाल खान ने संभवतः शुरुआत अमृत प्रभात से की और अमृत प्रभात बंद होने के बाद वह नवभारत टाइम्स में आए। लेकिन कुछ समय बद नवभारत टाइम्स भी बंद हो गया। जिसके बाद दैनिक जागरण आए। यह वह समय था जब उनके पिता गंभीर रूप से अस्वस्थ थे। बाद में उनके पिताजी का निधन हो गया। इसके कुछ समय बाद वह जागरण छोड़कर एनडीटीवी में चले गए।
एनडीटीवी को उत्तर प्रदेश में एक पहचान दिलाने में कमाल खान और उनकी पत्नी रुचि (kamal khan ndtv wife ruchi )का बहुत अधिक योगदान रहा। श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए कमाल खान को कई अवार्ड भी मिले।
पत्रकारिता क्षेत्र में मिले पांच नेशनल और एक इंटनेशनल अवार्ड (kamal khan Awards)
पत्रकारिता के क्षेत्र में कमाल खान के किये गए कार्यों के लिये उन्हें पांच नेशनल और एक इंटनेशनल अवार्ड मिला। उन्हें दो बार भारत के राष्ट्रपति ने नेशनल अवार्ड दिए। कमाल की पत्नी रुचि इंडिया टीवी में एसोसिएट एडिटर हैं और 24 साल से ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट हैं। उन्होंने देश के सबसे बड़े मीडिया हाउसेस में काम किया है। वो एक सम्मानित प्रतिष्ठित पत्रकार हैं और एक प्रतिष्ठित परिवार से हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कमाल खान की पत्नी रुचि के पिता की पलामू में बॉक्साइट की दो बहुत बड़ी माइंस थी जिससे एल्युमीनियम बनता था और बिरला की एल्युमीनियम फैक्ट्री को सप्लाई होता था… जब उनके पिता बुजुर्ग हो गए तो उन्होंने अपने पिता से कहा कि आपको अब इस उम्र में भागदौड़ नही करनी चाहिए। इसलिए उन्होंने उनकी दोनों माइंस सरकार को सरेंडर करा दीं।
एक पत्रिका ने कमाल खान पर लगाए थे ऐसे आरोप (kamal khan par aarop)
उनके ऊपर एक बार एक पत्रिका ने आरोप लगाए तो उन्होंने बेबाकी से जवाब देते हुए कहा था अगर पत्रकार को अच्छा वेतन पाना, खुशहाल होना या सम्पत्ति खरीदना अपराध है तो फिर पत्रकारों को मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने के लिए संघर्ष नहीं करना चाहिए… क्योकि इतना पैसा तो सभी मीडिया हाउस देते हैं कि पत्रकार झोला लटका के साइकिल पर घूम सके…।
कमाल खान के निधन से निश्चय ही पत्रकारिता जगत का एक देदीप्यमान सूर्य अस्त हो गया।
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