Newstrack Interview: 'ओमिक्रोन' वैरिएंट का बच्चों पर कैसा रहेगा असर? SGPGI डायरेक्टर डॉ. आरके धीमन ने दी ये सलाह

Lucknow : देश में तीसरी लहर के अंदेशों के बीच आमजनमानस परेशान है। आम आदमी इस वजह से चिंता में है, क्योंकि अभी उनके बच्चों के लिये कोई वैक्सीन नहीं आई है।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-12-20 15:59 IST

SGPGI के निदेशक प्रोफेसर डॉ. आर.के. धीमन

Lucknow : देश के 12 राज्यों में 140 से ज़्यादा केस कोरोना वायरस के नये वैरिएंट 'ओमिक्रोन' (Omicron) के सामने आ चुके हैं। भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों को 138 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज़ भी दी गई हैं। मग़र, तीसरी लहर के अंदेशों के बीच आमजनमानस परेशान है। आम आदमी इस वजह से चिंता में है, क्योंकि अभी उनके बच्चों के लिये कोई वैक्सीन (Omicron ka bachon par asar) नहीं आई है। जिसको लगवाकर वह मानसिक रूप से शांति महसूस कर सकें।

फिलहाल, अभी बच्चों के लिये सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में 'कोवावैक्स' (Covovax vaccine) का परीक्षण चल रहा है। जो कि आने वाले छः महीनों में तैयार हो जाएगी। इसकी घोषणा ख़ुद इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने की थी। लेकिन 'बच्चों को लेकर ज़्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है', ऐसा कहना है संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के निदेशक प्रोफेसर डॉ. आर.के. धीमन (Prof. Dr. R.K. Dhimaan) का।

'80 प्रतिशत बच्चों में बनी है हर्ड इम्युनिटी'


'न्यूज़ट्रैक' के साथ बातचीत में एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर डॉ. आर.के. धीमन ने बताया कि बच्चों के लिए ज़्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि "वैसे, सभी को कोविड़ एप्रोप्रियेट बिहेवियर (CAB) अपनाना चाहिए। बच्चों को भी इंफेक्शन हुआ था और बच्चों को भी नैचुरल इम्युनिटी बनी थी। अग़र यूपी का देखें, तो 80 प्रतिशत बच्चों व बड़ों में हर्ड इम्युनिटी बनी है। बाक़ी, बच्चों (Omicron ka bachon par asar) के अंदर माइल्ड इंफेक्शन होता है।"

'बड़ों व बुजुर्गों से ज़्यादा प्रोटेक्टेड होते हैं बच्चे'

बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से ज़्यादा सुरक्षित होते हैं। एसजीपीजीआई निदेशक ने बताया कि बच्चे एडल्ट और एल्डरली व्यक्तियों की अपेक्षा ज़्यादा प्रोटेक्टेड होते हैं। प्रोफेसर डॉ. आरके धीमन का कहना है कि "बच्चों के बारे में ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। बच्चों के बारे में बस यह ध्यान देना चाहिए कि उन्होंने मास्क लगा रखा है या नहीं। वह सही से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं या नहीं। जिससे कि वह संक्रमित होने से बचें।"

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