Budget 2022: आखिर क्यों कर्मचारियों को पसंद नहीं आया बजट? IPSEF के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा- 'पूंजीवादी व्यवस्था का बजट'
Budget 2022: 'इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन' के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महासचिव प्रेमचंद्र ने केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2022 -23 के लिए, प्रमुख बजट को कर्मचारियों के लिए पूरी तरह से निराशाजनक बताया है।
Budget 2022: मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में आम बजट-2022 पेश किया। जिसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी (digital technology) के माध्यम से कृषि, शिक्षा और रक्षा मंत्रालय को बढ़ावा देने की योजना है। सरकार ने इस साल 39.44 लाख करोड़ रूपये ख़र्च करने के लिए रखा है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह समावेशी विकास का बजट है। लेकिन, कर्मचारियों को इस बजट से जैसी उम्मीदें थीं। वैसा, उन्हें कुछ भी हाथ नहीं लगा है। 'इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन' (IPSEF) और 'राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद' ने एक सुर में, बजट को कर्मचारियों के लिए निराशाजनक बताया है।
IPSEF ने बजट को बताया निराशाजनक
'इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन' (IPSEF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र (National President VP Mishra) एवं महासचिव प्रेमचंद्र (General Secretary Premchandra) ने केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2022 -23 के लिए, प्रमुख बजट को कर्मचारियों के लिए पूरी तरह से निराशाजनक बताया है। यह पूंजीवादी व्यवस्था का बजट है। पूरी व्यवस्था को निजीकरण की तरफ ले जाने वाला है।
वीपी मिश्र ने कहा कि काफी संख्या में कर्मचारी वेतन वृद्धि एवं महंगाई भत्ते की किस्तों को काटना, जो आयकर की छूट में आते थे, अब वे भी वांछित रह जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इप्सेफ ने 10 लाख तक की छूट, पुरानी पेंशन बहाली व फ़्रीज़ डीए का भुगतान की मांग की थी।
बजट में कर्मचारियों को कुछ नहीं
'राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद' ने बजट को कर्मचारियों के लिए निराशाजनक बताया है। परिषद के अध्यक्ष सुरेश, महामंत्री अतुल मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बजट के प्राथमिक अध्ययन के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए, जिस पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा। आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ, कर्मचारियों की मांग थी कि 10 लाख तक आय को करमुक्त किया जाए। लेकिन निराशा ही हाथ लगी। वहीं निजीकरण, आउटसोर्सिंग की जगह स्थाई रोजगार सृजन करने की आस देख रहे कर्मचारियों को निराशा हुई। क्योंकि सरकार सरकारी क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाने का फैसला लिया।
सरकार कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती
परिषद का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि अब सरकार कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है। इसलिए, बजट में कर्मचारियों हेतु कोई घोषणा नहीं है। कोविड काल में सरकारी कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किये, बगैर देश के लिए कार्य किया था। लेकिन कर्मचारी हित में इनकम टैक्स के स्लैब में कोई छूट ना मिलने से, कर्मचारियों की आस टूटी है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद जल्द ही एक बैठककर, अपनी प्रतिक्रिया देश के वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को प्रेषित करेगा।
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