UP Election 2022: यूपी के चुनावी समर में अखिलेश को मिलेगा ममता दीदी का साथ, बंगाली समुदाय के बीच सपा का करेंगी प्रचार

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी दस्तक देनी जा रही है। ममता दीदी कल यानि 7 फरवरी को लखनऊ पहुंचेगी। वो पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ एक वर्चुअल रैली में शिरकत करेंगी।

Written By :  Krishna Chaudhary
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-02-06 20:30 IST

ममता बनर्जी और अखिलेश यादव। 

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान को अब महज कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। लिहाजा प्रदेश में चुनाव प्रचार जोरों पर है। सियासी दलों के तमाम दिग्गज देश के सबसे बड़े चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। इसी क्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) में अपनी दस्तक देनी जा रही है।

ममता दीदी कल यानि 7 फरवरी को लखनऊ पहुंचेगी। वो पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव (SP Akhilesh Yadav) के साथ एक वर्चुअल रैली में शिरकत करेंगी। हालांकि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) में हिस्सा नहीं ले रही है।

ममता अखिलेश के साथ करेंगी रैली

बीते साल पश्चिम बंगाल में मोदी – शाह की जोड़ी वाली बीजेपी को धूल चटाने वाली ममता बनर्जी अब यूपी में बीजेपी (BJP) के लिए राह मुश्किल बनाने जा रही हैं। 8 फरवरी को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के लखनऊ दफ्तर में वेस्ट बंगाल की सीएम और सपा सुप्रीमो एक साथ एक वर्चुअल रैली को संबोधित करेंगे।

बताया जा रहा है कि इस रैली के माध्यम से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) प्रदेश में बसे बंगाली आबादी को साधना चाहते हैं। प्रदेश में बंगाली अब तक बड़े पैमाने पर बीजेपी के वोटर रहे हैं। लिहाजा बंगाली समुदाय में सीएम ममता बनर्जी की अपील को देखते हुए अखिलेश इसे अपने पक्ष में भूनाना चाहते हैं।

बंगाली वोटरों पर ममता का असर ?

प्रदेश में वामपंथियों के कमजोर होने के बाद से भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के पास बंगाली वोट शिफ्ट हो गया। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बंगाली की सीएम ममता बनर्जी का चुनाव प्रचार बंगाली मतदाताओं को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा। बंगाल की स्थिति औऱ यूपी की स्थिति में अंतर है। बंगाली मतदाता टीएमसी के सिंबल इधर से उधर हो भी सकते थे, लेकिन ममता बनर्जी के कहने पर किसी दूसरे पार्टी को वोट करेंगे, ये मानना थोड़ा मुश्किल है।

बंगाली वोटरों पर बीजेपी का दावा

पश्चिम बंगाल में करारी शिकस्त झेलने वाली बीजेपी यूपी में बसे बंगाली समुदायों को अपना भरोसेमंद वोटर मानती है। वाराणसी के आसपास बंगाली समुदाय की अच्छी आबादी मानी जाती है। इमरजेंसी से पहले यहां के बंगला मतदाताओं में वामपंथियों का बोलबाल हुआ करता था, लेकिन इमरजेंसी के बाद बंगला भाषा बोलने वाले दिग्गज भाजपा नेता और पूर्व मंत्री श्याम देव राय चौधरी इन्हें अपने जरिए भाजपा की तरफ आकर्षित करने में सफल रहे।

इसके अलावा वाराणसी कैंट क्षेत्र से भी बंगाली मूल की ज्योतसना दो बार बीजेपी की विधायक रही हैं। फिलहाल उनके बेटे सौरभ श्रीवास्तव यहां से भाजपा विधायक हैं। यही वजह है कि भाजपा नेता बंगाली समुदाय को अपना भरोसेमंद मतदाता मानते हैं।

ममता की यूपी आने की वजह

पश्चिम बंगाल में विराट अंतर से चुनाव जीतने में सफल रही सीएम ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) बीजेपी (BJP) विरोधी राजनीति के लिए पोस्टर गर्ल बन गई हैं। बीजेपी द्वारा तमाम ताकत झोंकने के बावजूद वो अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रहीं औऱ लगातार तीसरे बार सत्ता पर काबिज हुईं।

बंगाल चुनाव के बाद भी बीजेपी से ममता के संबंध औऱ बिगड़ गए हैं। यही वजह है कि यूपी की इस मुश्किल लड़ाई में ममता बीजेपी के रास्ते में कांटे बिछाने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहती हैं। वो बीजेपी के उसके सबसे बड़े गढ़ से बेदखल करना चाहती हैं। जिसका सीधा असर केंद्र में बैठे पीएम मोदी की कुर्सी पर पड़ेगा।

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