UP News: राहुल -प्रियंका ने दिखाई भावी कांग्रेस की तस्वीर, कठघरे में दिखे जी-23 के कांग्रेसी
लखीमपुर कांड के बहाने राहुल व प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की भावी राजनीति की लकीर खींच दी
UP News: राजनीति में मौके की नजाकत भांपकर किसी भी मौके पर खेल पलटा जा सकता है। इसका सटीक उदाहरण लखीमपुर कांड और कांग्रेस की आंतरिक राजनीति को माना जा सकता है। एक सप्ताह पहले जिस कांग्रेस नेतृत्व पर अपने ही सवाल उठा रहे थे हालात बदले तो सवाल उठाने वाले खुद कठघरे में खड़े दिखाई दिए और इस्तीफे की मिसाइल दागने वाले भी लखीमपुर की दौड़ लगाने लगे। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने लखीमपुर में भावी कांग्रेस की तस्वीर भी दिखाई और पार्टी के मठाधीश बनने का दावा करने वालों को आइना भी। भाई-बहन की जोड़ी ने साबित कर दिया कि लाखों युवा कांग्रेसियों को नेतृत्व देने में न केवल वे सक्षम हैं बल्कि सरकारों से जूझने का दम भी उनके पास ही है।
केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद से ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर हैं। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने उन्हें मोदी पर हमला नहीं करने की सलाह भी दी और उनके इनकार करने पर कांग्रेस छोड़ने में देर भी नहीं लगाई। केंद्र की मोदी सरकार को लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का नरम रुख अक्सर दिखता रहा। ऐसे लोगों ने बाद में भाजपा की सदस्यता भी ली और मंत्री बनने का सुख भी हासिल किया। इसमें राहुल गांधी के करीबी रही ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद जैसे युवा चेहरे भी शामिल हैं। इसके बावजूद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कभी अपना स्टैंड नहीं बदला। करीबी नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने के बाद उन्होंने और जोर-जोर से कहना शुरू कर दिया है कि जो लोग भाजपा और नरेंद्र मोदी से डरते हैं उन्हें अपनी अलग जगह तलाश लेनी चाहिए। कांग्रेस में केवल वही लोग रह पाएंगे जो नरेंद्र मोदी से नहीं डरते हैं और हर मोर्चे पर संघर्ष के लिए तैयार हैं।
राहुल की थ्योरी को प्रियंका ने सही साबित कर दिखाया (Rahul Gandhi Priyanka Gandhi Theory)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इस थ्योरी पर ही प्रियंका गांधी पिछले लगभग दो साल से अमल करती दिखाई दे रही हैं। राहुल की इसी थ्योरी का परिणाम उत्तर प्रदेश में अजय कुमार लल्लू की प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी है। अजय लल्लू और प्रियंका ने मिलकर यूपी में योगी सरकार को अलग-अलग मुद्दों पर घेरने में कामयाबी हासिल की है। लखीमपुर खीरी में तो प्रियंका गांधी का संघर्ष पूरे देश ने देखा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने योगी सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ उमाशंकर पांडेय का कहना है कि प्रियंका गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तीस साल बाद जीत का स्वाद चखाया है। उन्होंने कार्यकर्ताओं में यह आत्मविश्वास जगाया है कि सत्याग्रह के तरीके से अत्याचारी सरकारों को आज भी झुकाया जा सकता है। योगी सरकार को प्रियंका गांधी के नेतृत्व में सबसे ज्यादा झटके कांग्रेस से ही मिले हैं। कोरोना के समय में मजदूरों का पलायन हो,उम्भा कांड हो, उन्नाव का माखी कांड, शाहजहांपुर का चिन्मयानंद कांड या हाथरस कांड सभी मामलों में कांग्रेस ने योगी सरकार को इंसाफ के लिए मजबूर किया। प्रदेश अध्यक्ष को महीने भर से ज्यादा दिन तक जेल में रखने के बावजूद योगी सरकार को घुटने टेकना पड़ा है।
जी-23 नेताओं को भी छुपाना पड़ रहा मुंह (G 23 Leaders Of Congress Name)
लखीमपुर कांड में प्रियंका गांधी के जेल जाने के बाद राहुल गांधी ने जब मोर्चा संभाला तो सबसे पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लखनऊ भेजा गया। इसके बाद राहुल गांधी ने खुद लखीमपुर खीरी जाने का एलान कर दिया और अपने साथ पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लेकर पहुंचे। योगी सरकार ने उन्हें भी रोकने की कोशिश की। लेकिन उनके दृढ़ निश्चय को देखकर सरकार ने अपनी रणनीति में ऐन मौके पर बदलाव किया। लखीमपुर खीरी में महज दो दिन के संघर्ष में केवल प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की टीम ही सक्रिय दिखी। जी-23 के जो नेता एक हफ्ते पहले पंजाब के हालात का उदाहरण देकर पूछ रहे थे कि कांग्रेस में फैसले कौन ले रहा है।
अध्यक्ष का चुनाव क्यों नहीं हो रहा है। उन्होंने संघर्ष के मैदान में उतरना जरूरी नहीं समझा। चन्नी के सीएम बनने से नाराज चल रहे नवजोत सिद्धू भी खामोशी की चादर ओढ़े रहे। ऐसे में जब राहुल ने मोर्चा संभाला और भाई-बहन के संघर्ष की जीत हुई तो अब कांग्रेस कार्यकर्ता भी सवाल दाग रहे हैं कि कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद जैसे लोग कहां हैं। कांग्रेस नेता सिद्धार्थप्रिय श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस के अंदर लोकतंत्र की चिंता कर रहे नेताओं को यूपी में खुलेआम लोकतंत्र की हत्या ने विचलित क्यों नहीं किया। सरकार के मंत्री नंगा नाच कर रहे हैं। जनता को गाड़ियों से कुचला जा रहा है तो कांग्रेस सरकारों में मंत्री पद की मलाई खाने वाले सामने क्यों नहीं आए। क्या अब चुप रहने की मलाई खा रहे हैं।