UP STF: Truecaller पर मंत्री का निजी स्टाफ दिखा बेरोजगारों से ठगी, 3 जालसाज गिरफ्तार

ये तीनों जालसाज़ केजीएमयू (KGMU),एसजीपीजीआई (SGPGI) और यूपी परिवाहन विभाग में जीएनएम व एएनएम के पद पर नौकरी के नाम पर वहां 'सेटिंग' का झांसा देकर उनसे लाखों रुपये ऐंठते थे।

Report :  Shiva Sharma
Update: 2022-06-02 14:51 GMT

प्रतीकात्मक चित्र 

UP STF : लखनऊ समेत प्रदेश के कई अन्य ज़िलों में बेरोज़गारो को झांसा देकर नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोग के तीन सदस्यों को UP STF (यूपी स्पेशल टास्क फ़ोर्स) ने राजधानी के विभूतिखंड (Lucknow Vibhuti khand) इलाके से गिरफ्तार किया है। जालसाज़ पहले सरकारी विभागों में निकली भर्ती का आंकलन करते थे, उसके बाद बेरोजगारों को सम्बंधित विभाग में नौकरी दिलाने का दावा करते हुए उसने लाखों रुपए ऐंठ लिया करते थे। हद है कि, ये ठग खुद को 'Truecaller' ऐप पर मंत्री का निजी स्टाफ दिखा बेरोजगारों से ठगी करता था।

KGMU, SGPGI में नौकरी दिलाने का करते थे दावा

यूपी एसटीएफ (UP STF) में तैनात इंस्पेक्टर ज्ञानेंद्र राय के मुताबिक, ये तीनों जालसाज़ केजीएमयू (KGMU),एसजीपीजीआई (SGPGI) और यूपी परिवाहन विभाग में जीएनएम व एएनएम के पद पर नौकरी के नाम पर वहां 'सेटिंग' का झांसा देकर उनसे लाखों रुपये ऐंठते थे। फिर, उन्हें कूटरचित दस्तावेज़ देकर उन्हें कुछ महीनों बाद नौकरी की ज्वाइनिंग का झांसा देते थे। STF ने बलिया के फेफना निवासी और इस गैंग के सरगना राम व्यास जी उर्फ़ गुड्डू, जौनपुर निवासी शैलेश यादव व बस्ती निवासी आदित्य श्रीवास्तव उर्फ़ दीपू को गिरफ्तार किया है। ये सभी लखनऊ में ही रहकर ठगी और जालसाज़ी का धंधा चला रहे थे।


50 से ज़्यादा बेरोजगारों से कर चुके हैं ठगी

एफटीएफ में तैनात इंस्पेक्टर ज्ञानेंद्र राय के मुताबिक, ये गैंग लंबे समय से लोगों से जालसाजी कर गाढ़ी कमाई कर रहे थे। कई लोगों से ये गैंग एडवांस के नाम पर रकम लेता था। फिर कूटरचित दस्तावेज़ देने के बाद पूरी रकम ले लिया करता था। अब तक ये 50 से ज़्यादा लोगों को टारगेट कर अब तक करोड़ों रुपये ऐंठ चुका है। ऐसे में इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है, कि इस गैंग के लोगों ने मिलकर कितने करोड़ की रकम ठगी की है।

जालसाज़ी की रकम कैश में लेते थे ठग

एसटीएफ इंस्पेक्टर ने बताया कि, गैंग के सभी सदस्य कैंडिडेट से जो भी रकम लेते थे, वो कैश के रूप में होती थी। ताकि, कभी कोई भी कैंडिडेट रकम देने का प्रमाण न दे पाए। लेकिन, एसटीएफ के पास जालसाज़ों के जो मोबाइल फ़ोन मिले हैं उसमें कई ट्रांसक्शन मैसेज के रूप में हैं।

लक्ज़री गाड़ी से चलता था सरगना राम व्यास

इंस्पेक्टर ज्ञानेंद्र राय की मानें तो इस पूरे ठगी का धंधा चलाने वाला सरगना लग्जरी गाड़ी से चलता था। इसके पीछे उसका मकसद था कि बेरोजगारों को ये लगे की उसका मंत्री या संबंधित विभाग से अच्छे संबंध हैं। कैंडिडेट पर उसकी लग्जरी लाइफ का असर होता था। STF ने बताया कि, सरगना राम व्यास इन्हीं तरकीब से बेरोजगारों पर असर छोड़ता था। 

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