बहनजी के पन्नों से:  9वीं, 10वीं और 11वीं की परीक्षा एक साथ दी थीं मायावती 

मायावती Upsc की तैयारी भी कर रही थीं, लेकिन उन्होंने अपने पिता की मर्जी के खिलाफ राजनीति में जाने का फैसला लिया।

Written By :  aman
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2021-09-27 06:50 GMT

लखनऊ: देश की जानी-मानी महिला राजनीतिज्ञों में मायावती (Mayawati) का नाम शुमार है। वह देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश (Uttar pardesh) की चार बार मुख्यमंत्री रही हैं। मायावती को भारत की सबसे युवा महिला और दलित मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक स्कूल शिक्षिका के तौर पर की थी। उनके दल बहुजन समाज पार्टी (BSP) के कार्यकर्ता और नेता इन्हें सम्मान से 'बहनजी' के नाम से भी बुलाते हैं।  

मायावती कुल 6 भाई और दो बहनें हैं

यूपी की पूर्व सीएम मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली के एक हिन्दू दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रभु दयाल और माता का नाम रामरती था। प्रभु दयाल सरकारी नौकरी में थे। मायावती कुल 6 भाई और दो बहनें हैं। दलित परिवार से होने के बावजूद प्रभु दयाल दूरदर्शी थे। मायावती मूलतः गौतमबुद्ध नगर जिले के बादलपुर गांव की रहने वाली हैं। 

मायावती यूपीएससी की तैयारी कर रही थीं 

राजनीति में आने से पहले मायावती दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षिका थीं। साथ वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के परीक्षाओं की तैयारी भी करती थीं। हालांकि जब वह राजनीति में आईं तो उन्हें कई कठिनाइओं का सामना भी करना पड़ा। मायावती के पिता नहीं चाहते थे वो राजनीति में आएं। मायावती यूपीएससी की तैयारी भी कर रही थीं। लेकिन उन्होंने अपने पिता की मर्जी के खिलाफ राजनीति में जाने का फैसला लिया।

'बहनजी' के पन्नों से

वैसे तो बसपा सुप्रीमो अन्य राजनेताओं की तरह ही अपनी निजी जिंदगी को काफी रहस्यमयी और लाइमलाइट से अलग रखती रही हैं। लेकिन लेखक अजय बोस द्वारा लिखी उनकी बायोग्राफी 'बहनजी' के पन्नों से कई रोचक किस्से और जानकारियां बाहर आई हैं। ऐसे ही एक किस्से को हम आपके लिए लेकर आये हैं, जब मायावती ने एक साथ तीन क्लास की थी पास। 

9वीं, 10वीं और 11वीं की परीक्षा एक साथ दी 

'बहनजी' में अजय बोस लिखते हैं, "मायावती हर हाल में अपने पिता को गलत साबित करना चाहती थीं। लड़कियां कुछ नहीं कर सकतीं। मायावती को आईएएस बनने की इच्छा शुरू से थी। यही कारण था कि उन्होंने अपने पिता से कहा कि तीन क्लास के एग्जाम एक साथ देने के बारे में स्कूल से पूछें। प्रभु दयाल ने बेटी माया के इरादे देखते हुए स्कूल में पूछा। स्कूल से जवाब हां में मिला। इसके बाद मायावती ने 9वीं, 10वीं और 11वीं कक्षा की परीक्षा एक साथ दिए। इस तरह उन्होंने तीन साल का जंप लिया और 1972 में (16 साल की उम्र) 12वीं पास कर ली।

मायावती चार बार बनीं मुख्यमंत्री 

बाद में साल 1995 में मायावती बीजेपी के समर्थन से पहली बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। 1997 में एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। लेकिन जिस समझौते के तहत मायावती और कल्याण सिंह ने सरकार बनाई थी, माया उससे पीछे हट गईं। आखिरकार सरकार गिर गई। 3 मई, 2002 से 29 अगस्त, 2003 तक बीजेपी के समर्थन से मायावती एक बार फिर यूपी की सीएम बनीं। हालांकि, बाद में बीजेपी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद साल 2007 में मायावती की बहुजन समाज पार्टी 206 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापस लौटीं। बसपा ने पूरे 5 साल सरकार चलाई। 2007 के बाद से बसपा सत्ता से दूर है।  

मुलायम-कल्याण के सामानांतर मायावती 

यह वो समय था जब देश की राजनीति बदलने लगी थी। खासकर उत्तर प्रदेश में कास्ट पॉलिटिक्स चरम पर थी। एक तरफ जहां मुलायम सिंह यादव थे, तो दूसरी तरफ कल्याण सिंह और इन दोनों के सामानांतर अब तीसरा चेहरा मायावती के रूप में सामने आया। धीरे-धीरे मायावती 'यूथ आइकॉन' के रूप में लोकप्रिय होने लगीं। वर्ष 1993 में जब उत्तर प्रदेश में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिलकर सरकार बनाई, तब 1994 में मायावती को राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया।

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