Luckow News: संविदा MPW अपनी मांग को लेकर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह पर, आंदोलन के दसवें दिन भी जमे रहे

ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक रोगों की रोकथाम करने वाले फ्रंटलाइन वर्कर एमपीडब्ल्यू संविदा कर्मचारी अपने एक वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पिछले 7 वर्षों से प्रयास कर रहे हैं।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-08-06 02:30 GMT

लखनऊ: संविदा MPW अपनी मांग को लेकर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह पर

Luckow News: ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक रोगों की रोकथाम करने वाले फ्रंटलाइन वर्कर संविदा एमपीडब्ल्यू अपने प्रशिक्षण की मांग को लेकर महानिदेशालय (परिवार कल्याण परिसर) में किए जा रहे अनिश्चित कालीन सत्याग्रह आंदोलन के दसवें दिन भी जमे रहे। एमपीडब्ल्यू संविदा कर्मचारी अपने एक वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पिछले 7 वर्षों से प्रयास कर रहे हैं।

भारत सरकार के अनुबंध (मेमोरेंडम) पर जिला स्वास्थ समिति के अधिकारियों ने संविदा MPW गाइडलाइन-2010 में विहित एक वर्षीय प्रशिक्षण के प्रावधान के विपरीत मात्र 10 दिनों का प्रशिक्षण करा कर रख लिया गया था, आज उन्हीं संविदा के पदों पर निर्धारित एक वर्षीय प्रशिक्षण की बाध्यता के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी योजना हेल्थ एंड वैलनेस उपकेंद्रों पर संविदा MPW की तैनाती पिछले तीन वर्षों से रुकी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्य सरकार की मंशा के विपरीत अधिकारीगण कार्य कर रहे हैं। जहां कहीं केंद्र और राज्य सरकार ग्रामीण स्वास्थ्य को दुरुस्त करना चाहती है, वहीं अफसर ग्रामीण स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं हैं।

प्रति 3000 की ग्रामीण आबादी पर एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता MPW पुरुष की तैनाती

रायबरेली जनपद से संगठन पदाधिकारी देवेश ने बताया कि 'वायरस जनित संक्रमण को उपचार से ज्यादा रोकने की आवश्यकता होती है, सामान्य क्षेत्रों में प्रति 5000 की आबादी तथा दुरुह क्षेत्रों में प्रति 3000 की ग्रामीण आबादी पर संक्रमण को रोकने के लिए एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता MPW पुरुष की तैनाती विभागीय शासनादेश 23 जुलाई 1981 के अनुसार प्राविधानित की गई है। आज प्रदेश की आबादी 23 करोड़ को पार कर रही है।

प्रदेश की इतनी बड़ी आबादी को संक्रामक रोगों से बचाव करने के लिए मात्र 9080 पद सृजित हैं, जिसमें से अधिकांश पद पिछले 32 वर्षों से रिक्त पड़े हैं, यही नहीं भारत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त हेल्थ एंड वैलनेस उप केंद्रों पर पिछले तीन वर्षों से सृजित ढाई हजार पद प्रशिक्षण के अभाव में रिक्त पड़े हैं। आज इतने बड़े प्रदेश में आबादी के अनुपात में विभागीय शासनादेश को देखते हुए लगभग 55000 MPW कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है। उनके स्थान पर मात्र 1500 MPW कार्य कर रहे हैं। नियमित तथा संविदा के 10000 पद आज की तारीख में विभाग में रिक्त पड़े हैं। इसी विभाग में जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा मेरिट पर संविदा पर चयनित अनुभवी स्वास्थ्य कार्यकर्ता संविदा MPW अपने विभागीय प्रशिक्षण की मांग विभाग में कर रहे हैं।'

लापरवाही का दोषी कौन है?

संगठन संरक्षक विनीत मिश्रा ने बताया कि ''इतने बड़े प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण रोकने के लिए की जा रही लापरवाही का दोषी कौन है विभाग 'सब चलता है' की तर्ज पर कार्य कर रहा है। आंदोलन के आज 10वें दिन भी विभाग और शासन संविदा MPW को प्रशिक्षण कराए जाने की मांग पर मौन धारण किए हुए है, ऐसा करके शासन कौन सी जन-नीतियों का पालन कर रहा है।"

सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी को इसका संज्ञान लेना चाहिए। जब तक उच्च स्तर से इसका संज्ञान नहीं लिया जाएगा, तब तक ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं बहाल करा पाना मुश्किल होगा। इन लोगों ने कहा कि 'मुख्यमंत्री आपसे हमारी अपील है कि जन स्वास्थ्य एवं विषय पर निर्धारित हमारी प्रशिक्षण की मांग को स्वीकार कर अमित मोहन प्रसाद (अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) को आदेशित करने की कृपा करें।'

मीडिया प्रभारी सैय्यद मुर्तजा ने बताया कि 'उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में उत्तर प्रदेश बेसिक हेल्थ वर्कर्स एसोसिएशन द्वारा नियमित पदों को भरने के लिए वर्ष 2012 में डाली गई रिट याचिका में शासन के द्वारा दाखिल शपथ पत्र में कहा गया है कि प्रतिवर्ष नियमित पदों पर प्रशिक्षण देकर नियुक्तियां की जाएगी। इसके बावजूद पिछले 09 वर्षों से एक भी व्यक्ति को प्रशिक्षण नहीं दिया गया, पिछले 32 वर्षों से प्रशिक्षण केंद्र निष्प्रयोज्य पड़े हैं।'

आसिफ अंसारी ने बताया कि 'विभाग अपने ऐसे संविदा कर्मचारियों के विरुद्ध न्यायालय में लड़ाई लड़ रहा है, जिन्होंने सरकार की नीतियों के अनुरूप विभाग में संक्रामक रोगों के नियंत्रण का कार्य किया है।' प्रांतीय संगठन पदाधिकारियों के साथ जनपद सीतापुर के संगठन जिला अध्यक्ष सचिन पटेल, औरैया से आकाश सहित प्रतापगढ़, कानपुर और लखनऊ के 25 साथी अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन में शामिल रहे।

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