Bhatkhande Music University : क्या आप जानते हैं लखनऊ में Music के इस गुरु को

Bhatkhande Music University : आज जानते हैं भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय को किसने बनवाया था, इसका नाम यह कैसे पड़ा।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shraddha
Update: 2021-08-10 08:51 GMT

पंडित विष्णु नारायण भातखंडे (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

Bhatkhande Music University : लखनऊ (Lucknow) में भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय (Bhatkhande Music University) को सब जानते हैं। कम से कम संगीत प्रेमियों के लिए यह किसी मंदिर से कम नहीं। लेकिन आपको पता है कि भातखंडे कौन थे (Bhatkhande Kaun The) जिनके नाम पर संगीत का ये मंदिर बना और इस भातखंडे संगीत महाविद्यालय अब विश्वविद्यालय का शुरुआत के समय नाम क्या था। चलिये आज पंडित विष्णु नारायण भातखंडे (Pandit Vishnu Narayan Bhatkhande) को याद करने के बहाने इस पर चर्चा करते हैं।

पंडित विष्णु नारायण भातखंडे (Pandit Vishnu Narayan Bhatkhande) का जन्म 10 अगस्त 1860 में हुआ था। इनके माता पिता को संगीत से विशेष लगाव था। मां से सुने गीतों को बालक विष्णु उन्हीं के अंदाज में गा दिया करते थे। बच्चे का संगीत में रुझान देखकर माता पिता ने इनकी शिक्षा की व्यवस्था कर दी। लेकिन संगीत के साथ इनका लगाव कम न हुआ। 1883 में भातखंडे ने बीए किया और इसके बाद एलएलबी की परीक्षा भी पास की। लेकिन इनका मन संगीत में रमा हुआ था। ये लगातार संगीत के प्रसिद्ध कलाकारों के संपर्क में रहे उन्हें सुनते रहे।

भातखंडे विश्वविद्यालय में संगीत सीखते हुए छात्र (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


 भातखंडे की ऐतिहासिक संगीत यात्रा

भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

इसके बाद इन्होंने गायक उत्तेजन मंडल मुंबई में जाकर संगीत की शिक्षा ग्रहण की। लेकिन भातखंडे की ऐतिहासिक संगीत यात्रा 1907 से आरंभ हुई सबसे पहले ये दक्षिण भारत गए। वहां बड़े बड़े पुस्तकालयों में जाकर संगीत के प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन किया। संगीत चर्चाओं में भाग लिया। यहीं पर इन्हें पं. वेंकटमुखी के 72 थाटों का पता चला। बाद में यह अन्य जगह भी गए। प्राचीन प्रचलित अप्रचलित रागों के बारे में जानकारी हासिल की। सब जगह घूमकर उत्तर प्रदेश का व्यापक दौरा किया।

समय गुजरता गया संगीत के प्रति इनका जुड़ाव और समर्पण बढ़ता गया। 1926 में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे ने राय उमानाथ बली, राय राजेश्वर बली, लखनऊ के संगीत संरक्षको एवं संगीत प्रेमियों के सहयोग से लखनऊ में एक संगीत विद्यालय की स्थापना की। यहां से संगीत की संस्थाबद्ध शिक्षा की लखनऊ में नींव पड़ी। इस संस्था का उद्‌घाटन अवध प्रान्त के तत्कालीन गर्वनर सर विलियम मॉरिस द्वारा किया गया तथा उन्ही के नाम पर इस का नाम मॉरिस कॉलेज ऑव म्यूज़िक रखा गया।

इस विशवविद्यालय ने दिए यह विख्यात गायक 

1966 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संस्था को अपने नियन्त्रण में लेकर कॉलेज का नाम इसके संस्थापक के नाम पर इसे 'भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत विद्यालय' कर दिया। राज्य सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने इस संस्थान को 24 अक्टूबर 2000 को सम विश्वविद्यालय घोषित कर इसे भारत का एक मात्र संगीत विश्वविद्यालय होने का गौरव प्रदान कर दिया। तो ये थी भातखंडे की जयंती पर उनके द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय की कहानी जिसने कई विख्यात गायक दिये हैं, जिनमें नौशाद अली (Naushad Ali), तलत महमूद (Talat Mehmood), अनूप जलोटा (Anoop Jalota) और बाबा सहगल (Baba Sehgal) के नाम प्रमुख हैं।

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