प्रदेश का सबसे बड़ा डायलिसिस सेंटर होगा SGPGI, निजी अस्पतालों में 15000₹ की डायलिसिस 1600₹ की होगी
Lucknow News: राजधानी के रायबरेली रोड़ स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में जल्द ही गुर्दा मरीजो की डायलिसिस 24 घण्टे के भीतर होगी।
Lucknow News: राजधानी के रायबरेली रोड़ स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में जल्द ही गुर्दा मरीजो की डायलिसिस 24 घण्टे के भीतर होगी। बता दें कि, संस्थान में नवीन ओपीड़ी के सामने आधुनिक गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र बन रहा है। जिसके बन जाने के बाद रोज़ाना 200 से ज़्यादा डायलिसिस होंगी। इसमें 111 डायलिसिस स्टेशन बनेंगे।
इसके मद्देनजर पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि इस केंद्र में 450 से ज्यादा बेड होंगे। साथ ही, तीन शिफ्ट में 24 घण्टे डायलिसिस होगी। तो, इसी विभाग के डॉ. धर्मेंद्र भदौरिया ने बताया कि सिर्फ़ 30 प्रतिशत मरीज़ों को ही डायलिसिस की आवश्यकता होती है।
15000 की डायलिसिस 1600 रुपये में होगी
लखनऊ में बलरामपुर अस्पताल, लोहिया संस्थान, पीजीआई व केजीएमयू में डायलिसिस हो रही है। इसके अलावा 25 से ज्यादा निजी अस्पतालों में भी डायलिसिस की सुविधा है। जहां केजीएमयू व लोहिया में डायलिसिस सस्ती दरों पर होती है। तो, बलरामपुर अस्पताल में यह मुफ्त होती है। वहीं, पीजीआई में एक डायलिसिस का खर्च 1600 रुपये आता है। जबकि, निजी अस्पतालों में डायलिसिस का खर्च पांच हजार से 15 हजार के बीच आता है।
प्रदेश का सबसे बड़ा डायलिसिस सेंटर होगा SGPGI
पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन ने बताया कि यहां काम तेजी से चल रहा है। पीजीआई प्रदेश का सबसे बड़ा डायलिसिस सेंटर होगा। डायलिसिस की सुविधा इसी साल शुरू होगी।
24 घण्टे होगी डायलिसिस
पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद ने कहा कि 'यहां तीन शिफ्ट में 24 घण्टे डायलिसिस होगी। अभी पीजीआई में 600 से ज्यादा मरीज प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में हैं। इन्हें डायलिसिस में प्राथमिकता मिलेगी। इसके शुरू होने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।' उन्होंने बताया कि 'आधुनिक गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र में 450 से ज्यादा बेड होंगे। इसमें 111 डायलिसिस स्टेशन बनाने पर सहमति बन गई है। डॉक्टर, स्टाफ के अलावा उपकरण और संसाधन की खरीद फरोख्त की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।'
30 प्रतिशत मरीज़ों को डायलिसिस की ज़रूरत
पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. धर्मेंद्र भदौरिया ने बताया है कि गुर्दे की गम्भीर बीमारी क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के 30 प्रतिशत मरीजों को डायलिसिस की जरूरत होती है। अमूमन 10 प्रतिशत से कम क्रियाशील गुर्दा वाले मरीज को डायलिसिस की सलाह दी जाती है। बता दें कि, पीजीआई में रोज़ाना 80, केजीएमयू में 50, बलरामपुर अस्पताल में 50, लोहिया संस्थान में 30 व निजी अस्पतालों में लगभग 25 डायलिसिस मिलाकर, राजधानी भर में प्रतिदिन 150 डायलिसिस होती हैं।