Corona Third Wave: लोकबंधु अस्पताल में सात मिनट में बच्चा भर्ती, तीसरी लहर के मद्देनजर पूरे UP में हुई मॉक ड्रिल

राजधानी के 12 अस्पतालों में मॉक ड्रिल हुई। इसमें केजीएमयू, पीजीआई, इंट्रीग्रल, टीएस मिश्र मेडिकल कॉलेज, सीएचसी मोहनलालगंज, मलिहाबाद, बलरामपुर व एरा कॉलेज शामिल हैं।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-08-27 17:37 GMT

 अस्पताल में मॉक ड्रिल 

लखनऊ: शुक्रवार को पूरे यूपी भर में कोरोना वायरस की तीसरी लहर को मद्देनजर रखते हुए अस्पतालों में मॉक ड्रिल हुई। पीआईसीयू, एनआईसीयू समेत अन्य बेड और तैयारियों का जायजा लिया गया। स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा अस्पतालों में जा-जाकर वहां बच्चों के डॉक्टर व एनेसथेटिस्ट समेत अन्य तैयारियां जांची गईं।

इसके अलावा, यह भी देखा गया कि अगर कोई कोविड का मरीज आता है, तो उसकी पल्स कैसे चेक करेंगे, ऑक्सीजन कैसे देंगे, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल कैसे करेंगे। इसके लिए प्रदेश के सभी 75 जिलों में पर्यवेक्षण अधिकारी भेजे गए थे, जिन्होंने अस्पतालों में जाकर मॉक ड्रिल करवाई।

लखनऊ के 12 अस्पतालों में हुई मॉक ड्रिल

राजधानी के 12 अस्पतालों में मॉक ड्रिल हुई। इसमें केजीएमयू, पीजीआई, इंट्रीग्रल, टीएस मिश्र मेडिकल कॉलेज, सीएचसी मोहनलालगंज, मलिहाबाद, बलरामपुर व एरा कॉलेज शामिल हैं।

सात मिनट में लोकबंधु अस्पताल में बच्चा हुआ भर्ती

आशियाना स्थित लोकबंधु अस्पताल में मॉक ड्रिल हुई। इसमें बच्चे (डमी) को भर्ती करने में सात मिनट का समय लगा। सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने खुद पूरी व्यवस्था परखी और तारीफ भी की।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि 100 बेड का वार्ड बनाया गया है। इसमें 30 बेड पर एनआईसीयू व पीआईसीयू की सुविधा है। 70 बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा है। 100 बेड गर्भवती महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।

इस तरह हुई मॉक ड्रिल:-

• एम्बुलेंस से कोरोना संक्रमित बच्चे (डमी) को इमरजेंसी में लाया गया।

• सुरक्षा गार्ड ने ट्रॉयज एरिया के डॉ. पंकज को फोन कर मरीज के आने की जानकारी दी।

• बच्चे को तुरंत स्ट्रेचर पर लिटाया गया। तीमारदारों को बाहर रोक दिया गया।

• कर्मचारी बच्चे को ट्रॉयज एरिया में लेकर आए। यहां डॉ. पंकज ने बच्चे को देखा।

• एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिंव केयर यूनिट) में ले जाने के निर्देश दिए।

• एनआईसीयू में डॉ. नीलम्बर और सुरेश मेहता की टीम ने बच्चे की तबीयत का आंकलन किया। उसे वेंटिलेटर पर रखा।

• पूरी प्रक्रिया में सात मिनट लगे। 

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