UP Election 2022 : IPSEF का आरोप- 'रिक्त पदों पर भर्ती नहीं, आउटसोर्सिंग ठेका पर कर्मचारी रखकर हो रहा शोषण'

UP Election 2022 : IPSEF ने राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया कि वह सत्ता में आने से पहले बहुत से वादे करते हैं लेकिन उसके बाद वह भूल जाते हैं।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Shraddha
Update:2021-09-15 21:10 IST

इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.पी. मिश्रा (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

UP Election 2022 : इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने आगामी विधानसभा चुनाव-2022 (Assembly Election-2022) के मद्देनजर राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि आगामी चुनाव में देश के करोड़ों कर्मचारी एवं शिक्षक परिवार उसी को अपना मत देगा, जो कर्मचारियों एवं शिक्षकों की मांगों को पूरा करने का वादा करेगा। जो सत्ता में हैं, वे मांगों को पूरा करके दिखाएंगे।

सत्ता में आने पर भूल जाते

इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.पी. मिश्रा एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि "राजनीतिक दल सत्ता में आने से पूर्व बहुत से वादे करते हैं। लेकिन सत्ता में आने पर भूल जाते हैं। कई बड़े नेताओं ने पुरानी पेंशन को बहाल करने व राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के समकक्ष वेतन व भत्ते दिलाने का वादा किया था, मगर सत्ता में आने पर भूल गए।"


उन्होंने कहा कि 'देशभर के कर्मचारियों ने यह साबित कर दिया है कि देश में संकट आने पर 1 दिन का वेतन दिया। कोविड-19 की महामारी में अपनी जान पर खेलकर जनता की जान बचाई। सैकड़ों लोग शहीद भी हो गए। इसके बावजूद केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा उनके महंगाई भत्ते फ्रीज किए गए। डीए को वापस नहीं कर रहे हैं। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने बकाया के लिए 6% ब्याज के साथ भुगतान करने का सम्भवतः निर्देश दिया था। इसी प्रकार राज्य सरकारें केंद्र की भांति राज्यों के कर्मचारियों को वेतन भत्ते अनुमन्य नहीं कर रही है। केंद्र सरकार सरकारी संस्थानों को बेचकर निजी करण कर चुकी है। शेष बचे को भी करने जा रही है। इससे लाखों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।'

रिक्त पदों पर भर्ती नहीं आउटसोर्सिंग ठेका पर कर्मचारी

वी.पी. मिश्रा ने बताया कि "रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नतियां न करके आउटसोर्सिंग ठेका पर कर्मचारी रखकर उनका भी शोषण किया जा रहा है। भीषण महंगाई के चलते ईमानदार कर्मचारी अपने परिवार का खर्च नहीं चला पा रहा है।"


इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


प्रेमचंद्र ने बताया कि 'राज्यों के कर्मचारियों एवं भारत सरकार के स्वशासी संस्थानों के कर्मचारियों का और बुरा हाल है। उन्हें महंगाई भत्ता व बोनस भी नहीं मिल पा रहा है। केंद्र की भांति संवर्गो का पुनर्गठन ना होने के कारण उन्हें सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।'

सातवें आयोग का नहीं मिल रहा लाभ

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा एवं राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि "उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वेतन समिति की रिपोर्ट पर निर्णय ना करने से वेतन विसंगतियों एवं सेवा नियमावलियां लंबित होने से उन्हें सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पा रहा है। राजकीय निगम एवं स्थानीय निकायों में तो महंगाई भत्ते की किश्तें भी नहीं मिल पा रही हैं। राज्य सरकार द्वारा संकल्प जारी करने के बाद भी पदों का पुनर्गठन न होने से सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पाया है।"


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