UP Election: ब्राह्मण मतों के लिए होगी बड़ी सियासी जंग, मायावती के बाद अब अखिलेश भी डालेंगे डोरे

UP Election: मायावती के बाद अब समाजवादी पार्टी ने भी प्रदेश के दस फीसदी ब्राह्मण मतों को अपने पाले में करने के लिए बड़ी रणनीति तैयार की है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-07-25 13:56 GMT

अखिलेश यादव और मायावती (काॅन्सेप्ट फोटो: सोशल मीडिया)

UP Election: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए सियासी दलों ने ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। बसपा मुखिया मायावती के बाद अब समाजवादी पार्टी ने भी प्रदेश के दस फीसदी ब्राह्मण मतों को अपने पाले में करने के लिए बड़ी रणनीति तैयार की है। समाजवादी पार्टी ने अगले महीने से प्रदेश के हर जिले में ब्राह्मण सम्मेलनों का आयोजन करने का फैसला किया है।

समाजवादी पार्टी के कार्यालय में अखिलेश यादव की मौजूदगी में हुई बैठक में यह फैसला किया गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा और मायावती को जवाब देने के लिए सपा की ओर से यह रणनीति तैयार की गई है। लखनऊ में भगवान परशुराम की मूर्ति के उद्घाटन समारोह को भी मेगा शो बनाने की तैयारी है। इसके लिए कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी बुलाने का फैसला किया गया है। माना जा रहा है कि कार्यक्रम में ममता की मौजूदगी से अखिलेश को भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में मदद मिलेगी।

लीड लेने में कामयाब रही बसपा
दरअसल विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सियासी दलों ने ब्राह्मणों को रिझाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। हालांकि बसपा मुखिया मायावती इस मामले में लीड लेने में कामयाब रहीं। बसपा की ओर से पिछले दिनों अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जाति के नाम पर राजनीतिक कार्यक्रम पर रोक लगाने के कारण इस सम्मेलन को प्रबुद्ध सम्मेलन के नाम से आयोजित किया गया था।
इस सम्मेलन में मायावती के करीबी माने जाने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने ब्राह्मणों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए भाजपा को घेरा था। इसके पहले बसपा की ओर से बिकरू कांड के सिलसिले में गिरफ्तार खुशी दुबे की पैरवी सतीश चंद्र मिश्रा की ओर से करने की घोषणा की गई थी।

सपा भी करेगी ब्राह्मण सम्मेलनों का आयोजन

अब ब्राह्मणों को रिझाने के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से भी बड़ी रणनीति तैयार की गई है। पार्टी ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में ब्राह्मण सम्मेलनों का आयोजन करने का फैसला किया है। हालांकि इसे कुछ और नाम देने की तैयारी है। सपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस कार्यक्रम की शुरुआत बलिया जिले से की जाएगी। बलिया के आयोजन के बाद पूर्वांचल के अन्य जिलों आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ आदि में भी सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा।
दरअसल सपा की नजर प्रदेश के 10 फ़ीसदी ब्राह्मण मतों पर टिकी हुई है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि यादवों और मुस्लिमों के साथ ब्राह्मणों का समर्थन मिल जाए तो सपा आगामी विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने में कामयाब होगी।

ब्राह्मण मतों के लिए इसलिए छिड़ी जंग
प्रदेश में हाल के विधानसभा और लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो ब्राह्मणों का समर्थन भाजपा को मिलता रहा है मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के दौरान ब्राह्मणों की अनदेखी के आरोप लगाए जाते रहे हैं। मायावती ने तो इसे लेकर योगी सरकार पर हमला भी बोला है। उनका कहना है कि ब्राह्मण अगले चुनाव में भाजपा के बहकावे में आने वाले नहीं हैं।
2017 के विधानसभा चुनावों को देखा जाए तो चुनाव जीतने वाले 56 ब्राह्मणों में 46 भाजपा के थे। यही कारण है कि अब दूसरे दलों ने भी ब्राह्मण नेताओं को तरजीह देते हुए ब्राह्मण मतों को रिझाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। 2012 में समाजवादी पार्टी प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब हुई थी और उस चुनाव में 21 ब्राह्मण सपा के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। इसीलिए अब सपा ने विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे, पूर्व मंत्री मनोज पांडे आदि को महत्व देना शुरू कर दिया है।

मायावती को 2007 में मिला था फायदा

उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में मायावती ने 403 में से 206 सीटों पर जीत हासिल की थी। मायावती की इस बड़ी जीत के पीछे उनकी रणनीति को बड़ा कारण माना गया था। 2007 के चुनाव से पहले भी मायावती ने ब्राह्मण सम्मेलनों का सहारा लिया था और ब्राह्मणों को रिझाने में उन्हें बड़ी कामयाबी मिली थी।
चुनाव में टिकट देने के नाम मामले में भी मायावती ने ब्राह्मणों पर बड़ा दांव खेला था। मायावती एक बार फिर दलित, मुस्लिम, ओबीसी और ब्राह्मणों के फार्मूले के साथ अगले साल प्रदेश में होने वाले सियासी रण में उतरने की तैयारी में जुटी हुई है। जानकारों के मुताबिक मायावती का यह बड़ा सियासी दांव साबित हो सकता है। इससे प्रदेश के समीकरणों में उलटफेर की आशंका जताई जा रही है।

और तीखी होगी ब्राह्मण मतों की जंग

बसपा और सपा को जवाब देने के लिए अभी भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं मगर यह तय माना जा रहा है कि भाजपा अपना वोट बैंक माने जाने वाले ब्राह्मणों का वोट छिटकने से रोकने की पूरी कोशिश करेगी। भाजपा की ओर से भी जल्द ही इस बाबत बड़ी रणनीति बनाई जा सकती है। चुनाव नजदीक आने के साथ ही दस फीसदी ब्राह्मण मतों के लिए यह सियासी जंग और तीखी होने के आसार हैं।


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