UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट का फरमान, शिक्षकों से न कराएं गैर शैक्षणिक कार्य

UP News: यूपी में आज की बड़ी खबर है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य न कराने का फरमान जारी कर दिया है।

Newstrack :  Vijay Kumar Tiwari
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-07-14 02:50 GMT

शिक्षक (फोटो- सोशल मीडिया)

UP News: उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य न कराने का फरमान जारी कर दिया है और कोर्ट ने इस संबंध में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 नियमावली के नियम 27 और सुनीता शर्मा व अन्य जनहित याचिका में पारित आदेश का कड़ाई से पालन करने का आदेश प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को देने के लिए सभी संबंधित प्राधिकारियों को निर्देश दिये गए हैं।

मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने चारु गौर व दो अन्य की याचिकाओं पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी की दलील को सुनने के बाद दिया है।

नहीं लगेगी मनमाने तरीके से ड्यूटी

मामले में एडवोकेट अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची से बूथ लेबल अफसर व अन्य कई कार्य लिए जा रहे हैं। जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 व इसकी नियमावली के नियम 27 के अनुसार शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षिक कार्यों में नहीं लगायी जानी चाहिए।

इससे एक ओर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 व इसकी नियमावली का उलंघन होता है तो वहीं दूसरी ओर पठन-पाठन भी प्रभावित होता है।

फोटो- सोशल मीडिया

एडवोकेट अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि शिक्षकों से किसी विशेष परिस्थिति में सिर्फ आपदा, जनगणना और सामान्य निर्वाचन जैसे कार्यों के दौरान ही कार्य लिये जाने चाहिए, ताकि वह ज्यादा दिनों तक अपने मूल कार्य से विरत न रहें और कोई जरूर कार्य भी प्रभावित न हो।

एडवोकेट अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने सुनीता शर्मा व अन्य की जनहित याचिका में हाईकोर्ट के द्वारा दिए आदेश का हवाला देकर कहा कि इस आदेश में भी शिक्षकों से गैर शैक्षिक कार्य लेने पर रोक लगाई गई है। इसके बाद भी इस तरह के कार्य मनमाने तरीके से लिए जा रहे हैं।

 गैर शैक्षिक कार्य करना उचित नहीं 

एडवोकेट अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी की दलील पर कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम नियमावली के नियम 27 व न्यायालय के आदेशों के परिप्रेक्ष्य में शिक्षकों से गैर शैक्षिक कार्य नहीं कराए जाने चाहिए।

इसके लिए संबंधित प्राधिकारियों को कहा गया है कि वे प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस आशय का निर्देश जारी कर अधिनियम के नियमों का पालन करने को कहें, ताकि कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना न हो।

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