UP Politics: अखिलेश यादव ने कहा- RSS का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई संबंध नहीं
UP Politics: अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा और उसके मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई संबंध नहीं था।
UP Politics: पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा और उसके मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई संबंध नहीं था। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में काकोरी शहीद स्मारक का आयोजन भाजपा का ढोंग है। अगस्त क्रांति दिवस के एक दिन पूर्व आगरा में पुलवामा के अमर शहीद की पत्नी व बेटों को शहीदों के लिए की गयी घोषणाओं की पूर्ति की मांग करने के लिए मुख्यमंत्री से मिलने न देकर अपमानित कर भगा देना अति निन्दनीय घटना है।
उन्होंने कहा कि भाजपाईयों ने कभी शहादत नहीं दी, वो शहीदों का सम्मान करना क्या जानें। भाजपा सामाजिक सद्भाव के खिलाफ काम करती है। अंग्रेजों की तरह भाजपा की कोशिश समाज का विघटन करने की रहती है। इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। अखिलेश ने अगस्त क्रांति दिवस पर कहा कि 9 अगस्त 1942 को गांधी जी के आह्वान पर अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत हुई थी। 8 अगस्त 1942 की रात में भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित हुआ था। गांधी जी ने इस मौके पर करो या मरो का मंत्र दिया था। उन्होंने हर हिन्दुस्तानी से यह भी कहा था कि वह अपने को आजाद समझे।
उन्होंने कहा कि 9 अगस्त 1942 ऐसा आंदोलन था जिसमें देश का हर वर्ग स्वतः स्फूर्त सक्रिय था। समाजवादी विचारधारा के नेता जयप्रकाश नारायण, डाॅ0 राममनोहर लोहिया, अरुणा आसिफ अली आदि ने आंदोलन का नेतृत्व संभाला था। अगस्त क्रांति के शहीदों का सपना देश में किसान, मजदूर और युवाओं का राज स्थापित करना था। जिससे सभी को हक व सम्मान का जीवन हासिल हो सके। इस सपने को साकार करने की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी की है।
अखिलेश यादव ने कहा कि जिस तरह समाजवादियों ने अगस्त क्रांति, जेपी आंदोलन के दौरान अग्रणी भूमिका अदा की थी उसी तरह आज भी उसकी स्वर्णिम परम्परा को आगे बढ़ाते हुए हम समाजवादी भी एकजुट होकर संवैधानिक मूल्यों को बचाने तथा उन्हें पुनः स्थापित करने की ऐतिहासिक भूमिका का निर्वहन करेंगे।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक परिवर्तन के लिए युवाओं, किसानों, मेहनतकशों और समाज के विचारशील वर्गों की सहभागिता ही समाजवादी पार्टी की ताकत है। उन्होंने कहा कि आज देश में दो तरह की विचारधाराओं में टकराव है। एक तरफ लोकतंत्र है तो दूसरी तरफ अपने को सर्वोपरि दिखाने की सत्ता लिप्सा। इसमें हमें तय करना है कि हमें किधर जाना है?