UP Politics: 2007 के फार्मूले पर लौटीं मायावती, ब्राह्मण सम्मेलनों का बड़ा सियासी दांव, सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपी जिम्मेदारी

UP Politics: बसपा की ओर से एक बार फिर ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत की जाएगी और इसकी जिम्मेदारी मायावती ने अपने विश्वस्त सहयोगी सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपी है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-07-18 05:58 GMT

मायावती ने सतीश चंद्र मिश्रा को सौपी जिम्मेदारी (फोटो- सोशल मीडिया)

UP Politics: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी सियासी दलों ने गोट बिछानी शुरू कर दी है। भाजपा और सपा की ओर से सक्रियता बढ़ाई जाने के बाद अब बसपा की मुखिया मायावती ने भी बड़ा सियासी दांव चला है। ब्राह्मणों को रिझाने के लिए मायावती एक बार फिर 2007 के फार्मूले को अपनाने की कोशिश में जुट गई हैं।

बसपा की ओर से एक बार फिर ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत की जाएगी और इसकी जिम्मेदारी मायावती ने अपने विश्वस्त सहयोगी सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपी है। इसी फार्मूले पर चलकर मायावती ने 2007 में प्रदेश की सत्ता पर कब्जा किया था और एक बार फिर वे अपने पुराने फार्मूले पर लौटती दिख रही हैं।

2007 में अपनाया था यही फार्मूला

उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में मायावती ने 403 में से 206 सीटों पर जीत हासिल की थी। मायावती की इस बड़ी जीत के पीछे उनकी रणनीति को बड़ा कारण माना गया था। 2007 के चुनाव से पहले भी मायावती ने ब्राह्मण सम्मेलनों का सहारा लिया था और ब्राह्मणों को रिझाने में उन्हें बड़ी कामयाबी मिली थी।

चुनाव में टिकट देने के नाम मामले में भी मायावती ने ब्राह्मणों पर बड़ा दांव खेला था। मायावती एक बार फिर दलित, मुस्लिम, ओबीसी और ब्राह्मणों के फार्मूले के साथ अगले साल प्रदेश में होने वाले सियासी रण में उतरने की तैयारी में जुटी हुई है। जानकारों के मुताबिक मायावती का यह बड़ा सियासी दांव साबित हो सकता है। इससे प्रदेश के समीकरणों में उलटफेर की आशंका जताई जा रही है।

मायावती की सोची समझी रणनीति

मायावती (फोटो- सोशल मीडिया)

2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा करीब 30 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब हुई थी। 2012 में सत्ता से बेदखल होने के बाद बसपा का प्रदर्शन लगातार खराब होता चला गया।

2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भाजपा और बसपा को पीछे छोड़ते हुए प्रदेश की सत्ता पर कब्जा कर लिया था जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बड़े बहुमत के साथ सपा और बसपा को काफी पीछे छोड़ दिया था।

मायावती करीब 9 वर्षों से प्रदेश की सत्ता से बाहर हैं और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। ब्राह्मण सम्मेलनों को मायावती की सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

मायावती (फोटो- सोशल मीडिया)

अयोध्या से होगी शुरुआत

बसपा की ओर से शुक्रवार को प्रदेश मुख्यालय पर एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें प्रदेशभर से आए ब्राह्मण नेताओं ने हिस्सा लिया था। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में ही आने वाले दिनों में ब्राह्मण सम्मेलनों के आयोजन की रणनीति तैयार की गई है।

ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत 23 जुलाई को अयोध्या से होगी। अयोध्या में राम मंदिर में दर्शन करने के बाद सतीश चंद्र मिश्रा ब्राह्मणों को बसपा से जोड़ने की बड़ी कवायत की शुरुआत करेंगे।

पूरे प्रदेश में होंगे सम्मेलन

ब्राह्मण सम्मेलनों के लिए चरणबद्ध कार्यक्रम तैयार किया गया है। पहले चरण में 23 जुलाई से 29 जुलाई तक 6 जिलों में इस तरह के सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। बाद के दिनों में प्रदेश के अन्य जिलों में सम्मेलन आयोजित कर ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश की जाएगी।

बसपा मुखिया ने ब्राह्मण सम्मेलनों की जिम्मेदारी अपने सबसे विश्वस्त सहयोगी सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपी है। सतीश चंद्र मिश्रा पहले भी इस तरह के सम्मेलनों में बड़ी भूमिका निभा चुके हैं और यही कारण है कि मायावती ने एक बार फिर उन पर भरोसा करते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी है।

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