UP Politics: राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने पर कांग्रेस आगबबूला

UP Politics: प्रवक्ता कृष्णकान्त पाण्डेय ने कहा कि महान राजनेता स्व. राजीव गांधी महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द्र दोनों ही उत्तर प्रदेश से आते हैं।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-08-06 14:05 GMT

कांग्रेस का 'बीजेपी भगाओ, महंगाई हटाओ' अभियान (फोटो- सोशल मीडिया)

UP Politics: उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द्र के नाम पर किये जाने पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की है। कांग्रेस ने कहा कि मोदी को क्या पता कि हर कोई राजीव गांधी नहीं हो सकता। राजीव गांधी होने के लिए सीने पर देश का जज्बा ले आना पड़ता है और बारूद सहना पड़ता है। राजीव गांधी वही हो सकता है जिसके शरीर के परखच्चे उड़ जायें, लेकिन देश पर आंच न आने पाये।

कांग्रेस ने कहा कि क्रिकेट का सबसे बड़ा स्टेडियम अहमदाबाद का नाम सरदार पटेल से उद्घाटन के एक दिन पूर्व मोदी स्टेडियम कर दिया जाता है। स्टेडियम का नाम बदल जाने से कोई सरदार पटेल नहीं हो जायेगा। देश के लिए किसका कितना योगदान है, उसे कभी न इतिहास भुला पायेगा और न देशवासी भुला पायेंगे। जिसने इस देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में, राष्ट्र निर्माण में कभी नाखून न कटाया हो वह शहादत का मूल्य कैसे समझ सकता है। वह तो नाम बदलने एवं संस्थाओं को बेचने को ही देश का विकास एवं अपना राष्ट्रीय कर्तव्य समझता है।
उप्र कांग्रेस के प्रवक्ता कृष्णकान्त पाण्डेय ने कहा कि राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द्र के नाम पर करना राजीव गांधी के शहादत का अपमान करना है और देश का एक सबसे युवा एवं दूरदृष्टा प्रधानमंत्री जिसने नौजवानों को मताधिकार, दूर संचार क्रान्ति, सूचना क्रांति जैसे महान अधिकार देकर युवाओं को विश्व प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया ऐसे महान राजनेता का नाम बदलना देश के महापुरूषों की विरासत एवं शहादत का अपमान है। भारत सरकार मेजर ध्यानचन्द्र के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा करती, पूरा देश स्वागत करता।
प्रवक्ता कृष्णकान्त पाण्डेय ने कहा कि महान राजनेता स्व. राजीव गांधी महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द्र दोनों ही उत्तर प्रदेश से आते हैं। दोनों का राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नाम एवं कद है। मेजर ध्यानचन्द्र का सम्मान बढ़ाने के लिए सरकार की मांशा साफ होती तो उनके नाम पर बड़े-बड़े प्रतिष्ठान, संस्थान खोलकर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा सकता था, लेकिन ऐसा न कर सरकार ने अपने घृणित मानसिकता को दर्शाया है।
पाण्डेय ने आगे कहा कि स्व. राजीव गांधी का खेल से अविस्मरणीय नाता रहा है। 1982 में दिल्ली में हुए ऐशियार्ड गेम्स की आर्गेनाइसिंग कमेटी के सदस्य के रूप में राजीव गांधी ने काम किया, उनकी देख-रेख में विशाल जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम और इंडोर स्टेडियम, खेलगांव, सीरीफोर्ट आडिटोरियम, करणी सिंह सूटिंग रेंज बना और यह सब 2 वर्ष में बन कर तैयार हो गया जिस एशियाड गेम्स में राजीव गांधी सदस्य रहे भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। 13 गोल्ड सहित 57 मेडल्स जीत कर खिलाड़ियों ने भारत का नाम रोशन किया। एक अच्छे मेजमान देश के रूप में भारत ने स्वयं को साबित किया।


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