Ram Mandir Andolan: मंदिर आंदोलन: कहाँ गए वो लोग, मूल वास्तुकार थे अशोक सिंघल
Ayodhya Ram Mandir Ashok Singhal: 1983 में हिंदू जागरण मंच की पहली बैठक से लेकर तत्कालीन विहिप महासचिव अशोक सिंघल का मंदिर आंदोलन में योगदान अतुलनीय है।
Ram Mandir Andolan: श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर कुछ उन लोगों को भी अवश्य स्मरण किया जाना चाहिए जो बरसों चले राम मंदिर आंदोलन में शामिल थे। इनमें देवराहा बाबा जी महाराज, महंत अभिराम दास, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल और 1949-50 में फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट केके नायर भी शामिल हैं।
यही नहीं, कई ऐसे राजनेता भी हैं जिनकी बाबरी मस्जिद विध्वंस और राम मंदिर आंदोलन के समय महती भूमिका रही थी। कल्याण सिंह और लाल कृष्ण आडवाणी से लेकर विनय कटियार, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और गोरखनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ तक। अब वे कहाँ हैं? कुछ का निधन हो गया है, कुछ बूढ़े हो गए हैं और कुछ बीमार हैं या अपनी अंतिम अवस्था में जी रहे हैं।
जानते हैं इनके बारे में।
अशोक सिंघल
1983 में हिंदू जागरण मंच की पहली बैठक से लेकर तत्कालीन विहिप महासचिव अशोक सिंघल का मंदिर आंदोलन में योगदान अतुलनीय है। उन्होंने सैकड़ों कार्यक्रमों की योजना बनाई और उन्हें क्रियान्वित किया। राम मंदिर आंदोलन के प्रभारी के रूप में उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने के अलावा मीडिया, स्थानीय संतों, राज्यों और केंद्र सरकार, जिला प्रशासन, पुरातत्व विशेषज्ञों और वकीलों के साथ बातचीत की और मिलजुलकर काम किया।सिंघल ने मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान अनिश्चितकालीन उपवास का भी आयोजन किया था। 2015 में अपनी मृत्यु तक, उन्होंने भाजपा नेतृत्व के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बावजूद हार नहीं मानी।
जीवन यात्रा
आशोक सिंघल का जन्म आगरा में हुआ था। उनके पिता महावीर सिंह सिंघल एक आईसीएस अधिकारी थे। अशोक सिंघल के छह भाई और एक बहन थी। उनके बड़े भाई विनोद सिंघल त्रिपुरा के मुख्य सचिव रहे थे। एक भाई आनंद सिंघल रक्षा मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी रहे। जबकि उनके छोटे भाई बीपी सिंघल, यूपी पुलिस में डीजीपी रहे थे। उनकी बहन उषा रानी सिंघल भी संघ प्रचारक थीं और महिला मोर्चे का नेतृत्व करती थीं। अशोक सिंघल ने 1950 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। सिंघल हिंदुस्तानी संगीत के प्रशिक्षित गायक थे।
सन 42 में संघ में आये
अशोक सिंघल 1942 में बालासाहेब देवरस के संरक्षण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए। इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने पूर्णकालिक प्रचारक बनने का विकल्प चुना। उन्होंने दिल्ली और हरियाणा के प्रांत प्रचारक बनकर उत्तर प्रदेश के आसपास विभिन्न स्थानों पर काम किया। 1980 में उन्हें विहिप में प्रतिनियुक्त किया गया। 1981 में मीनाक्षीपुरम धर्मांतरण के बाद, सिंघल संयुक्त महासचिव के रूप में विहिप में चले गए। क्षेत्र में दलित समुदायों की मुख्य शिकायत को ध्यान में रखते हुए वीएचपी ने विशेष रूप से दलितों के लिए 200 मंदिर बनाए।
सिंघल 1984 में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित पहली वीएचपी धर्म संसद के प्रमुख आयोजक थे। राम जन्मभूमि मंदिर को पुनः प्राप्त करने के आंदोलन का जन्म यहीं हुआ था। सिंघल जल्द ही आंदोलन के मुख्य वास्तुकार बन गए। 1984 में वह विहिप के महासचिव बने। बाद में कार्यकारी अध्यक्ष बने, इस भूमिका में वह 2011 तक बने रहे।
आमरण अनशन
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल के दौरान सिंघल को लगने लगा कि एनडीए सरकार राम मंदिर के निर्माण के लिए आगे कोई कदम नहीं उठा रही है। इसके बाद अशोक सिंघल ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर आमरण अनशन किया। अटल बिहारी वाजपेयी के आदेश पर उन्हें जबरन खिलाया गया। इससे अशोक सिंघल बहुत दुखी हुए और जीवन भर के लिए सिंघल और वाजपेयी के अच्छे संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए।
17 नवंबर 2015 को गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।