Ayodhya News : राम मंदिर जमीन खरीद सौदे की क्या है सच्चाई, पढ़ें- पूरा मामला
अयोध्या में जमीन खरीद मामले के आरोप से घिरे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपनी वेबसाइट पर पूरा ब्योरा अपलोड किया है। इसका उद्देश्य है कि रामभक्त जमीन प्रकरण की सच्चाई को परख सकें।
अयोध्या। प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए करोड़ों राम भक्तों ने सालों तक लड़ाई लड़ी। आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत से मंदिर निर्माण का रास्ता प्रस्तत हुआ, मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट रखा गया। यही ट्रस्ट वहां भव्य राम मंदिर बनवाने का कार्य कर रहा है, लेकिन अब ये ट्रस्ट जमीन खरीद मामले को लेकर सवालों के घेरे में आ गया है। साथ ही अयोध्या के मेयर के भतीजे पर भी कम दाम में सरकारी जमीन को खरीद कर ट्रस्ट को महंगे दाम में बेचने के मामले में घिर गए हैं। आखिर क्या है अयोध्या में जमीन खरीद का विवाद और ट्रस्ट ने अभी तक कितनी जमीन खरीदी है, चलिए आपको इसकी पूरी जानकारी देते हैं।
बता दें राम मंदिर परिसर के विस्तार के लिए अगल-बगल के मंदिरों और घरों को खरीदने का काम तेजी से कर रहा है। ट्रस्ट जो जमीन खरीद रहा है वह महंगी दामों में खरीद रहा है। पहले ट्रस्ट पर आरोप लगे कि दो करोड़ की जमीन चंद मिनटों में 18.5 करोड़ में खरीदी गई। अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अयोध्या के मेयर के भतीजे दीप नारायण पर भी एक जमीन को महज 20 लाख में खरीदकर मंदिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ में बेच दिया। मेयर के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय ने जो जमीन खरीदी थी दरअसल वह नजूल (सरकारी) है। यह फ्री होल्ड भी नहीं हुई थी। दीप नारायण को महज 20 लाख रुपये में यह जमीन बेचने वाले बड़ा स्थान दशरथ महल मंदिर के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने खुद इसका खुलासा किया।
महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि यह जमीन उनके गुरु महंत के नाम थी। मंदिर के लिए और नजूल की जमीन होने के कारण मैंने यह जमीन दीप नारायण को सस्ते में लिख दी थी। उन्होंने बताया कि नजूल की जमीन पर कुछ मिलने की उम्मीद नहीं थी, इसलिए सोचा जो फायदा मिल रहा है वही बहुत है। महंत के मुताबिक, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और उनके भतीजे दीप नारायण मेरे पास आए थे और जमीन को राम जन्मभूमि मंदिर के लिए लिखने को कहा था। मंदिर ट्रस्ट को सीधे जमीन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट के जिम्मेदार मेरे पास नहीं आए। अगर वे आए होते तो यह जमीन उन्हें उसी कीमत पर लिख देता। मैंने तो राम मंदिर के निर्माण में सहयोग के लिए ही इसे बेच दिया। यह जमीन राम कोट हवेली की है। यह जमीन राम जन्मभूमि परिसर से महज 500 मीटर की दूरी पर है। इसलिए यह मंदिर ट्रस्ट के लिए बेहद उपयोगी मानी जा रही है।
मंदिर निर्माण के लिए दिए 3 करोड़ 71 लाख रुपये
राम मंदिर ट्रस्ट ने 250 वर्ष प्राचीन फकीरे राम मंदिर के लिए महंत रघुवर शरण दास को ट्रस्ट ने लगभग 13 बिस्सा जमीन खरीद कर दिया है और मंदिर निर्माण के लिए 3 करोड़ 71 लाख रुपये दिए है। यह रकम बैंक एकाउंट में आरटीजीएस के तहत ट्रांसफर किया है। 10 माह में नया मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा उस मंदिर में यहां विराजमान भगवान को विराजित कर देंगे।
कौशल्या भवन मंदिर के निर्माण के लिए दिए गए 4 करोड़ रुपये
पौराणिक महत्व के मंदिर कौशल्या भवन मंदिर को भी ट्रस्ट ने विनिमय पत्र के माध्यम से हासिल किया है। यह भवन 14 बिस्वा से ज्यादा में बना है। ट्रस्ट ने रामकोट मोहल्ले में ही जन्मभूमि के नजदीक 14 बिस्वा जमीन को खरीदकर कौशल्या भवन मंदिर के महंत को दिया। इस जमीन पर मंदिर निर्माण के लिए 4 करोड़ रुपये भी प्रदान किया है। कौशल्या भवन का भी विनिमय पत्र के माध्यम से जगह का स्थानांतरण किया गया है। इनको भी 10 माह के करीब का समय नए मंदिर निर्माण का दिया गया है। नया मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा तो यहां विराजमान कौशल्या जी सहित अन्य विग्रह नए मंदिर में शिफ्ट अथार्त स्थापित कर दिया जाएगा। कौशल्या भवन मंदिर के महंत यशोदानंदन त्रिपाठी का कहना है कि ट्रस्ट ने कोई जबरदस्ती इस मंदिर को पाने के लिए नहीं किया है। राम मंदिर परकोटे में यह मंदिर आ रहा है, इसलिए यह मंदिर राम मंदिर के काम आ रहा है।
ट्रस्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया ब्योरा
जमीन खरीद मामले में घोटाले के आरोप से घिरे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपनी वेबसाइट पर जमीन खरीद से जुड़ा पूरा ब्योरा अपलोड किया है। इसका उद्देश्य है कि अयोध्या ही नहीं बल्कि पूरे देश के रामभक्त जमीन प्रकरण की सच्चाई को परख सके। ट्रस्ट ने रामभक्तों को जमीन प्रकरण से जुड़े सभी पहलूओं की जानकारी देने की मंशा से ही साइट पर अंग्रेजी में पूरी कहानी बताई है। ट्रस्ट का दावा है कि जमीन खरीद में पूरी पारदर्शिता बरती गई है, इससे पहले भी ट्रस्ट ने जमीन, मठ व आश्रम की खरीद की है। जमीन खरीद प्रकरण में ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगे हैं। प्रमुख विपक्षी दलों ने खरीद फरोख्त में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है तो रामनगरी सहित देश के कुछ अन्य संतों ने भी इस मामले में ट्रस्ट को घेरते हुए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
करोड़ों रामभक्तों के मन में भी इस प्रकरण की सच्चाई जानने को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। ट्रस्ट ने रामभक्तों को पूरे प्रकरण की सच्चाई से अवगत कराने की मंशा से ही अपनी साइट पर जमीन खरीद की पूरी प्रक्रिया को अपलोड कर अपना पक्ष स्पष्ट करने का प्रयास किया है। इसमें बताया गया है कि बाग बिजैशी स्थित 1.2080 हेक्टेयर भूमि 1423 रुपया प्रति स्कवायर फीट की दर से खरीदी गई है जो बाजार की खरीद दर बहुत ही कम है। इस भूमि को लेकर 2011 से ही एग्रीमेंट की प्रक्रिया चल रही थी। ट्रस्ट इस जमीन की खरीद को लेकर उत्सुक था लेकिन पहले भूमि की मिलकियत स्पष्ट करना चाहता था, क्योंकि इस एग्रीमेंट में नौ लोग जुड़े हुए थे, जिसमें से तीन मुस्लिम थे। सभी से संपर्क कर उनकी सहमति ली गई फिर एग्रीमेंट को फाइनल किया गया। इस कार्य में पूरी पारदर्शिता बरती गयी।
ट्रस्ट ने साफ किया कि इस दौरान हुए सभी लेन देन ऑनलाइन तरीके से किए गए हैं। ट्रस्ट ने इस जमीन के लिए 17 करोड़ का भुगतान किया है। यह भी बताया गया है कि ट्रस्ट तीन-चार प्लांट मंदिर व आश्रम को मिलाकर पहले भी खरीद चुका है, और आगे भी खरीद का कार्य चलता रहेगा। खरीद से जुड़े सभी रिकार्ड आन लाइन हैं। साइट पर ट्रस्ट ने बाग बिजैशी की जमीन को लेकर 2011 से अब तक हुए एग्रीमेंट का पूरा ब्यौरा भी प्रस्तुत किया है। बताया गया है कि कब-कब किससे एग्रीमेंट हुआ और किस तरह फाइनल रूप से ट्रस्ट ने जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया।