Ram Mandir : राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद महंतों ने तोड़ी चुप्पी, आलोचना करने वालों को दिया करारा ज़वाब

Ram Mandir : श्रीरामलला के अयोध्या में विराजमान होने से लोगों के मन में सत्य प्रवृत्तियां और धर्मानुसार कार्य करने का उत्साह बढ़ेगा। इससे शुभ और अच्छे कार्यों का विकास होगा, जिससे सनातन धर्म को मजबूती मिलेगी।

Written By :  Aakanksha Dixit
Update: 2024-01-25 10:43 GMT

Ram Mandir source : Newstrack 

Ram Mandir : अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार पुजारियों ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मंदिर की आलोचना करने वालो को खुलकर जवाब दिया। श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा सही मुहूर्त में संपन्न हुई और उन महत्वपूर्ण क्षणों को सजीवता से महसूस किया गया। इस अद्वितीय घटना का प्रभाव देश-दुनिया में सकारात्मक रूप से पड़ा। प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य मंत्र 84 सेकेंड का था, लेकिन विद्वानों ने उसे 83 सेकेंड में ही पूरा कर लिया। प्राण प्रतिष्ठा के संयोजक, पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ जब अयोध्या से काशी लौटे तब उन्होंने रामघाट स्थित सांग्वेद विद्यालय में बातचीत के दौरान कहा कि सबकुछ योजना के अनुसार चलता रहा और प्राण प्रतिष्ठा का कार्य भी अपने निश्चित समय के अनुकूल संपन्न हो गया। लेकिन जो लोग मुहूर्त को सही नहीं मानते, वे इस कार्य में विघ्न डालने की कोशिश करते रहे।

उन्होंने यह भी कहा कि वे राजनीति से प्रेरित हैं या फिर अज्ञानता से, ये तो वही जान सकते हैं। उनका मानना है कि श्रीरामलला के अयोध्या में विराजमान होने से लोगों के मन में सत्य प्रवृत्तियां और धर्मानुसार कार्य करने का उत्साह बढ़ेगा। इससे शुभ और अच्छे कार्यों का विकास होगा, जिससे सनातन धर्म को मजबूती मिलेगी।

एक सेकंड पहले ही समाप्त हो गया था मन्त्र

पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य मंत्र दिन में 12 बजकर 29 मिनट और आठ सेकेंड पर शुरू हुआ और 12 बजकर 30 मिनट और 31 सेकेंड पर पूरा हुआ। मंत्र को तीन बार पढ़ा गया। पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने यह भी कहा कि मुट्ठीभर लोगों ने इस महानुष्ठान में विघ्न डालने का प्रयास किया, लेकिन प्रभु श्रीराम के कार्य में कोई बाधा नहीं आई। बल्कि इस स्वर्णिम पल को लोगों ने उत्सव के रूप में मनाया, सिर्फ देश ही नहीं, पूरा विश्व इसमें सहभागी बना।

राजनीति करने वाले भी हो गए राममय

प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि प्राण प्रतिष्ठा से केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व का भविष्य उज्ज्वल होगा। अनुष्ठान में कोई विघ्न न पड़े इसलिए देशभर के विद्वानों को बुलाया गया था। उन्होंने बताया कि मुहूर्त के संबंध में तर्क-वितर्क करने वालों को संपूर्ण निदान दे दिया गया था। जब पूरा देश राममय हो गया था, तो राजनीति करने वाले भी बदल गए और राममय हो गए।

सनातन धर्म होगा समृद्ध

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद काशी लौटे काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय ने कहा कि श्रीराम के रामराज्य की दृष्टि से भारत को ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व का भविष्य उज्जवल होगा। इससे राष्ट्र निर्माण को भी बल मिलेगा। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि श्रीरामलाला की प्राण प्रतिष्ठा से रामराज्य की कल्पना साकार होगी। इससे सनातनियों की खोई हुई विरासत पुनः लौटेगी। श्रीरामानंद विश्व हितकारिणी परिषद के संस्थापक और श्रीराम जानकी मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी रामकमलदास वेदांती ने कहा कि रामलला के विराजमान होने से मानवता में प्राण आ गया है। व्याकरणाचार्य सुमित्रानंद चतुर्वेदी ने कहा कि सनातन का सूर्योदय हो गया है। अब प्रभु श्रीराम के आदर्श को आत्मसात करने की जरूरत है।

कबीर प्राकट्य धाम लहरतारा के महंत गोविंद शास्त्री ने कहा कि जिन श्रीराम के जीवन दर्शन को कबीर साहब ने बीजक में वर्णित किया है, उनका अब अयोध्या में आगमन हुआ है। यह ऐतिहासिक है। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सतनाम सिंह धुन्ना ने भी काशी लौटने के बाद गुरुग्रंथ साहिब पर मत्था टेका। उन्होंने कहा कि मैंने प्रभु से देश में सामाजिक सौहार्द्र और शांति की अरदास लगाई है। निश्चय ही सनातनी संस्कृति समृद्ध होगी।

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