Ram Mandir : हर राम नवमी पर, भगवान रामलला के माथे पर सजेगा 'सूर्य तिलक', सूर्य की किरणों चमक उठेगी प्रतिमा

Ram Mandir : प्रति वर्ष भगवान राम के जन्मदिन, यानी रामनवमी के दिन, रामलला के माथे पर एक विशेष 'सूर्य तिलक' लगाया जाएगा। एक प्रमुख सरकारी संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा मिरर और लेंस से तैयार किए गए एक विशेष यंत्र का उपयोग किया है।

Written By :  Aakanksha Dixit
Update:2024-01-21 18:36 IST

Ram Mandir : राम की नगरी अयोध्या को सुंदर बनाने के जितने भी जतन किये जा रहे हैं। उससे कम जतन राम लला की मूर्ति को भव्य व दिव्य बनाने के नहीं किये गये हैं। इस मूर्ति को भव्य व दिव्य बनाने के लिए न केवल एक ही शिला से मूर्ति गढ़ी गई।बल्कि रामलला को तमाम आभूषणों से सजा कर भव्य व दिव्य बनाने की कोशिश जारी है। रामलला के लिए न केवल दस हज़ार परिधान तैयार किये गये हैं। बल्कि तकरीबन दस करोड़ रूपये से अधिक के आभूषणों से रामलला को तैयार रखा जायेगा। यही नहीं,राम नवमी को, जब राम लला का जन्मदिन होगा है, भगवान भास्कर की रश्मियाँ उनके माथे पर तिलक करती हुई दिखेंगी।यह व्यवस्था भी की गई है। इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों ने एक विशेष यंत्र मंदिर परिसर में लगा दिया है। इसमें सूर्य के पथ को बदलने के सिद्धांतों का उपयोग होगा।

क्या है सूर्य तिलक

प्रति वर्ष भगवान राम के जन्मदिन, यानी रामनवमी के दिन, रामलला के माथे पर एक विशेष 'सूर्य तिलक' लगाया जाएगा। इस विशेष प्रक्रिया के लिए, एक प्रमुख सरकारी संस्थान के वैज्ञानिकों ने मिरर और लेंस से तैयार किए गए एक विशेष यंत्र का उपयोग किया है। इस उपकरण को आधिकारिक रूप से 'सूर्य तिलक मैकेनिज्म' कहा जा रहा है, के माध्यम से, रामनवमी के दिन दोपहर में सूर्य की किरणें सीधे 'रामलला' की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। इस प्रक्रिया को सटीकता के साथ तैयार करना और स्थापित करना विज्ञान और इंजीनियरिंग के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य था।

क्या कहा देश की प्रमुख संस्थानों ने

रूड़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ प्रदीप कुमार रामनचरला का कहना है कि, 'जब पूरे मंदिर का निर्माण हो जाएगा तो सूर्य तिलक मैकेनिज्म पूरी तरह से चालू हो जाएगा। भारतीय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) देश का प्रमुख संस्थान है। मंदिर निर्माण में इनका भी योगदान है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पहले मंजिल तक का स्ट्रक्चर पूरा हो पाया है। गर्भगृह और ग्राउंड फ्लोर पर लगाए गए सभी उपकरण तैयार हैं। सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस रूप में डिजाइन किया है कि हर राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे के आस-पास छह मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी।



IIA ने भी दिया योगदान

बैंगलोर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) से तकनीकी सहायता मिली है, जिससे विशेष 'सूर्य तिलक' का निर्माण किया जा रहा है। बैंगलोर की एक ऑप्टिका कंपनी ने लेंस और ब्रास ट्यूब का निर्माण किया है। इस उपकरण का निर्माण और स्थापना का कार्य ऑप्टिका के एमडी राजेंद्र कोटारिया द्वारा किया जाएगा। सीबीआरआई की टीम, जिसमें डॉ. एसके पाणिग्रही, डॉ. आरएस बिष्ट, कांति लाल सोलंकी, वी चक्रधर, दिनेश और समीर शामिल हैं, इस पर काम कर रही है। एक गियरबॉक्स, रिफ्लेक्टिव मिरर और लेंस की व्यवस्था इस प्रकार से की गयी है कि मंदिर के शिखर के पास से सूर्य की किरणें तीसरी मंजिल के द्वारा गर्भगृह तक पहुंचाई जा सकें। इसमें सूर्य के पथ को बदलने के सिद्धांतों का उपयोग होगा। अयोध्या के राम मंदिर की डिजाइन में मदद करने वाले सीबीआरआई के साइंटिस्ट डॉ प्रदीप चौहान का दावा है कि, ''शत प्रतिशत सूर्य तिलक राम लला की मूर्ति के माथे पर अभिषेक करेगा।”

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